Saturday, October 12, 2024
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केजरीवाल के 2 वीडियो, 1 टोटका: ‘बच्चों की कसम’ जैसी तो नहीं AAP गारंटी कार्ड

यह महज संयोग है या कुछ और कि 2020 की ही तरह केजरीवाल ने 2015 में भी 20 जनवरी को पर्चा दाखिल करने का ऐलान किया था। लेकिन, उस बार भी उन्होंने पर्चा दाखिल किया, आखिरी दिन यानी 21 जनवरी को।

राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए नेताओं की ओर से टोटके किए जाने की आपने कई कहानियॉं सुन रखी होंगी। ज्यादा दिन नहीं बीते जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया था कि लालू यादव और राबड़ी देवी ने पटना के एक अणे मार्ग वाला सीएम आवास खाली किया था तो वहॉं से मिट्टी ले गए थे और बंगले के कोनों में पुड़िया रखा दिया था। जवाब में राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा था कि लालू को नुकसान पहुॅंचाने के लिए नीतीश ने दरभंगा के काली मंदिर में अनुष्ठान करवाया था।

अब इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और इस तरह के एक टोटके की चर्चा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए जाने के बाद से भी हो रही है। केजरीवाल ने नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन 21 जनवरी को पर्चा भरा था। वे नई दिल्ली से चुनावी मैदान में हैं। इसके बाद आप नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि केजरीवाल के नामांकन में जानबूझकर देरी की गई। हालॉंकि केजरीवाल ने इसे ज्यादा तूल नहीं दिया। लेकिन, दिलचस्प है कि इसी तरह केजरीवाल के नामांकन में देरी 2015 में भी हुई थी।

2020 की ही तरह केजरीवाल ने 2015 में भी 20 जनवरी को पर्चा दाखिल करने का ऐलान किया था। लेकिन, उस बार भी उन्होंने पर्चा दाखिल किया आखिरी दिन यानी 21 जनवरी को। उस वक्त केजरीवाल ने कहा था कि सात किमी लंबे रोड शो में इतना वक्ता लग गया कि वे समय से पर्चा दाखिल करने नहीं पहुॅंच पाए। इस बार उनकी पार्टी के नेता इसका ठीकरा अन्य उम्मीदवारों के मत्थे मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, दिल्ली की फिजाओं में यह चर्चा चलने लगी है कि क्या यह केजरीवाल को कोई टोटका है?

आप ने 21 जनवरी को केजरीवाल का एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें कॉन्ग्रेस और राजद तथा भाजपा, जदयू और लोजपा के गठबंधन को लेकर वे प्रतिक्रिया दे रहे हैं। 38 सेकंड के इस वीडियो में केजरीवाल दावा करते हैं कि वे भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं, जबकि सारी पार्टियों का एक ही मकसद है केजरीवाल को हराओ। ये वीडियो आप नीचे सुन सकते हैं,

भ्रष्टाचार। साल 2012 में केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत इसी को आधार बनाकर की थी। उन्होंने बकायदा भ्रष्टाचारी नेताओंं की लिस्ट जारी की थी। स्विस बैंक खातों के नंबर भी। लेकिन, सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार पर ही तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। वैसे इस मसले पर उनका स्टैंड कितना ढुलमुल है यह आप नीचे के वीडियो से समझ सकते हैं।

यह वीडियो बीते साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले का है। केजरीवाल ने 24 फरवरी 2019 को इंडिया टुडे को एक इंटरव्यू दिया था। उस वक्त आप दिल्ली में कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन बनाने की फेर में लगी थी। इस साक्षात्कार के दौरान( 15 से 20 मिनट के बीच) पूछे गए सवाल और केजरीवाल के जवाब को गौर से सुनिए। इंटरव्यू लेने वाले अंकित त्यागी केजरीवाल को वे नाम गिनाते हैं जिन्हें उन्होंने 2013 में भ्रष्टाचारी बताया था और पूछते हैं कि आज आप उनके साथ ही हाथ मिलाने को तैयार हैं। जवाब में केजरीवाल कहते हैं कि देश की मजबूरी है, बीजेपी को हराना जरूरी है। इसके बाद अंकित त्यागी पूछते हैं कि देश की मजबूरी है कि अरविंद केजरीवाल करप्ट लोगों के साथ खड़े हों? जवाब में केजरीवाल कहते हैं- जैसे कि मैंने कहा इस वक्त देश की मजबूरी है कि कुछ भी करो लेकिन मोदी और अमित शाह की जोड़ी को हराना जरूरी है।

वैसे, करप्शन को लेकर केजरीवाल ने अपना स्टैंड उसी दिन स्पष्ट कर दिया जब वे फिलहाल चारा घोटाले में कारावास की सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के हाथ में हाथ डाले नजर आए थे। इस वीडियो में केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने के कारण वादों को पूरा करने में हो रही परेशानियॉं भी गिनाते हैं। यहॉं तक दावा करते हैं कि मोदी लौटे तो देश में चुनाव नहीं होंगे।

आज वही केजरीवाल साल भर के भीतर ही फिर से करप्शन और काम की बात करने लगे हैं। सत्ता में वापसी के लिए जनता को गारंटी दे रहे हैं। दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए आठ फरवरी को वोट डाले जाएँगे। नतीजे 11 फरवरी को आएँगे। उसी दिन पता चलेगा कि केजरीवाल नई दिल्ली से जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या नहीं? आप की सत्ता में वापसी होती है या नहीं? ले​किन यह अजीब है कि जो नेता अपने बातों की गारंटी नहीं दे पाता, वह दिल्ली की जनता को गारंटी कार्ड बाँट रहा है।

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