Saturday, November 16, 2024
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हनी ट्रैप: बरखा ने लगाए थे कॉन्ग्रेस मुख्यालय के कई चक्कर, पुलिस को मिले ब्लैकमेलिंग के 90 वीडियो

श्वेता ने यह भी बताया कि हनी ट्रैप का मुख्य उद्देश्य सरकारी ठेके, एनजीओ को फंडिंग करवाना और हाई प्रोफ़ाइल लोगों को अपने जाल में फँसाना था। श्वेता ने बताया कि उसने कई बड़ी कंपनियों को ठेके दिलवाने में मदद की। श्वेता के इस काम में उसकी साथी आरती दयाल ने अहम भूमिका निभाई।

मध्य प्रदेश का हनीट्रैप कांड सुर्ख़ियों में छाया हुआ है। इस मामले में आए दिन नए ख़ुलासे हो रहे हैं। ताज़ा समाचार के तहत इस मामले में कॉलेज छात्राओं के इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आ रही है। हनी ट्रैप रैकेट की मुख्य आरोपित श्वेता जैन ने पूछताछ के दौरान SIT को बताया कि मध्यवर्गीय परिवार से आने वाली 20 से अधिक छात्राओं को ऑफ़िसर्स के पास भेजा गया।

श्वेता ने यह भी बताया कि हनी ट्रैप का मुख्य उद्देश्य सरकारी ठेके, एनजीओ को फंडिंग करवाना और हाई प्रोफ़ाइल लोगों को अपने जाल में फँसाना था। श्वेता ने बताया कि उसने कई बड़ी कंपनियों को ठेके दिलवाने में मदद की। श्वेता के इस काम में उसकी साथी आरती दयाल ने अहम भूमिका निभाई। 

इसके अलावा, श्वेता की एक और सहेली बरखा सोनी का नाम सामने आया है जो सेक्स रैकेट के रुपए को सुरक्षित रखने के लिए समर्थ समाज सेवा संस्थान समिति नाम की एनजीओ चलाती थी। बरखा सोनी नई दिल्ली में कॉन्ग्रेस मुख्यालय के बार-बार चक्कर लगाती थी और इस बात का सबूत उसकी फेसबुक वॉल को देखकर लग जाएगा, जो कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रमुख चेहरों के साथ ली गई तस्वीरों से भरी हुई है।

एमपी पुलिस की विशेष जाँच टीम (SIT) ने ख़ुलासा किया कि इस साल 19 जनवरी को श्वेता ने एक रियल एस्टेट और निर्माण कंपनी, दीप्तिमंथम एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी निर्माण परियोजनाओं में शामिल कराने के लिए लॉन्च की थी। इसके लिए उसे कुछ आईएएस अधिकारियों का संरक्षण भी प्राप्त था। छ: महीने बाद, 26 जुलाई को, उसने सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर से संबंधित कॉन्ट्रैक्ट के लिए एक और कंपनी लॉन्च की। आरती दयाल को इस कंपनी का निदेशक नियुक्त किया गया, जबकि श्वेता इस फर्म की प्रबंध निदेशक बन गई।

हाई प्रोफ़ाइल हनी-ट्रैप रैकेट की जाँच के लिए SIT गठित किए जाने के बाद, इस मामले में एक पूर्व कॉन्ग्रेस आईटी सेल के उपाध्यक्ष की पत्नी समेत पाँच महिलाओं को गिरफ़्तार किया गया था।

इससे पहले इस सेक्स रैकेट मामले में भोपाल के कई मीडियाकर्मियों के नाम सामने आए थे, जो दलाली का काम करते थे। मीडियाकर्मियों ने कथित तौर पर पीड़ित नौकरशाहों, मंत्रियों और रैकेट की श्वेता जैन के बीच दलाल के तौर पर सौदे करवाने में मदद की थी। इन मीडियाकर्मियों में एक हिंदी समाचार पत्र के क्षेत्रीय संपादक, एक समाचार चैनल के कैमरामैन और क्षेत्रीय सैटेलाइट चैनल के मालिक का नाम शामिल था।

ग़ौरतलब है कि इस पूरे कांड में जाँच टीम के हाथों एक एक हिट लिस्ट हाथ लगी थी, जिसमें 13 आइएस अधिकारियों के नाम सामने आए थे, जिन्हें लड़कियों ने प्रेम में फँसाया था और उनकी सेक्स वीडियो दिखाकर उनसे पैसे माँगने वाले थे। पुलिस को इस ब्लैकमेल करने वाले गिरोह से अभी तक 90 वीडियो मिल चुके हैं। इनमें सियासत से जुड़े लोगों से लेकर कई ब्यूरोक्रेट्स के चेहरे उजागर हुए। गिरोह में शामिल महिलाओं के पास से 8 सिम कार्ड भी मिले थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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