मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र से पिंड छुड़ाने की कोशिश में एनसीपी (NCP) और उलझती ही जा रही है। सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सजिन वाजे को 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया था। देशमुख का बचाव करते हुए एनसीपी सुप्रीम शरद पवार ने कहा था कि पत्र में जिस समय की बात की गई है उस वक्त गृह मंत्री अस्पताल और क्वारंटाइन में थे।
सोमवार को पवार ने दावा किया कि देशमुख 15 से 27 फरवरी तक नागपुर में थे। पवार ने इसके जरिए यह साबित करने की कोशिश की थी कि फिर इस दौरान मुंबई में वाजे और देशमुख की मुलाकात कैसे संभव है। लेकिन, इस दावे को देशमुख ने ही गलत साबित कर दिया है। उन्होंने बताया है कि वे एक प्राइवेट प्लेन से नागपुर से मुंबई गए थे।
This has been brought to my notice that Maharashtra HM Shri @AnilDeshmukhNCP who was detected #covid positive in February got discharged from hospital on 15th February and advised to be home quarantine between 15th to 27th February. During this period, he was house quarantined.
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) March 22, 2021
ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर देशमुख ने कहा है कि नागपुर में 15 फरवरी को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इसके तत्काल बाद आवश्यक अनुमति और सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए होम क्वारंटाइन के लिए वे मुंबई निकल गए। उनका दावा है कि इसके बाद 27 फरवरी तक वह होम क्वारंटाइन में रहे।
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) March 23, 2021
इस वीडियो में कई कट और एडिट नजर आते हैं।
एबीपी न्यूज के पत्रकार विकास भदौरिया ने ट्विटर पर यात्रा दस्तावेज साझा करते हुए कहा है कि देशमुख प्राइवेट प्लेन से नागपुर से मुंबई गए थे। 15 फरवरी को अनिल देशमुख के नाम से एक प्राइवेट प्लेन का यात्रा दस्तावेज उन्होंने साझा किया है।
Sharad Pawar says Anil Deshmukh was home quarantined in Nagpur. But this document shows he traveled to Mumbai in a private plane. https://t.co/BAgp27peVm pic.twitter.com/wZpUNLIYa2
— Vikas Bhadauria (ABP News) (@vikasbha) March 22, 2021
इससे पहले जब पूछा गया था कि अनिल देशमुख कैसे क्वारंटाइन और आइसोलेशन में थे कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर रहे थे और खुलेआम घूम भी रहे थे, तो शरद पवार अस्पताल के कागजात दिखाने लगे थे। उन्हें इसका कोई जवाब नहीं सूझा। उन्होंने नागपुर के एलेक्सिस अस्पताल के डिस्चार्ज पेपर दिखाए थे। बाद में उसी अस्पताल के कागजात से पता चला कि उस अवधि में अनिल देशमुख को घूमने-फिरने की पूरी अनुमति थी और उन्हें किसी प्रकार के क्वारंटाइन की सलाह नहीं दी गई थी।
इस मामले में 5 बड़े सवाल उठते हैं, जिनका जवाब शरद पवार को देना चाहिए। सबसे पहला सवाल तो यही है कि जिस अवधि में अनिल देशमुख प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, कॉन्ग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिल रहे थे और अपने मृत सुरक्षा गार्ड के परिजनों को सांत्वना देने उसके घर गए थे – तब उनके क्वारंटाइन, आइसोलेशन या फिर में होने के दावों के लिए जो कागजात शेयर किए गए, क्या वो फर्जी थे? खुद शरद पवार और अनिल देशमुख के बयानों में विरोधाभास है। जहाँ पवार ने कहा है कि देशमुख फरवरी में नागपुर में क्वारंटाइन में थे, वहीं देशमुख ने अपने बयान में खुद के मुंबई में क्वारंटाइन होने की बात कही है।
शरद पवार ने पत्रकारों द्वारा सवाल पूछने के बाद यहाँ तक दावा कर दिया कि अनिल देशमुख ने फरवरी 15 को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। क्या वो ठीक उसी तरह झूठ बोल रहे हैं जैसे उन्होंने 1993 बम ब्लास्ट में मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने के लिए मस्जिद में बन होने की झूठी अफवाह फैला दी थी? तीसरा सवाल ये है कि अगर देशमुख को सच में क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गई थी तो फिर वो घूम-घूम कर लोगों की जान संकट में डाल रहे थे?
चौथा सवाल ये है कि अगर कोरोना पॉजिटिव रहते अनिल देशमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो फिर क्या वो पत्रकारों के लिए खतरा नहीं पैदा कर रहे थे? पाँचवाँ सवाल है कि उन्होंने पूरी लाव-लश्कर के साथ अपने मृत सुरक्षा गार्ड के परिजनों से क्यों मुलाकात की थी? अनिल देशमुख का कहना है कि उन्होंने पहली बार फरवरी में 28 तारीख को घर के बाहर कदम रखा। इन विरोधाभासी चीजों पर NCP को स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए।