पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार (मार्च 10, 2021) को नंदीग्राम से पर्चा भरा और फिर उसी दिन रात को वहाँ कुछ लोगों द्वारा उन पर हमले की बात सामने आई। फ़िलहाल उनका इलाज कोलकाता के एक अस्पताल में चल रहा है। लेकिन, TMC सुप्रीमो पर हुए इस कथित हमले को लेकर कॉन्ग्रेस में दो फाड़ है। जहाँ एक धड़ा इसे ड्रामा बता रहा है, वहीं दूसरा उनके प्रति सहानुभूति जता रहा है।
इसके लिए दो बड़े नेताओं के बयान देखते हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वो ममता बनर्जी पर हुए हमले के बारे में पढ़ कर व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र व एक सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। सीएम अमरिंदर ने पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष के लिए स्वास्थ्य लाभ की कामना की और ट्विटर पर लिखा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द सज़ा मिलनी चाहिए।
दोहरे रवैये की पराकाष्ठा देखिए कि इसी पश्चिम बंगाल में कुछ दिनों पहले नॉर्थ 24 परगना के निम्ता की एक 80 वर्षीय बुजर्ग महिला को घर में घुस कर इसलिए मारा गया था, क्योंकि उनका बेटा भाजपा से जुड़ा हुआ था। पश्चिम बंगाल में अब तक राजनीतिक हिंसा में 100 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएँ हो चुकी हैं और लगभग सभी के आरोप TMC के गुंडों पर लगे। आपने एक भी कॉन्ग्रेस नेता को इस पर शोक जताते हुए देखा?
अर्थात, राजनीति और सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह न होने की बात इन्हें तभी याद आती है, जब कोई साधारण 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला नहीं, बल्कि जब कोई सत्ताधीश खुद पर हमला होने का दावा करे। जिसकी सुरक्षा में सैकड़ों कर्मी लगे हैं और जिसके लाखों-करोड़ों समर्थक हैं, केवल उसी की जान की कीमत है। बंगाल में वामपंथियों और TMC की राजनीतिक हिंसा में दशकों से मर रहे लोगों की जान की कोई कीमत नहीं।
अब आते हैं अधीर रंजन चौधरी के बयान पर, जो न सिर्फ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं बल्कि पश्चिम बंगाल कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सहानुभूति बटोरने के लिए ‘सियासी पाखंड’ का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नंदीग्राम में खुद की राह में आने वाली दिक्कतों के बाद उन्होंने इस ‘नौटंकी’ की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि ममता सिर्फ CM ही नहीं, पुलिस मंत्री भी हैं, ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि उनके साथ पुलिस नहीं होगी?
Which one is the Congress Party? pic.twitter.com/E9mEKVS2is
— Gabbbar (@GabbbarSingh) March 10, 2021
भारतीय राजनीति में सहानुभूति के नाम पर वोट बटोरने की बात नई नहीं है। इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद ऐसी सहानुभूति की लहर चली थी कि राजीव गाँधी ने इतिहास का सबसे बड़ा बहुमत प्राप्त किया। ज्यादा पीछे न जाएँ तो बिहार में सजायाफ्ता लालू यादव के लिए RJD ने सहानुभूति बटोरी। उसी चुनाव में नीतीश इसे अपना अंतिम चुनाव बता कर सहानुभूति बटोरते रहे। भारतीय राजनीति में ऐसा अनेकों बार हुआ है।
लेकिन, यहाँ सवाल ये उठता है कि केरल में वामपंथियों को सत्ता से बेदखल करने की लड़ाई लड़ रही कॉन्ग्रेस पार्टी ने पश्चिम बंगाल में उन्हीं वामपंथियों को अपना पार्टनर बनाया है। अन्य राज्यों के कॉन्ग्रेस नेता ममता के लिए सहानुभूति जता रहे और बंगाल के कॉन्ग्रेसी इसे नौटंकी बता रहे। आखिर ये दो फाड़ क्यों? भाजपा विरोध के चक्कर में जब कोई विचारधारा ही नहीं बची है तो कौन किसके साथ है और कौन विरोध में, पता ही नहीं चलता।
नंदीग्राम से CPI(M) उम्मीदवार मिनाक्षी मुखर्जी ने ममता बनर्जी के जल्द स्वस्थ होने की कामना तो की लेकिन साथ ही ये भी कहा कि जनता इस बार मूर्ख नहीं बनेगी। राज्यपाल जगदीप धनखड़ हमले की खबर सुनते ही अस्पताल पहुँचे तो वहाँ TMC नेताओं ने उनका अपमान करते हुए उनके विरोध में नारे लगाए। पश्चिम बंगाल में तेज़ी से पल-पल बदल रही सियासी हलचल के बीच PK फैक्टर की बात करनी भी ज़रूरी है।
मैं महांकाल की नगरी में हूँ मुझे अभी जानकारी प्राप्त हुई है कि ममता जी को चोट आई है मैं बाबा महांकाल से उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूँ।
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) March 10, 2021
इस घटना पर राजनीति ना हो इसलिए चुनाव आयोग इसकी उच्चस्तरीय जाँच कराये, यदि कोई दोषी है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाये।
भाजपा की काट के लिए प्रशांत किशोर अक्सर नेताओं को मंदिर-मंदिर भटकने की सलाह देते हैं। ममता बनर्जी भी खुद को हिन्दू परिवार से बता रही हैं, अपनी ब्राह्मण पहचान दिखा रही हैं, मंच से चंडी पाठ कर रही हैं और हमले से पहले भी वो एक मंदिर में दर्शन के लिए पहुँची थी। गुरुवार तड़के सुबह उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने बुआ की अस्पताल से तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि जनता जवाब देगी।
उन्होंने भाजपा का नाम लेकर उसे चेताया। क्या अब तक कहीं ऐसा निकल कर आया है कि हमला भाजपा ने करवाया या भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला किया? नहीं। तृणमूल कॉन्ग्रेस ने भाजपा और चुनाव को इन सबमें घसीट कर खुद इसे सियासी रंग दे दिया है। ऐसे में अब देखना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम और बंगाल बचा पाती हैं या फिर राजनीतिक वनवास उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। वैसे बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी उज्जैन में महाकाल के दरबार में महाशिवरात्रि के मौके पर उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की।