Friday, May 3, 2024
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केरल सरकार ने दी 2 कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या में गिरफ्तार CPM सदस्यों की पत्नियों को सरकारी नौकरी, SC में कर चुकी है डिफेंड

माकपा के इन कार्यकर्ताओं ने फरवरी 2019 में युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता कृपेश और सारथ लाल की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। तब से ये तीनों न्यायिक हिरासत में हैं।

केरल के कासरगोड जिले में 2019 में दो यूथ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप में न्यायिक हिरासत में बंद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्यों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी गई है। जिला पंचायत ने माकपा (CPIM) सदस्य एम पीतांबरन, सीजे साजी और सुरेश की पत्नियों को जिला सरकारी अस्पताल में नियुक्त किया है।

माकपा के इन कार्यकर्ताओं ने फरवरी 2019 में युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता कृपेश और सारथ लाल की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। तब से ये तीनों न्यायिक हिरासत में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अस्पताल में अंतिम श्रेणी के लोगों के लिए चार रिक्तियाँ थीं, जिसके लिए 100 लोगों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसमें गिरफ्तार आरोपितों के परिवार वालों को तीन पोस्ट दी गई हैं।

दरअसल, केरल सरकार हत्या के आरोपित माकपा पार्टी के कार्यकर्ताओं को बचाने की कोशिश कर रही है। राज्य पुलिस द्वारा दायर चार्ज शीट में अभियुक्तों की बजाए अभियोजन पक्ष के गवाहों को नामित किया गया था। वहीं, जब हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था, तो राज्य सरकार इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गई थी। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने केरल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था।

जिला पंचायत ने आरोपों का खंडन किया

कासरगोड जिला पंचायत के उपाध्यक्ष शनवास पोधुर ने कहा, ”दो युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या में शामिल माकपा पार्टी के कार्यकर्ताओं की पत्नियों की नियुक्ति जानबूझकर नहीं की गई थी।” उन्होंने आगे कहा कि जिला पंचायत द्वारा अस्पताल का प्रबंधन किया जाता है, लेकिन इस बार हम आवेदकों के इंटरव्यू में शामिल नहीं हुए थे। हालाँकि, ऐसी राजनीतिक सिफारिशें आम हैं। यह केवल एक अस्थायी नियुक्ति है। वहीं, सारथ लाल के पिता सत्यनारायणन ने इस नियुक्ति को जघन्य कृत्य कहा है। उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि माकपा हत्यारों के साथ है।”

बताया जा रहा है कि जब दो युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के परिवार वालों ने सीबीआई जाँच की माँग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था, तब पिछली एलडीएफ (LDF) सरकार ने इसका विरोध किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सीबीआई जाँच के खिलाफ दलील देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों पर 90 लाख रुपए खर्च किए थे। हालाँकि, कोर्ट ने पिछले साल मामले को केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) को सौंप दिया था।

फरवरी 2019 में दो युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या

कासरगोड में फरवरी 2019 में 24 वर्षीय कृपेश और 29 वर्षीय सारथ लाल रात में एक स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बाइक से अपने घर लौट रहे थे। तभी कार में आए 3 माकपा कार्यकर्ताओं ने युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहाँ कृपेश की मौके पर ही मौत हो गई थी, वहीं सारथ ने मैंगलोर के अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया था। केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामले की जाँच की थी और 14 सीपीएम कार्यकर्ताओं और नेताओं पर दोहरे हत्याकांड का आरोप लगाया था। लेकिन पुलिस ने मुख्य संदिग्धों को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में नामित किया था।

इस विसंगति के चलते केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने चार्ज शीट को रद्द कर दिया था और 2019 में मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था। हालाँकि, सरकार ने केस डायरी सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया था और खंडपीठ के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील की थी। खंडपीठ द्वारा एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन, शीर्ष अदालत ने भी उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अंतः मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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