द कश्मीर फाइल्स की अपार सफलता के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस्लामी कट्टरपंथियों के बचाव में धड़ाधड़ ट्वीट करके ये साबित करने की कोशिश की है कि 1990 में जो कुछ भी कश्मीर में हुआ उसके पीछे इस्लामी कट्टरपंथी नहीं बल्कि आरएसएस से जुड़े राज्यपाल जगमोहन और भाजपा जिम्मेदार थी। पार्टी ने ‘कश्मीर फाइल्स बनाम सच’ हैशटैग के साथ 9 ट्वीट किए और दावा किया कि जो वो बता रहे हैं वहीं कश्मीरी पंडितों के मामले के तथ्य हैं।
केरल कॉन्ग्रेस द्वारा किए गए ट्वीट में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को मुस्लिमों की हत्या से जोड़ा गया। पहले ट्वीट में कॉन्ग्रेस ने ये दिखाया है कि भले ही 1990 से 2007 के बीच आतंकियों ने 399 कश्मीरी पंडितों को मारा लेकिन इतने ही अंतराल में 15000 मुस्लिम भी आतंकियों द्वारा मारे गए।
अगले ट्वीट में कश्मीरी हिंदुओं के उस पलायन पर सफाई दी गई जिसमें लाखों कश्मीरी इसलिए घाटी से निकले थे क्योंकि रातोंरात मस्जिद से ऐलान हुए थे कि सभी कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर निकल जाएँ, वरना मारे जाएँगे। ऐसे दर्दनाक पलायन पर कॉन्ग्रेस ने सफाई दी कि वो सब तो आरएसएस से जुड़े तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन की वजह से हुआ था जबकि सच ये है कि जगमोहन को राज्यपाल की कुर्सी 19 जनवरी 1990 को मिली और वे 21 जनवरी 1990 को श्रीनगर पहुँचे थे। इस बीच घाटी में कट्टरपंथियों का आतंक शुरू हो गया था।
तीसरे ट्वीट में कॉन्ग्रेस ने बताया कि आतंकी हमलों के बाद भाजपा ने पंडितों को सुरक्षा नहीं दी बल्कि भाजपा के जगमोहन ने उन्हें कहा कि वे लोग जम्मू में आकर रहें। ऐसे में जो पंडित परिवार वहाँ सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे थे उन्होंने घाटी को छोड़ दिया।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस ट्वीट के जरिए ये सुनिश्चित किया कि वो अपने समर्थकों को ये बताएँ कि कश्मीर में जो हिंदुओं के साथ हुआ वो आतंकियों ने किया। इस थ्रेड में कॉन्ग्रेस द्वारा बार-बार मुस्लिमों की हत्या का आँकड़ा देकर ये दिखाते रहने का प्रयास हुआ कि जो कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुआ वही सब कश्मीरी मुस्लिमों ने भी सहा।
भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा की तस्वीर के साथ कॉन्ग्रेस ने कहा कि बीजेपी अयोध्या के राम मंदिर मामले पर देश के हिंदू-मुस्लिमों को बाँट रही थी और पंडितों वाला मामला बीजेपी प्रोपेगेंडे को चुनावों में फायदा देने वाला था।
कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, उन्हें घाटी से निकालने के लिए कट्टरपंथियों की ट्रेनिंग बहुत पहले से शुरू हो गई थी। 1989 से भी बहुत पहले। लेकिन कॉन्ग्रेस के अगले ट्वीट में सारा ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ते हुए ये बताया गया कि कैसे दिसंबर 1989 में वीपी सिंह सरकार आई और पंडितों के पलायन पर उन्होंने कुछ नहीं किया, सिर्फ 1990 के नवंबर तक वीपी सिंह को समर्थन देते रहे।
ट्वीट में भाजपा के लिए कहा गया, “भाजपा जो पंडितों के लिए मगरमच्छ के आँसू बहाती है। उसने दो बार केंद्र में और एक बार जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आने के बाद भी उनकी वापसी के लिए कछ नहीं किया।” कॉन्ग्रेस की शिकायत ये भी है कि उन्होंने कश्मीरी पंडितों के लिए जो जो किया उसका सारा क्रेडिट भााजपा ने ले लिया जबकि यूपीए सरकार ने 15 हजार कश्मीरों को जॉब दी और 6000 पंडितों को जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल किया।
अपनी वाहवाही के लिए कॉन्ग्रेस ने बताया कि यूपीए सरकार ने पंडितों को 5,242 आवास दिए और उन्हें 5-5 लाख रुपए की मदद की, साथ ही 1, 168 करोड़ रुपए की छात्रों को स्कॉलरशिप, किसानों को सहायता और कल्याणकारी योजनाएँ दी।
उल्लेखनीय है कि केरल कॉन्ग्रेस डिजिटल मीडिया सेल के अध्यक्ष पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर हैं। इस हैंडल से किए गए लगातार 9 ट्वीट का सारांश यही है कि कश्मीर में 90 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के साथ जो हुआ वैसा कश्मीरी मुस्लिमों के साथ भी हुआ था। इसके अलावा पंडितों के पलायन के लिए भाजपा जिम्मेदार है इस्लामी कट्टरपंथी नहीं। भाजपा ने अपने प्रोपेगेंडे के लिए इस मामले को भुनाया जबकि कॉन्ग्रेस पार्टी जी जान लगाकर उनकी मदद में जुटी थी।