Friday, April 26, 2024
Homeराजनीतिनंदीग्राम का नायक: हिन्दू पहचान पर गर्व करने वाले शुभेंदु अधिकारी, जिनके कारण ममता...

नंदीग्राम का नायक: हिन्दू पहचान पर गर्व करने वाले शुभेंदु अधिकारी, जिनके कारण ममता बनर्जी को भी कहना पड़ा- मैं हार मानती हूँ

बीजेपी में शामिल होने के बाद शुभेंदु ने कहा था कि नंदीग्राम से पार्टी जिसको टिकट देगी उसकी जीत की वे गारंटी लेंगे। जब उन्हें ही मैदान में उतारा गया तो उन्होंने खुली घोषणा की थी कि अगर वो नंदीग्राम हारे तो राजनीति छोड़ देंगे।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल सीटें हैं 292। लेकिन जिस एक सीट पर इन चुनावों में सबकी नजर थी वह थी, नंदीग्राम। यहाँ से बीजेपी के तरफ से मैदान में थे शुभेंदु अधिकारी। वही शुभेंदु अधिकारी जो चुनाव से कुछ महीने पहले तक ममता बनर्जी की कैबिनेट का हिस्सा थे। जिनके लिए कहा जाता है कि वे ही ममता को नंदीग्राम ले गए थे, जहाँ से उठी राजनीतिक बदलाव की हवा ने बंगाल में वाम मोर्चा का किला एक दशक पहले ध्वस्त कर दिया था।

अधिकारी परिवार के इस गढ़ में शुभेंदु को चुनौती देने के लिए इस चुनाव में ममता खुद टीएमसी की तरफ से मैदान में थीं। जैसा कि उम्मीद थी कि मुकाबला काँटे का हुआ। पहले खबर आई कि ममता 1200 वोटों के अंतर से जीत गईं हैं। फिर पता पता चला कि 1622 वोटों के अंतर से बाजी शुभेंदु के हाथ लगी है। अंत में ममता ने यह कहकर उनके जीत पर मुहर लगा दी कि ‘मैं हार मानती हूँ’। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद कुछ हेरफेर की गई है। इसको लेकर वह कोर्ट जाएँगी और जल्‍द इसका खुलासा करेंगी।

पश्चिम बंगाल में यूँ तो शुभेंदु अधिकारी कोई नया नाम नहीं है और उनके भाजपा में शामिल होने के बाद इस साल हुए विधानसभा चुनावों में कई बार वो ख़बरों में छाए रहे। पहले उन्होंने कहा था कि भाजपा किसी को भी यहाँ से उम्मीदवार बनाती है तो वे उसकी जीत की गारंटी लेते हैं। फिर उन्हें ही मैदान में उतारा गया। शुभेंदु अधिकारी ने खुली घोषणा की थी कि अगर वो नंदीग्राम हारे तो राजनीति छोड़ देंगे।

जैसा कि हमने बताया है, मेदिनीपुर और आसपास की सीटों पर अधिकारी परिवार का दबदबा है। उनके पिता शिशिर अधिकारी ने 2009 से लगातार काँठी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। उससे पहले वो काँठी दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से 1982, 2001 और 2006 में विधायक चुने गए थे। खुद शुभेंदु तामलुक लोकसभा क्षेत्र से 2009 और 2014 में सांसद रहे हैं। 2016 में उनके इस्तीफे के बाद उनके भाई दिव्येंदु यहाँ से सांसद बने।

2019 में दिव्येंदु ने फिर से जीत दर्ज की। काँठी दक्षिण से शुभेंदु ने पिता की विरासत सँभाली और 2006 में यहाँ से विधायक चुने गए। अब उन्होंने नंदीग्राम से लगातार दूसरी बार (2016, 2021) जीत दर्ज की है। इस तरह से अधिकारी परिवार के इन तीनों सदस्यों ने लगभग एक दर्जन विधानसभा/लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की है। स्थानीय म्युनिसिपल्टी के चुनावों में भी इस परिवार का दबदबा रहा है।

शुभेंदु अधिकारी अपनी हिन्दू पहचान जाहिर करने में कभी पीछे नहीं हटते। कई मौकों पर उन्हें भगवान श्रीराम की तस्वीर वाला ध्वज लहराते हुए देखा गया है तो कई बार मंदिर में मत्था टेकते हुए। इस बार भी अपने नामांकन से पहले उन्होंने जानकी मंदिर में हवन किया था और सिंहवाहिनी मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। उनके मंचों से ‘जय श्री राम’ के नारे लगने आम बात है। दुर्गा पूजा और हिन्दू त्योहारों के साथ भेदभाव को लेकर उन्होंने ममता को कई बार घेरा।

शुभेंदु अधिकारी के पिता मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। 50 वर्षीय शुभेंदु अधिकारी के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उनका नाम शारदा स्कैम में आया था और सितम्बर 2014 में CBI ने उनसे पूछताछ भी की थी, लेकिन वो इन सभी आरोपों से बाहर निकलने में कामयाब रहे। ममता बनर्जी के नंदीग्राम आंदोलन को सफल बनाने में उनकी बड़ी भूमिका थी, जिसके बाद 2011 में TMC पहली बार सत्ता में आई थी।

शुभेंदु अधिकारी को उनके क्षेत्र में लोग ‘दादा’ या ‘भूमिपुत्र’ कह कर भी पुकारते हैं। अपने क्षेत्र के लोगों के लिए वे हमेशा सहज रहे हैं। चुनावी कवरेज के दौरान भी कई कारोबारियों और दुकानदारों ने स्वीकारा था कि कभी न कभी उन्होंने शुभेंदु से मदद ली है। यही कारण है कि TMC के दिनों में इस इलाके में वो ममता बनर्जी के सबसे ज़्यादा विश्वस्त हुआ करते थे। उन्हें 2016 में मंत्री बनाया गया था।

ममता बनर्जी की सरकार में परिवहन मंत्रालय सँभालने वाले शुभेंदु अधिकारी ‘जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ और ‘हुगली रिवर ब्रिज कॉर्पोरेशन’ के अध्यक्ष भी रहे हैं। नंदीग्राम आंदोलन में उनकी नेतृत्व व प्रबंधन क्षमता को देखते हुए ममता बनर्जी ने उन्हें जंगलमहल (पश्चिम मेदिनीपुर, बाँकुरा और पुरुलिया) में TMC का प्रभारी बनाया था। इन 3 जिलों में पार्टी का संगठन खड़ा करने में उनकी ही भूमिका रही है।

उनके आने से पश्चिम बंगाल में भाजपा को एक बड़ा और जमीनी चेहरा मिल गया है, जो अगर आगे जाकर राज्य में पार्टी का नेतृत्व सँभालता है तो ‘बाहरी बनाम भीतरी’ वाला आरोप यूँ ही ख़त्म हो जाएगा। इस चुनाव में भाजपा में आए नेता, पार्टी के नए विधायक और 18 सांसद मिल कर राज्य में अगले 3 वर्षों में एक ऐसा माहौल तैयार कर सकते हैं, जिसका फायदा पार्टी को 2024 और 2026 में ज़रूर मिलेगा। फ़िलहाल तो शुभेंदु की तुलना स्मृति ईरानी की अमेठी विजय से हो रही है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

TMC बांग्लादेशी घुसपैठियों से करवाती है जमीन पर कब्जा, कॉन्ग्रेस उन्हें पैसे बाँटती है: मालदा में PM मोदी का हमला, बोले- अगले जन्म में...

पीएम मोदी ने बंगाल के मालदा में कहा कि TMC बांग्लादेशियों को बुलाती है और जमीन देकर बसाती है। कॉन्ग्रेस उन्हें पैसे देने की बात करती है।

बंगाल के मेदिनीपुर में भाजपा कार्यकर्ता के बेटे की लाश लटकी हुई, TMC कार्यकर्ताओं-BJP प्रदेश अध्यक्ष के बीच तनातनी: मर चुकी है राज्य सरकार...

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि TMC के गुंडे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe