बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, उसमें राजस्थान के चुरू लोकसभा सीट से देवेंद्र झाझरिया का भी नाम है। देवेंद्र झाझरिया बेहद जीवट रखने वाले व्यक्ति हैं। वो पैरालंपिक खेलों में हिंदुस्तान के सबसे सफल खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने 2 पैरालंपिक गोल्ड मेडल, एक सिल्वर मेडल और एक कांस्य पदक जीता है। बचपन में महज 8 साल की उम्र में ही अपना हाथ गवाँ देने वाले देवेंद्र झाझरिया भाला फेंक के खिलाड़ी हैं। एथेंस पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक, इंचियोन दक्षिण कोरिया पैरा एशियन गेम्स में रजत और चीन के ग्वाऊ च्युयानलिंग में कांस्य पदक जीतकर विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया।
जिंदगी की मुश्किल चुनौतियों का हंसकर सामना करने वाले 42 साल के झाझरिया थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के तौर पर जाने जाने वाले चुरू से अपनी राजनीति पारी का भी आगाज कर रहे हैं। राजस्थान के इस क्षेत्र को गर्मी और सर्दी के मौसम में अपने रिकॉर्ड तापमान के लिए भी जाना जाता है। बचपन में त्रासदी झेलने वाले झाझरिया ने सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए काफी संघर्ष किया। अब उन्हें चुरु की उस लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है, जहाँ बीजेपी साल 1999 से लगातार जीतती रही है।
पद्म श्री, पद्म भूषण और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित
देवेंद्र झाझरिया इस चुनाव में सबसे डेकोरेटेड खिलाड़ी हैं, जिन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया है। उन्हें साल 2012 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिन्हें पहले पैरा-एथलीट के रूप में यह उपलब्धि हासिल हुई थी। 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और 2022 में पद्म भूषण से भी उन्होंने भारत के सर्वोच्च खेल सम्मानों को प्राप्त किया। उन्हें साल 2004 में अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। खास बात ये है कि एफ46 भाला फेंक 2008 और 2012 पैरालंपिक का हिस्सा नहीं था, वर्ना उनके पदकों की संख्या और भी ज्यादा होती।
देवेंद्र झाझरिया की पत्नी भी खिलाड़ी
देवेंद्र झाझरिया की पत्नी का नाम मंजू है। वो राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी रह चुकी हैं। वो हर कदम पर अपने पति का साथ देती हैं। वहीं, देवेंद्र झाझरिया के पिता की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। साल 2020 में नेशनल गेम्स के दौरान वो पदक जीतने के बाद अपने पिता की याद में रो पड़े थे।
चुरू लोकसभा सीट का इतिहास
चुरू को बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है। बीजेपी के लिए साल 1991 में पहली बार राम सिंह कासवान ने ये सीट जीती थी, इसके बाद दो चुनाव में कॉन्ग्रेस को जीत मिली, लेकिन 1999 में राम सिंह कासवान ने ये सीट फिर से जीत ली और इसके बाद उन्होंने 2004 और 2009 में भी जीत दर्ज की। साल 2014 और 2019 में राहुल कासवान ने ये सीट बीजेपी के कब्जे में रखी। राहुल कासवान राम सिंह कासवान के ही बेटे हैं। पिता-पुत्र की इस जोड़ी की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी अब देवेंद्र झाझरिया के पास है।
बीजेपी की 25 सीटों में से 15 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा
बीजेपी ने 25 लोकसभा सीटों वाले राजस्थान के लिए 15 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। पहली लिस्ट के अनुसार, राजस्थान में पांच लोकसभा सांसदों के टिकट इस बारे काटे गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जहां कोटा से चुनाव लड़ेंगे, वहीं बीजेपी ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए दो नेताओं को भी टिकट दिया है। बता दें कि साल 2014 में भाजपा ने राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2019 में बीजेपी ने गठबंधन के तहत नागौर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी थी, जहाँ बेनीवाल ने जीत हासिल की, वहीं, BJP ने बाकी 24 सीटें जीती थी। इस तरह से राजस्थान में एनडीए ने क्लीनस्वीप किया था।