महाराष्ट्र में बागी विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (11 जुलाई, 2022) को सुनवाई हुई। इस दौरान उद्धव ठाकरे खेमे के सुनील प्रभु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा। अगर कोर्ट आज सुनवाई नहीं करता तो कल स्पीकर उसे खारिज कर देंगे। जब तक कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक उन्हें निर्णय लेने से रोक दिया जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा कि वे विधानसभा के 53 शिवसेना सदस्यों (विधायकों) को जारी किए गए नए अयोग्यता नोटिस पर कोई कार्रवाई न करें।
Supreme Court asks Solicitor General to inform Maharashtra Assembly Speaker to not take any decision unless the plea is decided by SC.
— ANI (@ANI) July 11, 2022
SC says this matter will require the constitution of a bench & will take some time to be listed. The matter will not be listed tomorrow.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने सॉलिसिटर जनरल से महाराष्ट्र विधानसभा नए अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर को सूचित करने के लिए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर फैसला नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्णय न लें। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले में एक बेंच के गठन की आवश्यकता होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय लेने वाला मामला है। बेंच का गठन तुरंत नहीं हो सकता। और मामला सूचीबद्ध होने में कुछ समय लगेगा, कल सूचीबद्ध नहीं होगा।
बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। उद्धव गुट की तरफ से जहाँ सुनील प्रभु सुप्रीम कोर्ट पहुँचे और अयोग्यता वाले मामले पर सुनवाई की माँग की। वहीं विधानसभा सचिवालय के प्रधान सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देकर कहा था कि राहुल नार्वेकर स्पीकर बने हैं और उन्हें ही अयोग्यता के मामले पर सुनवाई करने दिया जाएगा।
दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे ने अपने 15 विधायकों को एक भावुक पत्र लिखा। इसमें चिट्ठी में उन्होंने संकटकाल में भी पार्टी के प्रति निष्ठा और उन पर विश्वास दिखाने के लिए विधायकों को धन्यवाद कहा। पत्र में उद्धव ने लिखा है, “किसी भी धमकी और प्रलोभन के चक्कर में न पड़ते हुए आप सभी एकनिष्ठ रहे और शिवसेना को बल दिया, इसके लिए धन्यवाद। माता जगदंबा आपको हमेशा स्वस्थ रखे, ये प्रार्थना करता हूँ।”
उद्धव ठाकरे की विधायकों को भावुक चिट्ठी-' वफादार रहने के लिए शुक्रिया कहा' | #BreakingNews #UddhavThackeray pic.twitter.com/3wmGkVVQ0l
— Zee News (@ZeeNews) July 11, 2022
बता दें कि प्रभु शिवसेना के मुख्य सचेतक हैं। वहीं बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के समक्ष कम से कम चार याचिकाएँ लंबित हैं जिनमें सुनील प्रभु एक पक्ष हैं:
- डब्ल्यूपी (सी) 2022 की संख्या 468 (प्रतिवादी संख्या 4)
- डब्ल्यूपी (सी) 2022 की संख्या 469 (प्रतिवादी संख्या 5)
- डब्ल्यूपी (सी) 2022 की संख्या 470 (याचिकाकर्ता)
- डब्ल्यूपी (सी) 2022 की संख्या 479 (याचिकाकर्ता)
इनमें से पहली दो रिट याचिकाएँ शिवसेना के अपराधी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं से संबंधित हैं, जिसमें सुनील प्रभु द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी गई है।
वहीं प्रभु द्वारा दायर तीसरी रिट याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने के लिए विधानसभा को अवैध रूप से बुलाए जाने को चुनौती दी गई है। जबकि चौथा प्रभु द्वारा दायर एक याचिका है जिसमें अजय चौधरी को हटाकर नवनियुक्त अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ-साथ पदों से हटाने के अवैध आदेश को चुनौती दी गई है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में अब नए मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे की सरकार है। वहीं एकनाथ शिंदे गट ने किस तरह से उस समय शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ शिवसेना के गठबंधन पर नाखुशी जाहिर की थी। जिस पर कुछ बागी विधायकों को राज्य में एमएलसी चुनावों के लिए मतदान करते समय पार्टी व्हिप के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डिप्टी स्पीकर से अयोग्यता नोटिस मिला।
इसके बाद बागी विधायकों ने अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को शिंदे और उनके बागी विधायकों के समूह को 12 जुलाई तक डिप्टी स्पीकर द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए अंतरिम राहत दी। वहीं इसके बाद, कोर्ट ने 29 जून को राज्यपाल द्वारा बुलाए गए फ्लोर टेस्ट को भी हरी झंडी दे दी।
इसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एक नई सरकार ने शपथ ली। इसके बाद, विधानसभा द्वारा नए अध्यक्ष का चुनाव किया गया और उन्होंने शिवसेना के 55 में से 53 विधायकों को अयोग्यता नोटिस भेजा है।