जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बना रहे आतंकियों पर कार्रवाई के बाद पीडीपी प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भड़़क गई हैं। अल्पसंख्यक लोगों की हत्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि बिना सबूत के लोगों की गिरफ्तारी की कीमत सभी को चुकानी पड़ेगी। गौरतलब है कि उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया गया तो राज्य में भारत का झंडा उठाने वाला कोई नहीं रहेगा।
कश्मीर में अल्पसंख्यक लोगों की हत्याओं को रोकने और आतंकियों के मंसूबों को विफल करने के लिए आतंकी समर्थक लोगों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लिया गया है। इस पर महबूबा ने कड़ी आपत्ति जताई है। हिरासत में लिए गए लोगों को निर्दोष बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर इन्हें जेलों में डाला जाता रहा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे और राज्य के हालात ऐसे बिगड़ेंगे कि सँभाले नहीं जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों की हत्याएँ सुरक्षा में नाकामियों के कारण हुई हैं। इसलिए उन लोगों को जवाबदेह बनाया जाए, जो अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकाम रहे। महबूबा मुफ्ती ने कहा, “हालिया हत्याएँ (कश्मीर में) दुखद हैं। यह सरकार की विफलता है। कवर-अप के रूप में सरकार बिना सबूत के लोगों को गिरफ्तार करती रही तो इसके नतीजे खतरनाक होंगे। इसकी कीमत सभी को चुकानी पड़ेगी।”
The recent killings (in Kashmir) are saddening…It is govt failure. As a cover-up, govt is arresting people without evidence. If they keep arresting repercussions will be dangerous, everyone will have to pay the price: PDP leader Mehbooba Mufti pic.twitter.com/oZwZV9zx50
— ANI (@ANI) October 12, 2021
इसके अलावा, महबूबा ने इस्लामिस्ट प्रोपेगेंडा चैनल अल जजीरा की कश्मीर से संबंधित खबर को रीट्वीट करते हुए लिखा, “जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अल्पसंख्यकों पर हमले की पहले से सूचना थी। फिर भी उन्होंने इन इनपुट्स को नजरअंदाज कर दिया। इसके बजाय वे केंद्रीय मंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में व्यस्त थे, जो जम्मू-कश्मीर दौरे पर थे।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी नहीं लेना और 700 नागरिकों को गिरफ्तार करना दूसरे पर दोष को मढ़ना है।
Not taking responsibility & arresting 700 civilians shows their intention to shift blame & absolve themselves. Collective punishment & humiliation of an entire population has become the one size fits all approach to resolve problems caused due to GOI’s punitive policies
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 12, 2021
सोमवार (11 अक्टूबर) को महबूबा ने कहा था, ”ये कैसा सिस्टम है इनका। कोई हमारे मुल्क की गोली से मरे तो ठीक, लेकिन आतंकी की गोली से मरे तो गलत कैसे?” एक सभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा था, ”हम आतंकवादियों की गोलियों से मरने वालों के परिजनों से मिलते हैं। हाल ही में सीआरपीएफ ने एसटी समुदाय के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हम उनके परिवार से मिलने गए, लेकिन उसके घर पर ताला लगा हुआ था।”
दरअसल, कुछ दिन पहले आतंकियों ने श्रीनगर में रेहड़ी लगाने वाले बिहार के भागलपुर निवासी वीरेंद्र पासवान और दवा व्यापारी कश्मीरी पंडित माखनलाल बिन्दरू की हत्या कर दी थी। उसके एक दिन बाद आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह क्षेत्र के एक स्कूल में घुसकर शिक्षक दीपक चंद और प्रिंसिपल सुपिन्दर कौर की गोली मारकर हत्या कर दी। खास बात ये है कि शिक्षकों की हत्या करने से पहले उनका धर्म पूछा गया और परिचय पत्र में देखा गया।
अल्पसंख्यकों को टारगेट कर हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली थी। इसके बाद आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ना सिर्फ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया, बल्कि मिले इनपुट के आधार पर आतंकियों को घेरना भी शुरू कर दिया। इसी तरह के एक ऑपरेशन में जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में सोमवार की सुबह आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में 5 जवान शहीद हो गए। इनमें एक JCO और 4 अन्य जवान शामिल थे।
जवानों की शहादत से बौखलाए सुरक्षाबलों ने ताबड़तोड़ सर्च ऑपरेशन चलाकर आतंकियों का सफाया करना शुरू कर दिया। खबर है कि लश्कर-ए-तैयबा (TRF) के तीन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर करके जवानों की शहादत का बदला ले लिया है। इससे पहले सुरक्षाबलों ने सोमवार सुबह भी अनंतनाग और बांदीपोरा में हुए मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया था।