कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी तमिलनाडु के कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू कर रहे हैं। इस यात्रा के लिए उन्होंने ‘आंदोलनजीवियों’ से समर्थन जुटाया है। यात्रा से पहले बुलाई गई एक सभा में योगेंद्र यादव सहित उनके कई साथी जमा हुए थे। आइए, यहाँ हम आपको बताते हैं कि कॉन्ग्रेस ‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह’ के कार्यकर्ताओं समेत किन आंदोलनजीवियों के सहारे इस यात्रा को सफल बनाने की सोच रही है। इसमें वही लोग शामिल हैं, जो CAA विरोधी रहे हैं और ‘किसान आंदोलन’ सहित कई बेमतलब के प्रदर्शनों का हिस्सा रहे हैं।
इनमें से कुछ वामपंथी हैं, कुछ खुद को समाजवादी बताते हैं तो कुछ ने गाँधीवादी का चोला ओढ़ रखा है। सबसे पहला नाम तो इसमें योगेंद्र यादव का ही है, जो CAA के विरोध के समय एक्टिविस्ट बन गए थे और ‘किसान आंदोलन’ के समय किसान। उन्होंने आंदोलनजीवियों का ‘राजा बाबू’ तो कहा ही जाता है। उनके अलावा हैं मेधा पाटकर। वही मेधा पाटकर, जिन्होंने नर्मदा बचाने के नाम पर आंदोलन कर के दशकों तक कच्छ के लोगों को पानी के लिए तरसाए रखा।
पर्यावरण के नाम पर विकास परियोजनाओं को रोक कर लोगों को परेशान करना मेधा पाटकर का पुराना पेशा है। हाल ही में AAP द्वारा उन्हें गुजरात में मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाए जाने की भी अटकलें थीं, लेकिन बगावत के कारण इसे रोक दिया गया। फिर नाम आता है अरुणा रॉय का, जिनका जन्म सरकारी अधिकारियों के परिवार में हुआ था और वो खुद भी IAS में रही हैं। वो ‘मजदूर किसान शक्ति संगठन’ चलाती हैं।
‘अर्बन नक्सलियों’ की समर्थक अरुणा रॉय गाँधी परिवार की पुरानी वफादार हैं और यूपीए काल में देश चलाने के लिए सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में जो सलाहकार समिति बनी थी, उसकी वो सदस्य रही हैं। उन्होंने NDTV पर आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश और दंगों के आरोपितों का बचाव किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज बीजी कोलसे पाटिल भी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गाँधी के साथ हैं। राजनीति में भी वो किस्मत आजमा चुके हैं।
CAA विरोधी रैली के दौरान उन्होंने मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा था कि तुमलोग जनसंख्या में 20 -25 करोड़ हो, ऐसे में पुलिस से कोई डर नहीं होना चाहिए। फिर नाम आता है अली अनवर अंसारी का, जो पसमांदा मुस्लिमों के नाम पर अपने ठेका चलाते हैं। फ़िलहाल वो बिहार में जातिगत जनगणना अभियान में भी सक्रिय हैं। महात्मा गाँधी के बेटे मणिलाल के पोते तुषार गाँधी का भी समर्थन है इस यात्रा को। वामपंथी आतंकियों का वो बचाव कर चुके हैं।
डॉक्टर सुनीलम, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना पर भ्रष्टाचार के मनगढंत आरोप लगा थे, राहुल गाँधी की इस यात्रा को उनका भी समर्थन है। मेधा पाटकर और गुजरात दंगों में निर्दोषों को फँसाने की साजिश रचने वाले तीस्ता सीतलवाड़ का उन्होंने बचाव किया था। सफाई कर्मचारियों के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले बेजवाड़ा विल्सन का नाम भी इसमें शामिल है। अर्बन नक्सलियों के वो भी समर्थक हैं।
#WATCH | "India is intact. We're one nation. Congress disintegrated India in 1947. If Rahul Gandhi has any regret that his grandfather made a mistake, there's no use of Bharat Jodo Yatra in India. Try to integrate Pakistan, Bangladesh & work for Akhand Bharat..," says Assam CM. pic.twitter.com/W1ZbWV4rOG
— ANI (@ANI) September 7, 2022
अब आते हैं देवानुरा महादेव पर, जो कन्नड़ लेखक हैं और मोदी सरकार पर उद्योगपतियों के हित के लिए काम करने का आरोप मढ़ चुके हैं। पूर्व प्रोफेसर गणेश एन देवी का भी इस यात्रा को समर्थक है, जो खुद को आदिवासी कार्यकर्ता बताते हैं। कथित गाँधीवादी पीवी राजगोपाल का भी राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को समर्थन है। तथाकथित पत्रकार मृणाल पांडे, अजीबोगरीब लेख लिखती रहती हैं और कॉन्ग्रेस के मुखपत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़ी रही हैं, उन्हें तो इस यात्रा को समर्थन देना ही था। भारत मुस्लिमों के बीच बार-बार डर फैलाने वाली ‘योजना आयोग’ की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद से भी राहुल गाँधी मिले थे।