Sunday, September 1, 2024
Homeराजनीतिदाऊद इब्राहिम से शरद पवार के संबंध जगजाहिर, उनके CM रहते ही भागे थे...

दाऊद इब्राहिम से शरद पवार के संबंध जगजाहिर, उनके CM रहते ही भागे थे मुंबई धमाकों के आरोपित: पूर्व रॉ अधिकारी

सूद के अनुसार दाऊद को पकड़ने में मनमोहन सरकार ने भी कोई रुचि नहीं दिखाई। उसे दुबई में गिरफ़्तार कर देश लाने के लिए अजित डोभाल को रिटायर होने के बाद बुलाया गया। लेकिन ऑपरेशन के अंतिम क्षणों में हस्तक्षेप किया गया।

दाऊद इब्राहिम और उसकी डी कंपनी से कई नामचीनों के तार जुड़े होने का अंदेशा समय-समय पर लगता रहता है। अब रॉ के एक पूर्व अधिकारी ने इस संबंध में बड़ा खुलासा किया है। एनके सूद के अनुसार एनसीपी के मुखिया शरद पवार और कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी के बेहद करीबी माने जाने वाले पार्टी सांसद अहमद पटेल के दाऊद से करीबी संबंध थे।

कॉन्ग्रेस और एनसीपी नेताओं से अपनी इसी करीबी का फायदा उठाकर अंडरवर्ल्ड डॉन देश से भाग निकलने में कामयाब रहा। उसे पकड़ कर लाने के खुफिया ऑपरेशन भी इसकी भेंट चढ़े। 1993 मुंबई ब्लास्ट के इस गुनहार को केंद्र सरकार ने हाल ही में यूएपीए कानून के तहत आतंकी घोषित किया है।

सूद ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब दाऊद और मुंबई धमाकों के अन्य आरोपी देश से भागे, तब पवार मुख्यमंत्री थे। उनके मुताबिक धमाकों के बाद दाऊद और उसके गुर्गों के खिलाफ कानून-प्रवर्तन एजेंसियों ने सख्ती नहीं की। इस सबसे संकेत मिलते हैं कि शरद पवार और दाऊद के बीच संबंध थे। उन्होंने कहा, “यह जगजाहिर है कि शरद पवार के दाऊद इब्राहिम से संबंध थे।”

सूद ने पाकिस्तान को लेकर पवार के हालिया बयान का भी इस दौरान जिक्र किया। पवार ने हाल में पाकिस्तान को शांति प्रिय मुल्क बताते हुए कहा था कि भारत सरकार उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। सूद ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के सरपरस्त मुल्क पाकिस्तान की तारीफ करने के पीछे पवार और दाऊद इब्राहिम के ही संबंध ही हैं। दाऊद के साथ उनका व्यापारिक संबंध भी रहा है।

पूर्व रॉ अधिकारी ने कहा कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के वक्त पवार ने कहा कि हमला पाकिस्तान पर नहीं, जम्मू-कश्मीर पर हुआ है। जो शख्स कभी कॉन्ग्रेस का कद्दावर नेता रहा हो, कई महत्वपूर्ण मह​कमे सॅंभाल चुका हो और महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रह चुका हो, उसका इस तरह बयान देना दिलचस्प है। उन्होंने कहा जब इस स्तर का नेता इस तरह के बयान देता है तो यह धारणा और मजबूत होती है कि इसके पीछे के कारण कुछ और हैं।

मुंबई में जब मार्च 1993 में 12 सिलसिलेवार धमाके हुए थे और सैकड़ों निर्दोष मारे गए थे, तब पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। सूद ने दावा किया कि उस वक्त पवार ने 12 की बजाए एक मस्जिद सहित 13 जगह धमाके होने की बात कह लोगों की आँखों में धूल झोंका था। उनके अनुसार, शायद वे पाकिस्तान और दाऊद इब्राहिम से देश का ध्यान भटकाना चाहते थे। इसके अलावा, सूद ने कहा कि जब जाँच एजेंसियों ने सरकार से दाऊद इब्राहिम की सम्पत्तियों को ज़ब्त करने के लिए कहा, तो पवार ने यह कहकर कि यहाँ दाऊद की कोई संपत्ति नहीं है इसमें अड़ंगा डाला।

सूद ने कहा कि दाऊद को पकड़ने में मनमोहन सरकार ने भी कोई रुचि नहीं दिखाई थी। रिटायर होने के बाद अजित डोभाल को उसे दुबई में गिरफ़्तार कर देश लाने के लिए बुलाया गया था। ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए दो अधिकारियों का चयन किया गया। जब डोभाल उन्हें हवाई अड्डे की ओर जाने वाली कार में ऑपरेशन के बारे में बता रहे थे, तो दिल्ली के डीएसपी ने उन्हें दुबई जाने और अपने ऑपरेशन को अंजाम देने से रोक दिया। इस तरह के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन में, एक सरकारी कर्मचारी के अंतिम मिनट के हस्तक्षेप से पता चलता है कि कॉन्ग्रेस, एनसीपी और अन्य वरिष्ठ नेता नहीं चाहते थे कि दाऊद पकड़ा जाए।

दाऊद इब्राहिम के स्वैच्छिक आत्मसमर्पण की पेशकश के बारे में सूद ने दावा किया कि शरद पवार जैसे नेता और डी-कंपनी के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले नेता नहीं चाहते थे कि वे भारत लौटे। इससे शरद पवार समेत उससे जुड़े नेताओं को डर था कि दाऊद ने मुँह खोला तो उनका राजनीतिक करियर चौपट हो सकता है। सूद के अनुसार शरद पवार ने सरेंडर के बदले दाऊद इब्राहिम की मामूली माँगों को भी नहीं स्वीकार किया। उसने आर्थर जेल में रखने और थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट नहीं देने की माँग की थी।

पूर्व रॉ अधिकारी ने बताया कि कई कॉन्ग्रेस नेताओं, विशेष रूप से सोनिया गाँधी के करीबी अहमद पटेल का भी दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध था। सूद के अनुसार कुछ प्रभावशाली लोगों जिनमें ज्यादातर राजनेता थे के दखल के कारण ही दाऊद देश से भागने में कामयाब हो पाया। उन्होंने कहा कि उस समय खाड़ी देशों में रॉ की यूनिट को जानबूझकर बर्बाद किया गया। इसमें रतन सहगल और हामिद अंसारी की भूमिका होने की बात उन्होंने कही। सहगल बाद में सीआईए का एजेंट साबित हुआ। बकौल सूद ये तथ्य संदेह पैदा करते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -