कोटा के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर से अब तक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। मौत के इस सिलसिले ने राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार के नकारेपन को उजागर कर दिया है। शनिवार (4 जनवरी 2020) को यह अस्पताल कोटा के कॉन्ग्रेसियों की गुटबाजी का भी शिकार बन गया। अस्पताल में ही कॉन्ग्रेस के दो गुट भिड़ गए। लात-घूॅंसों की बौछार के बीच कपड़े तक फाड़ डाले गए। जायजा लेने पहुॅंचे राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी धक्का-मुक्की से बच नहीं पाए।
Rajasthan: Infant death toll in Kota’s JK Lon Hospital rises to 110. pic.twitter.com/cPKH9VLpKp
— ANI (@ANI) January 5, 2020
राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक पायलट जैसे ही पहुॅंचे, अस्पताल के भीतर जाने के लिए कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। रोके जाने पर कॉन्ग्रेसियों ने हंगामा किया। इस दौरान पायलट भी अपने ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की धक्का-मुक्की की चपेट में आ गए। पायलट के जाने के बाद प्रदेश कॉन्ग्रेस सचिव नईमुद्दीन गुड्डु और उसके समर्थकों ने कॉन्ग्रेस नेता कुंदन यादव को अस्पताल परिसर में ही पीट डाला। कुंदन के कपड़े तक फाड़ डाले। किसी तरह पुलिस ने उन्हें बचाया। कॉन्ग्रेसियों के इस बवाल के कारण मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ी। काफी देर तक अस्पताल में अराजकता का माहौल रहा।
वहीं, अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद पायलट ने अपनी ही सरकार के लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि हम सालभर से सरकार चला रहे है। ऐसे में पूर्ववर्ती सरकार पर इल्जाम लगाने का कोई तुक नहीं बनता है। बकौल पायलट, सबकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
पायलट से पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने भी अस्पताल का दौरा किया था। इस दौरान उनके ही एक दावे की पोल खुल गई थी। शर्मा ने अस्पताल की खस्ताहालत का दोष पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर मढ़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि कॉन्ग्रेस ने 2012 में इस अस्पताल के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया था। लेकिन, सरकार बदलने के बाद 5 करोड़ के बदले 1.7 करोड़ रुपए ही जारी किए गए। अब पता चला है कि अस्पताल के पास 6 करोड़ रुपए पड़े थे। लेकिन, इनका इस्तेमाल उपकरण वगैरह को ठीक करने के लिए नहीं किया गया।
इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोटा में बच्चों की मौत को नागरिकता संशोधन कानून से भी जोड़ चुके हैं। 2 जनवरी को उन्होंने कहा था, “सीएए के खिलाफ पूरे देश में जो माहौल बना हुआ है, उससे ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। मैं पहले ही कह चुका हूॅं इस साल शिशुओं की मौत के आँकड़ों में पिछले कुछ सालों की तुलना में काफी कमी आई है।”