Saturday, June 21, 2025
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कॉन्ग्रेस ने ही खड़ी की CM उद्धव के लिए मुश्किल: महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में उतारे 2 प्रत्याशी

एनसीपी ने अब तक अपना पत्ता साफ़ नहीं किया है लेकिन अगर वो भी अपने प्रत्याशी उतारती है तो 9 विधान परिषद सीटों के लिए कुल 10 उम्मीदवार मैदान में ताल ठोकेंगे। इससे उद्धव का निर्विरोध चुने जाने का सपना टूट सकता है।

महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव होने हैं। उद्धव ठाकरे के भविष्य के लिए और उनके मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उनका विधानमंडल में चुना जाना बेहद ज़रूरी है। पहले कहा जा रहा था कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे विधानसभा का चुनाव लड़ कर जनता द्वारा चुने जाने के बाद विधायक बनना चाहते हैं लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। अब जब विधान परिषद का चुनाव होना है तो उनके ही गठबंधन साथी कॉन्ग्रेस उनके लिए मुश्किल खड़ी कर रही है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव कोरोना वायरस संक्रमण आपदा की वजह से होना संभव नहीं है, इसीलिए उद्धव को पहले राज्यपाल द्वारा नामित करने के लिए सिफारिश की गई। जब राज्यपाल अड़ गए तो चुनाव आयोग से विधान परिषद के चुनाव की घोषणा करने की अपील की गई। इसके लिए कॉन्ग्रेस और शिवसेना, दोनों ने ही दो-दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद चुनाव के लिए प्रवीण ददके, गोपीचंद पडलकर, अजित गोपछड़े और रणजीत सिंह पाटिल को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है। एनसीपी ने अब तक अपना पत्ता साफ़ नहीं किया है लेकिन अगर वो भी अपने प्रत्याशी उतारती है तो 9 विधान परिषद सीटों के लिए कुल 10 उम्मीदवार मैदान में ताल ठोकेंगे। इससे उद्धव का निर्विरोध चुने जाने का सपना टूट सकता है।

नियमानुसार, अगर कोई व्यक्ति विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है और उसे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है तो उसे अगले 6 महीने के भीतर विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य बनना पड़ेगा। चूँकि, एमएलसी का चुनाव गुप्त-मतदान के जरिए होता है, इसलिए ऐसे चुनावों में क्रॉस-वोटिंग होते आए हैं। ऐसे में कॉन्ग्रेस या एनसीपी में से किसी एक को मात्र एक सीट पर लड़ना पड़ेगा, तब क्रॉस-वोटिंग का ख़तरा कम होगा।

महाराष्ट्र के कुल 288 सदस्यीय विधानसभा में उद्धव के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाडी को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिनमें शिवसेना के 56 विधायक, एनसीपी के 54 विधायक, कांग्रेस के 44 विधायक और अन्य 16 विधायक शामिल हैं। भाजपा 105 सीटों के साथ सदन की सबसे बड़ी पार्टी है। विधान परिषद में चुने जाने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर 29 सीटों की आवश्यकता है।

सत्ताधारी गठबंधन 5 सीटें आराम से जीत सकती है, वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा भी 3 सीटों पर सेफ है। भाजपा की चौथी और शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस गठबंधन की छठी सीट के लिए काफ़ी जोड़-तोड़ हो सकती है। विधान परिषद में जाने के लिए बेचैन मुख्यमंत्री उद्धव ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी फोन पर बातचीत की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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