देशभर में कोरोना वायरस के कहर के बीच राजनीतिक बहस अब चुनावी रैलियों में जुटने वाली भीड़ पर केंद्रित हो गई है। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल में अभी तीन चरणों में विधानसभा चुनाव बचे हुए हैं। ऐसे में कई सारे राजनीतिक दल कोरोना के दौर में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
इस बीच कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने देश में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के लिए चुनावी रैलियों को जिम्मेदार ठहराया। जबकि, इस बात का सबूत हैं कि हाल ही में पाँचवे चरण के मतदान से पहले पश्चिम बंगाल के गोलपोखर में उन्होंने एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित किया था। इसके अलावा पार्टी अपनी रैलियों में भारी भीड़ जुटने का दावा करती आई है। इसी के जरिए कॉन्ग्रेस अपनी राजनीतिक किस्मत को बदलना चाहती है।
जब राहुल गाँधी को इस बात का अहसास हुआ कि चुनावी रैलियों के बावजूद कॉन्ग्रेस की नैया डूबने की कगार पर खड़ी है तो उन्होंने कोरोना का बहाना लेकर चुनाव प्रचार बंद कर दिया।
राहुल गाँधी के इस ट्वीट के बाद लेफ्ट-लिबरल लॉबी को कोरोना के इस दौर में सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करने के बहाने बीजेपी पर निशाना साधने का मौका मिल गया। दरअसल, इस लेफ्ट-लिबरल लॉबी को यह समझ आ गया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में मुकाबला केवल भाजपा और टीएमसी के बीच दोतरफा हो गया है। ऐसे में यह लॉबी बड़ी ही आसानी से ममता बनर्जी की रैलियों में जुटने वाली भीड़ और उनकी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी को बड़ी ही आसानी से अनदेखा कर रही है। साथ ही वामपंथियों की ये लॉबी कोरोना के जरिए बीजेपी को घेरने में जुट गई है।
टीएमसी की सोशल मीडिया रणनीति को समझते हैं
ममता बनर्जी ने अपने हजारों तृणमूल कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ रविवार (18 अप्रैल) को धाकुरिया ब्रिज से कालीघाट चौराहे तक बड़े पैमाने पर रोड शो किया। इस दौरान ममता कुर्सी पर बैठी रहीं, वहीं उनके समर्थकों ने सोशल डिस्टेंसिंग की खुलकर बखिया उधेड़ी। उनके इस रोड शो को उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम भी किया गया था।
हालाँकि, ममता के ट्विटर अकाउंट को खँगालने पर हमने पाया कि वहाँ लास्ट ट्वीट 15 अप्रैल को किया गया था, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को एक ही बार में शेष चरणों की वोटिंग करवाने को कहा था। जबकि, रविवार को की गई चुनावी रैली या उनके रोड शो की कोई जानकारी पेज पर नहीं थी।
ऑल इंडिया तृणमूल कॉन्ग्रेस के आधिकारिक ट्विटर प्रोफाइल चेक करने पर हमने पाया कि वहाँ पार्टी ने अंतिम ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक अटैक किया था। पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी रोड शो या रैली के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
इसके बाद हमने ममता बनर्जी और तृणमूल कॉन्ग्रेस दोनों के ट्विटर हैंडल को गहराई से खंगाला, लेकिन हमें हाल के दिनों में पार्टी सुप्रीमो द्वारा आयोजित किसी भी राजनीतिक रैलियों की कोई लाइव स्ट्रीमिंग नहीं मिली। हालाँकि, टीएमसी के आधिकारिक हैंडल में ममता बनर्जी द्वारा उठाए गए सवालों और नारों की छोटी क्लिप मिलीं।
हालाँकि, हमें फेसबुक पर ममता बनर्जी के रोड शो की लाइव स्ट्रीम मिली। इसी तरह, उसके आधिकारिक एफबी पेज से शनिवार को पूर्बा बर्धमान में चुनावी रैली का पूरा वीडियो फुटेज भी शेयर किया गया था। यह मामला उत्तर 24 परगना के नोआपारा में उनकी सार्वजनिक बैठक की तरह है।
हमें कोलकाता और नादिया में 15 अप्रैल और 14 अप्रैल को होने वाली बड़ी जन सभाओं के साथ, उनकी चुनावी रैलियों की लाइव स्ट्रीम भी मिलीं।
ट्विटर पर अपनी राजनीतिक रैलियों की लाइव स्ट्रीमिंग से बचने के लिए, ममता बनर्जी और सत्तारूढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस ने सफलतापूर्वक इसे मैनेज किया है। बता दें कि ट्विटर यूजर फेसबुक यूजर की तुलना में राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहते हैं। लेकिन, फेसबुक से ममता बनर्जी को कोरोना संकट के इस दौर में लोगों के चुभते सवालों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
ममता बनर्जी का दोहरा मापदंड ये है कि उन्होंने ट्विटर पर कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर चुनाव आयोग को ट्वीट किया, लेकिन उनके फेसबुक पेज पर चुनावी रैली के वीडियो भरे पड़े हैं। इनमें स्पष्ट तौर पर पार्टी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती दिख रही है। चुनावी रैलियों में ममता ने राहुल गाँधी को लेकर आँखें मूँद रखीं हैं।