ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और इस बीच राज्यपाल ने 16 मार्च यानी सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया है। कॉन्ग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार के लिए संकट कम होने का नाम नहीं ले रहे। राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दे दिए हैं। राज्यपाल ने इसके लिए विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा है।
बता दें कि विधानसभा का सत्र भी 16 मार्च को सुबह 11 बजे से शुरू होना है और राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा। मतदान बटन दबाकर की किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी विधानसभा स्वतंत्र व्यक्तियों से कराएगी।
मध्यरात्रि जारी पत्र में राज्यपाल ने कहा कि सरकार अभिभाषण के ठीक बाद बहुमत साबित करे। विश्वास मत विभाजन के आधार पर बटन दबाकर होगा, अन्य किसी तरीके से नहीं। इसकी संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाए। यह कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च को प्रारंभ होगी और स्थगित, विलंबित या निलंबित नहीं की जाएगी। कमलनाथ को भेजे पत्र राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 व 175 (2) एवं अन्य संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने का आदेश दिया है।
राज्यपाल द्वारा कमलनाथ को भेजे गए पत्र में कहा गया है, “मुझे सूचना प्राप्त हुई है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के 22 विधायकों द्वारा अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित किया है। इन विधायकों ने अपने पद त्याग करने की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों माध्यमों से भी दी है। मैंने इस बाबत मीडिया कवरेज को ध्यान से देखा है। मुझे भी इन 22 विधायकों ने अपने पृथक-पृथक पत्र दिनांक 10.03.2020 द्वारा त्याग पत्र भेजे हैं। 22 में से 6 विधायक जो आपकी सरकार में मंत्री थे, जिन्हें आपकी अनुशंसा पर मंत्री पद से हटाया गया था, उनका विधानसभा अध्यक्ष द्वारा त्यागपत्र भी आज स्वीकार कर लिया गया है।”
पत्र में आगे लिखा है, “आपने भी स्वयं अपने पत्र दिनांक 13.03.2020 द्वारा विश्वासमत हासिल करने सी सहमति दी है एवं मुझे विधानसभा के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी से भी एक ज्ञापन प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने उक्त परिस्थितियों का उल्लेख किया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा त्यागपत्र देने वाले एवं अन्य सदस्यों पर अवांछित दवाब बनाया जा रहा है।”
आगे राज्यपाल ने लिखा है, “उपरोक्त से मुझे प्रथमदृष्टया विश्वास हो गया है कि आपकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और आपकी सरकार अल्पमत में है। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है। इसलिए संवैधानिक रुप से अनिवार्य एवं प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक हो गया है कि दिनांक 16.03.2020 को मेरे अभिभाषण के तत्काल पश्चात आप विधानसभा में विश्वासमत हासिल करें। इस संबंध में अनुच्छेद 174 सहपठित 175 (2) एवं मुझमें निहित अन्य संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं निर्देश देता हूँ कि 16 मार्च को को 11 बजे मेरे अभिभाषण के तत्काल बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा।”
इससे पहले भाजपा ने 16 मार्च से पहले विधानसभा का सत्र बुलाने और फ्लोर टेस्ट की माँग की थी। प्रदेश में बीजेपी बहुत ही कॉन्फिडेंट नजर आ रही है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा नेता गोपाल भार्गव और डॉ. नरोत्तम मिश्र सारे हालात पर नजर रख रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि बजट सत्र में राज्यपाल मौजूदा सरकार के कामकाज का ब्यौरा देते हैं लेकिन जब सरकार ही अल्पमत में है तो इसका सवाल ही नहीं उठता।
बता दें कि जिन 22 विधायकों ने मुख्यमंत्री को इस्तीफे सौंपे हैं, अगर स्पीकर भी उनका इस्तीफा स्वीकार करते हैं तो उन विधायकों की सदस्यता चली जाएगी और ऐसे में सरकार में 99 विधायक रह जाएँगे। फिलहाल स्पीकर ने 6 मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार किए हैं इसलिए सरकार में 115 विधायक हैं। सभी के इस्तीफे स्वीकार होने पर विधानसभा में बहुमत का आँकड़ा 104 पर आ जाएगा। ऐसे में बीजेपी विप जारी करके फ्लोर टेस्ट में बाजी मार सकती है और कमलनाथ की सरकार गिर सकती है।
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