केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI ने मंगलवार (16 मई 2023) को राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबीयों के 9 ठिकानों पर छापेमारी की। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में बिहार से लेकर दिल्ली तक छापेमारी की गई। मिली जानकारी के मुताबिक, सुबह ही सीबीआई की टीम विधायक किरण देवी के पटना और भोजपुर स्थित घर पर छापेमारी करने पहुँची। इसके अलावा जाँच एजेंसी ने दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा में आरजेडी के राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता के आवास और ठिकानों पर भी रेड मारी।
Bihar | CBI raids underway at the residence of RJD MLA Kiran Devi in Arrah. (Outside visuals) pic.twitter.com/CD2PCMFOpQ
— ANI (@ANI) May 16, 2023
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, लैंड फॉर जॉब घोटाले की जाँच कर रही सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने एक साथ विधायक किरण देवी के पटना और भोजपुर के अगियाँव के आवास पर रेड मारा। किरण देवी पूर्व विधायक अरुण यादव की पत्नी हैं। नाबालिग से रेप केस में फँसने के बाद अरुण यादव पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सके थे। लालू के करीबी माने जाने वाले अरुण यादव ने अपनी जगह पत्नी किरण देवी को को विधानसभा चुनाव लड़ाया। अरुण यादव बिहार के बड़े बालू कारोबारियों में शामिल हैं।
CBI raids underway at Delhi residence of RJD Rajya Sabha MP Prem Chand Gupta. pic.twitter.com/VRG99yEghN
— ANI (@ANI) May 16, 2023
बिहार के अलावा सीबीआई की टीम ने राजद के राज्य सभा एमपी प्रेमचंद गुप्ता के दिल्ली एनसीआर के ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई की टीम ने गुरुग्राम, नोएडा और दिल्ली स्थित आवास पर छापा मारा। प्रेमचंद गुप्ता भी लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। खबर लिखे जाने तक राज्य सभा सांसद के दिल्ली आवास पर छापेमारी कार्रवाई जारी थी।
बता दें कि 8 मई, 2023 को जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल करने के लिए समय माँगा। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 1 जून 2023 को तय की है। सीबीआई के अलावा ईडी भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जँच कर रही है।
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम मामला?
उल्लेखनीय है कि 14 साल पहले जिस समय यह घोटाला हुआ था, उस समय लालू प्रसाद यादव यूपीए-1 शासनकाल में केंद्रीय रेल मंत्री थे। उस समय नौकरी के देने बदले लालू प्रसाद यादव के परिजनों को पटना में करीब 1.05 लाख वर्ग फुट जमीन अधिग्रहित की गई थी। इस घोटाले में बिना विज्ञापन निकाले रिश्वत देने वाले अभ्यार्थियों को तीन दिन के अंदर रेलवे में नौकरी दे दी गई थी। इतना ही नहीं, इन उम्मीदवारों ने नौकरी के लिए झूठे स्थानांतरण प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया है और रेल मंत्रालय में झूठे प्रमाणित दस्तावेज भी जमा कराए थे।