केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है। लेकिन, विपक्ष फिर भी बाज नहीं आ रहा। उनका कहना है कि भाजपा का ये क़दम एनआरसी की दिशा में प्रारंभिक क़दम है। असल में न तो एनपीआर भाजपा ने शुरू किया है और न ही पार्टी ने इसे एनआरसी का हिस्सा बताया है। ये दोनों ही काम उसी पार्टी ने किए हैं, जो आज इसका सबसे ज़्यादा विरोध कर रही है। कॉन्ग्रेस ने केंद्र में अपनी सरकार रहते न सिर्फ़ पहली बार एनपीआर को तैयार किया था, बल्कि पार्टी ने इसे एनआरसी से भी जोड़ा था।
हम बता चुके हैं कि एनपीआर का पहला डाटा देश की इकलौती महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का था। 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक वह राष्ट्रपति रही थीं। जुलाई 2012 में जारी की गई प्रेस रिलीज में स्पष्ट बताया गया है कि एनपीआर तैयार करने के लिए जनसांख्यिकीय आँकड़े अप्रैल से सितंबर 2010 के दौरान पूरे देश में घर-घर जाकर गणना कर एकत्रित किए गए थे। इसमें कहा गया था कि एकत्र किए गए एनपीआर आँकड़ों को बॉयोमीट्रिक्स के साथ UIDAI के पास यूआईडी संख्याओं (आधार) के डि-डुप्लिकेशन और अपक्रमण के लिए भेजा जाएगा।
अब आपको बताते हैं कि कैसे कॉन्ग्रेस पार्टी की सरकार ने ही इसे एनआरसी की प्रक्रिया का हिस्सा बताया था। ‘सेंसस इंडिया’ ने अपनी वेबसाइट पर 2011 में बताया था कि ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजन्स (NRIC)’ की दिशा में एनपीआर पहला क़दम है। इसमें एनपीआर की प्रक्रिया में शामिल होना भारत में रह रहे लोगों के लिए अनिवार्य बताया गया है। यूपीए-2 सरकार ने बताया था कि एमपीआर में प्रत्येक व्यक्ति के 15 सूचीबद्ध डिटेल्स के अलावा फोटो, फिंगरप्रिंट और आईरिस सहित तीन बायोमेट्रिक डिटेल्स भी होंगे।
वहीं अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया को लेकर गृह मंत्री अमित ने चीजें स्पष्ट करते हुए बताया:
NPR जनसंख्या का रजिस्टर है। देश में जो भी रहते हैं, उनके नाम रजिस्टर किए जाते हैं, जिसके आधार पर अलग-अलग योजनाओं का आकार बनता है। NRC में नागरिकता का प्रमाण माँगा जाता है। इन दोनों प्रक्रिया का कोई लेन-देन नहीं है। NRC का कांसेप्ट राजीव गाँधी लेकर आए थे, आज सोनिया गाँधी उसका विरोध कर रही हैं।
आज वही कॉन्ग्रेस एनपीआर का सबसे ज़्यादा विरोध कर रही है, जिसने कभी इस पूरी प्रक्रिया को पहली बार कराया था। सीताराम येचुरी और प्रकाश करार सरीखे वामपंथी नेता एनपीआर को एनआरसी का दूसरा रूप बता रहे हैं। ओवैसी ने भी इसे एनआरसी की तरफ़ पहला क़दम बताया है। कॉन्ग्रेस नेता अजय माकन 2018-19 के गृह मंत्रालय की रिपोर्ट देख कर दावा करते हैं कि एनपीआर की प्रक्रिया एनआरसी का अगला क़दम है, लेकिन अपनी ही सरकार के दौरान ‘सेंसस इंडिया’ की वेबसाइट पर कही गई बात को भूल जाते हैं।
Modi Ji-“There is no discussion on NRC”
— Ajay Maken (@ajaymaken) December 24, 2019
Today, I&B Minister-“There is no link between NPR & NRC-
Modi Cabinet grants 8500 crores for NPR!
But-Look at 2018-19 Annual Report of the Union Home Ministry
Pg262-“..NPR is first step towards creation of NRIC”
SHAME-PM shouldn’t lie! pic.twitter.com/kqRzpIzbuu
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