Wednesday, October 16, 2024
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2029 में साथ हो लोकसभा+विधानसभा चुनाव… ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर कोविंद के नेतृत्व वाली 8 सदस्यीय कमेटी ने सौंपी 18626 पन्नों की रिपोर्ट

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट कुल 18626 पन्नों की है। इस रिपोर्ट को विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श, परामर्श के बाद तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट के लिए कमेटी ने 191 दिनों तक लगातार काम किया।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर चर्चा शुरू हो गई है। इस संबंध में आज (14 मार्च 2024) भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति (हाई लेवल कमेटी) ने वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह भी थे।

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट कुल 18626 पन्नों की है। इस रिपोर्ट को हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श, परामर्श के बाद तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट के लिए कमेटी ने 191 दिनों तक लगातार काम किया उसके बाद ही इसे राष्ट्रपति को सौंपा गया।

इस रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक खत्म होने वाले समय के लिए किया जा सकता है। इसके बाद पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जा सकते हैं।

रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की गई कि पूरे देश में एक इलेक्शन कराने के लिए चुनाव आयोग, लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों को राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करना होगा। इस रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश भी है।

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में ये कमेटी 2 सितंबर को बनी थी। इसमें गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर थे। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी का कमेटी का स्पेशल मेंबर बनाया गया था। 23 सितंबर 2023 को पहली बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी और 14 मार्च को इसे राष्ट्रपति को सौंपा गया था।

इस रिपोर्ट में निर्वाचन आयोग, विधि आयोग और कानूनी विशेषज्ञों की राय भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साथ चुनाव कराना जनहित में होगा। इससे आर्थिक विकास तेज होगा और महंगाई नियंत्रित होगी। अब आगे इस रिपोर्ट को लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट के आगे रखा जाएगा। फिर कैबिनेट के फैसले के हिसाब से संविधान में नए खंड जोड़े जाएँगे ताकि चुनाव एक साथ हो सकें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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