Saturday, April 27, 2024
Homeराजनीतिकेजरीवाल सरकार की 'फ़रिश्ते दिल्ली के' स्कीम निकली हवा-हवाई: खर्च हुए करोड़ों पर कैसे...

केजरीवाल सरकार की ‘फ़रिश्ते दिल्ली के’ स्कीम निकली हवा-हवाई: खर्च हुए करोड़ों पर कैसे और कहाँ इसकी कोई जानकारी नहीं

हैरानी की बात यह है कि इनमें से कुछ ही सवालों के जवाब दिए गए। ज़्यादातर सवालों में स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में संपर्क करने की बात कह दी गई या कोई जानकारी लेने के लिए नंबर प्रदान कर दिया गया। बल्कि अंत में इस बात का उल्लेख विधिवत है कि दिल्ली सरकार ने इस योजना पर कितनी राशि खर्च की।

हर सरकार कई बड़े वादे और दावे करती है। इन दावों के ज़रिए ही जनता का सरकार पर भरोसा बनता है लेकिन वादों की अनदेखी पर समीकरण बिगड़ते हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने साल 2019 के अक्टूबर महीने में एक योजना की शुरुआत की थी जिसका नाम था ‘फ़रिश्ते दिल्ली के’। इस योजना का उद्देश्य था रास्तों पर होने वाली दुर्घटना में घायल लोगों की जान बचाना। बेशक इस योजना का उद्देश्य सराहनीय है लेकिन मूल प्रश्न यह है कि यह योजना किस हद तक लागू हुई है? इसका लाभ कितनों को मिला है? मोटे तौर पर इस योजना में अभी तक जितना कुछ हुआ है वह क्या और कितना है? 

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अक्टूबर 2019 में ‘फ़रिश्ते दिल्ली के’ योजना की नींव रखी। योजना के नाम से ही स्पष्ट है कि इस योजना के तहत ऐसे लोगों को जान बचाई जाएगी जो सड़क दुर्घटना में घायल हो जाते हैं। इस दौरान आने वाले खर्च की ज़िम्मेदारी दिल्ली सरकार उठाएगी और मदद करने वाले को पुरस्कृत भी किया जाएगा। इस योजना की शुरुआत करते हुए अरविन्द केजरिवाल ने कहा था- 

“दुर्घटना के बाद अगला एक घंटा गोल्डन आवर होता है। इस दौरान घायल को अस्पताल पहुँचा दिया तो उसकी जान बच सकती है। पुलिस किसी को तंग नहीं करती है। मैं चाहता हूँ कि दिल्ली का हर नागरिक फरिश्ता बने। दिल्ली में ऑटो वाले और टैक्सी वाले भाई कहीं दुर्घटना हो जाए तो जान बचाने का काम करें।” इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरिवाल ने यहाँ तक दावा किया था कि अभी तक इस योजना के तहत कुल 3 हज़ार लोगों की जान बचाई जा चुकी है।

सवाल यही बचता है कि इस योजना से आम जनमानस किस हद तक प्रभावित हुआ। इस तरह के तमाम सवालों के जवाब के लिए दिल्ली स्थित तिलक नगर के रहने वाले अधिवक्ता अनंतदीप सिंह ने आरटीआई दायर की थी। उन्होंने अपनी आरटीआई में दिल्ली सरकार से इस योजना से संबंधित कई अहम सवाल पूछे थे। पूछे गए तमाम सवालों में से कई सवालों के जवाब पूरे या संतोषजनक नहीं थे और कुछ सवालों के जवाब के लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करने का निर्देश दे दिया गया। अधिवक्ता अनंतदीप सिंह ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इस पूरे मामले की जानकारी दी। उनके द्वारा ‘फ़रिश्ते दिल्ली के’ योजना के संबंध में पूछे गए कुछ सवाल यह थे- 

  1. इस योजना के तहत अभी तक कुल कितने लोगों का उपचार हुआ है? 
  2. योजना के तहत जिन अस्पतालों में उपचार हुआ है उनका नाम और पता? साथ ही जिन मरीजों का उपचार हुआ है उनकी जानकारी। 
  3. कितने अस्पतालों ने इस योजना के तहत आने वाली घटनाओं की जानकारी पुलिस को दी है? अस्पताल जिन्होंने जानकारी दी है और पुलिस थाने जिन्होंने शिकायत दर्ज की है, उनके नाम।
  4. क्योंकि दुर्घटना होने पर अक्सर प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है बल्कि उपचार के दौरान अस्पताल के लिए वह अहम दस्तावेज़ होता है। इस तरह की कितनी एफ़आईआर दर्ज हुई?
  5. दुर्घटनाग्रस्त होने वाले लोगों की मदद करने वालों से जुड़ी जानकारी? 
  6. इस योजना के विज्ञापन में दिखाए गए लोगों की जानकारी जिनका उपचार इस योजना के तहत हुआ है और जिन लोगों ने मदद की है? दिल्ली सरकार द्वारा इस योजना के तहत आने वाले निजी अस्पतालों पर किए गए खर्च का ब्यौरा?   
अधिवक्ता अनंतदीप सिंह द्वारा दायर की गई आरटीआई

हैरानी की बात यह है कि इनमें से कुछ ही सवालों के जवाब दिए गए। ज़्यादातर सवालों में स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में संपर्क करने की बात कह दी गई या कोई जानकारी लेने के लिए नंबर प्रदान कर दिया गया। बल्कि अंत में इस बात का उल्लेख विधिवत है कि दिल्ली सरकार ने इस योजना पर कितनी राशि खर्च की। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि इस योजना के तहत अभी तक 7,58,88,716 रुपए खर्च किए जा चुके हैं यानी लगभग 7 करोड़ से ज़्यादा रुपए। ऐसे में अनंतदीप सिंह का मूल प्रश्न यही था कि एक योजना पर इतनी बड़ी राशि खर्च हुई तो उसका ब्यौरा भी होना चाहिए।   

अधिवक्ता अनंतदीप सिंह द्वारा दायर की गई आरटीआई

अनंतदीप ठाकुर ने यह आरटीआई 13 मार्च को दायर की थी, जिसका जवाब जुलाई 2020 में आया। उनका कहना था कि उन्होंने दिल्ली के कई पुलिस थानों में इस योजना से संबंधित जानकारी के लिए संपर्क किया कि योजना का उल्लेख करते हुए कितनी एफ़आईआर दर्ज कराई गई हैं लेकिन थानों ने भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी। उनका कहना था कि आम आदमी पार्टी सरकार की तरफ से ऐसी योजना की शुरुआत सराहनीय है लेकिन लोगों को यह जानने का अधिकार है कि इससे कितने लोग लाभान्वित हुए।

आरटीआई में पूछे गए सवालों को असंतोषजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि वह अपनी शिकायत आगे लेकर जाएँगे। चाहे इन सवालों को वह पब्लिक ग्रिवांसेस विभाग तक ले जाने की बात हो या दिल्ली आरटीआई तक ले जाना हो। यह तो महज़ कुछ प्रश्न हैं जिनका जवाब नहीं मिल पाया है, इसके अलावा भी ऐसे कई सवाल हैं जो अभी तक उठाए ही नहीं गए हैं। ऐसी योजनाएँ हितकारी होती हैं, इनका प्रभाव दूरगामी होती है लेकिन सारी बातें सिर्फ तब प्रासंगिक हो सकती हैं जब इसका लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले। 

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में हिंसा के बीच देश भर में दूसरे चरण का मतदान संपन्न, 61%+ वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में सर्वाधिक डाले गए...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 102 गाँवों में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ।

‘इस्लाम में दूसरे का अंग लेना जायज, लेकिन अंगदान हराम’: पाकिस्तानी लड़की के भारत में दिल प्रत्यारोपण पर उठ रहे सवाल, ‘काफिर किडनी’ पर...

पाकिस्तानी लड़की को इतनी जल्दी प्रत्यारोपित करने के लिए दिल मिल जाने पर सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताते हुए सवाल उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe