Saturday, November 9, 2024
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‘हमला हमारे ही त्योहारों पर क्यों’: राजदीप सरदेसाई को MP के गृहमंत्री ने लताड़ा, लिबरल थेथरई का अब हर हिंदू को ऐसे ही देना होगा जवाब

दोहरे रवैये वाले सेकुलरों के बीच रहते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री की तरह सवाल पूछना जरूरी हो जाता है कि हमारे ही धार्मिक आयोजनों पर हमले क्यों होते हैं? क्यों हिंदुओं की शोभा यात्रा को निशाना बनाया जाता है?

मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के मौके पर हिंदुओं की शोभा यात्रा को जान-बूझकर निशाना बनाए जाने के बाद जो हिंसा भड़की, उसमें उपद्रवियों द्वारा कई दुकानों, मकानों को आग लगाया गया। इसके बाद मंदिरों में जो तोड़फोड़ हुई वो अलग और जो आधा दर्जन पुलिसकर्मी समेत 24 से ज्यादा लोग घायल हुए वो अलग…। छानबीन में सामने आया कि ये कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थी बल्कि इसके लिए पहले से तैयारी की गई थी। छतों पर पत्थर और पेट्रोल बम इकट्ठा थे ताकि शोभा यात्रा पर फेंके जा सकें।

प्रशासन को भी जब तथ्यों को पता चला तो उन्होंने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए और उपद्रवियों के घर बुलडोजर चलाया गया। अब पूरे घटनाक्रम को देखें तो मामला हिंदुओं पर हमला किए जाने से शुरू हुआ। मगर, जो वामपंथी लिबरल खेमा है उसे दिक्कत इस बात से नहीं है कि आखिर कैसे हिंसा को भड़काया गया। उन्हें मलाल इस बात का है कि प्रशासन आखिर उन उपद्रवियों की संपत्तियों पर कैसे बुलडोजर चला सकती है जो इस देश के अल्पसंख्यकों में आते हैं।

द वायर की आरफा खानुम शेरवानी को पढ़िए। उपद्रवियों के घर पर चलाए गए बुलडोजर से नाराज आरफा लिखती हैं कि ये बुलडोजर सिर्फ मुस्लिमों के घर तक नहीं रुकेगा बल्कि सबका नंबर आएगा। आरफा पूछती हैं, “किस कानून के तहत मुस्लिमों के घर खरगोन में गिराए जा रहे हैं? किस कानून ने ऐसा करने का अधिकार दिया है? क्या कोर्ट अब इस भारत में काम कर रहे हैं?”

सबा नकवी इस एक्शन से आहत होकर लिखती हैं, “तो संक्षेप में भारत में कानून की स्थिति ये है कि अगर मेरे पड़ोस में या इमारत में एक व्यक्ति या समूह दुर्व्यवहार करता है और वहाँ मुसलमान रहते हैं तो पूरे ब्लॉक को नीचे गिरा दिया जाएगा।” वह एनडीटीवी से बातचीत में कहती हैं, “ जब अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा से भरे भाषण दिए जाते हैं, तब तो कोई गिरफ्तारी नहीं होती।”

उपद्रवियों से हमदर्दी रखने वालों की लिस्ट में आरफा-सबा जैसे कई सेकुलरवादी हैं। स्वाति चतुर्वेदी ने भी अपने ट्वीट में शिवराज सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए लिखा है- मोदी और उनके मुख्यमंत्री अब कानून पर, प्रक्रिया पर और लोकतंत्र पर बुलडोजर चला रहे हैं।

दिलचस्प बात ये है कि अगर आप इन सेकुलरवादी, कट्टर विचारों वाले, या वामपंथी स्वभाव के लोगों के ट्विटर हैंडल खंगालेंगें तो आपको पता चलेगा कि इनके सवाल ये कहीं नहीं है कि आखिर हिंदुओं की यात्रा पर पथराव करके माहौल बिगाड़ने का क्या मतलब था बल्कि इनकी चिंता तो ये है कि आखिर कैसे प्रशासन उपद्रवियों के विरुद्ध इतनी सख्त कार्रवाई कर रहा है।

राजदीप को MP गृहमंत्री ने लताड़ा

राजदीप सरदेसाई, जो वामपंथी खेमे के वरिष्ठ माने जाते हैं उन्होंने हाल में अपने शो में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री से इस बाबत सवाल-जवाब करके अपनी खूब फजीहत कराई है। जैसे उनका सवाल देखिए- शिवराज सरकार मुस्लिम दंगाइयों को निशाना बना रही है पर हिंदू या हिंदुत्व दंगाइयों को कोई कुछ नहीं कह रहा?

राजदीप के इस सवाल का नरोत्तम मिश्रा ने दो टूक जवाब दिया। वह बोले- “क्या हमने रीवा में कार्रवाई नहीं की उस पंडित के खिलाफ जिस पर रेप के आरोप लगे थे।” उन्होंने राजदीप को लताड़ते हुए कहा, “आपको सिर्फ यही दिखाई देता है, दिक्कत इतनी ही है। रीवा में पंडित ने जो किया था उसके बाद साधू के संत के घर तोड़े थे न। लेकिन आपको दिखते सिर्फ यही हैं।”

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री से लताड़ लगने के बाद राजदीप ने फिर अगला सवाल ओवैसी के कंधे पर रखकर पूछा। उन्होंने कहा “आप धर्म का इस्तेमाल करके राम नवमी पर नफरत फैलाना चाहते हैं, हिंदुत्व का राज करना चाहते हैं।” इस सवाल को सुन मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने कहा, “ओवैसी जैसे लोगों के मन में हम प्रेम भी पैदा नहीं करना चाहते। हमने उनका प्रेम देखा है कैसा है। ये मैंने बताया न कि ये क्रोनोलॉजी है जो देश में चल रही है और आप जैसी चर्चाओं से कभी कभी गलत दिशा में चली जाती है। राम नवमी साल में एक दिन आती है और 12 जगह देश में दंगा हो जाता है। ये सब हमारे त्योहारों पर ही होता है न उनके त्योहारों पर नहीं होता कभी।”

राजदीप ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आखिर क्यों कुछ नहीं किया जबकि अगर पुलिस चाहे तो कोई दंगा नहीं हो सकता। राजदीप का सवाल सुन नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “पुलिस अगर नहीं होती तो एसपी को गोली कैसे लगती, टाआई का सिर कैसे फटता, जवान घायल कैसे होते। मगर, ये लोग पहले से तैयारी किए हुए थे। उनके पास पत्थर थे, असला था, बंदूक थी, कट्टे थे। तभी तो गोली चली है।”

राजदीप ने प्रशासन कार्रवाई से आहत होकर कहा कि आखिर उनकी सरकार भाईचारा कैसे फैलाएगी अगर बार-बार इसी तरह डर बनाने का काम करेगी। इस पर राज्य गृहमंत्री ने कहा, “जब तक दंगाइयों के फन नहीं कुचले जाएँगे तब तक भाईचारा नहीं फैल पाएगा। इसलिए इन्हें सबक सिखाना जरूरी है।”

राजदीप ने गृहमंत्री के सामने ये मुद्दा उठाया कि बिहार में जैसे लोग मस्जिद के सामने जाकर नारेबाजी कर रहे हैं क्या आप धार्मिक जुलूस से अपनी ताकत का प्रदर्शन चाहते थे? यह सवाल सुन नरोत्तम मिश्रा भड़क गए। उन्होंने राजदीप की फजीहत करते हुए कहा, “आपको तो यही लगेगा।” उन्होंने पूछा कि आखिर धार्मिक जुलूस में कहाँ भाजपा या कॉन्ग्रेस का झंडा दिखाई दिया जो राजदीप को वो जूलूस राजनैतिक लग गया। नरोत्तम मिश्रा ने ये पूछे जाने पर कि क्या बुलडोजर पॉलिटिक्स का थोड़ा भी दुख है या नहीं, वह बोले जो गलती करेगा वो सजा को भुगतेगा।

रामनवमी पर अलग-अलग जगह हुआ माहौल बिगाड़ने का प्रयास

आपको जानकर हैरानी होगी कि लिबरल और वामपंथियों में जितनी सुगबुगाहट उपद्रवियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलता देखकर हुई उतना उन्हें उस राम नवमी वाले दिन भी नहीं हुई जब केवल खरगोन में ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों में राम नवमी की शोभा यात्रा को निशाना बनाया गया। आप देखें चाहे राजस्थान का करौली, बंगाल का हावड़ा, गुजरात का हिम्मतनगर, झारखंड का लोहारगढ़ या कर्नाटक का मुलबगल हो… हर जगह शोभा यात्रा को निशाना बनाकर यह सबूत दिया गया कि हिंदू त्योंहारों के लिए कितनी घृणा लोगों के मन में हैं मगर, इन सबके बाद भी लिबरलों की आँख बंद रही। ये नींद टूटी जब दंगाइयों पर कार्रवाई होनी शुरू हुई।

अब भी इन लोगों के जरिए या इनके अकॉउंट पर अगर संबंधित घटना या कार्रवाई पर बात हो रही है तो वो या तो मोदी सरकार की आलोचना के एंगल से हो रही है या फिर प्रशासन के एक्शन पर हो रही है। इनके लिए वो राजस्थान का करौली चर्चा का कारण नहीं है जहाँ 10-12 किलो के पत्थर छतों से हिंदुओं की शोभा यात्रा पर फेंके गए, मगर प्रशासन ने दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई की जगह हिंदू त्योहार के समय जगह-जगह धारा 144 लगा दी और वहीं दूसरी ओर रमजान के समय में दूसरे समुुदाय को पूरी-पूरी बिजली देने का वादा कर दिया।

ऐसे दोहरे रवैये वाले सेकुलरों के बीच रहते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री की तरह सवाल पूछना जरूरी हो जाता है कि हमारे ही धार्मिक आयोजनों पर हमले क्यों होते हैं? क्यों हिंदुओं की शोभा यात्रा को निशाना बनाया जाता है? क्यों वामपंथी ये मानते हैं कि हिंदुओं पर हमला हिंदुओं की गलती है कि आखिर वह मुस्लिम इलाके में अपना जुलूस लेकर गए कैसे?

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