Friday, October 11, 2024
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‘लखनऊ में महापंचायत, 29 नवंबर से ट्रैक्टर लेकर संसद घेरेंगे 500 किसान’: आंदोलन के 1 साल पूरा होने पर राकेश टिकैत का ऐलान

बैठक में 'किसान नेताओं' ने निर्णय लिया कि 500 ऐसे किसानों को चुना जाएगा, जो संसद सत्र के अंत तक हर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दिन संसद भवन जाएँगे। 28 नवंबर को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन करने का भी फैसला लिया गया।

‘किसान नेता’ राकेश टिकैत ने 29 नवंबर, 2021 (सोमवार) को ‘किसान आंदोलन’ के एक वर्ष पूरा होने के मौके पर संसद भवन के घेराव का ऐलान किया है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की मंगलवार (9 नवंबर, 2021) को हुई बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाने और बड़ी सभाएँ करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र भी 29 नवंबर से ही शुरू हो रहा है।

बैठक में ‘किसान नेताओं’ ने निर्णय लिया कि 500 ऐसे किसानों को चुना जाएगा, जो संसद सत्र के अंत तक हर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दिन संसद भवन जाएँगे। 28 नवंबर को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन करने का भी फैसला लिया गया। इसका आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (SSKM) के बैनर तले महाराष्ट्र के 100 से अधिक संगठनों की तरफ से संयुक्त रूप से किया जाएगा। बता दें कि 26 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों के विरुद्ध शुरू हुए ‘किसान आंदोलन’ का एक वर्ष पूरा हो रहा है।

2020 में 26 नवंबर के दिन ही किसान प्रदर्शनकारियों की भीड़ हरियाणा में घुसी थी और फिर अगले दिन कुंडली बॉर्डर पर बैठ कर जीटी रोड को जाम कर दिया गया था। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अब भी राकेश टिकैत की अगुआई में धरने पर बैठे हैं। केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से पूरे प्रयास किए और केंद्रीय मंत्रियों ने किसान नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें की, लेकिन सहमति नहीं बनी। केंद्र सरकार कहती रही है कि बातचीत के रास्ते अब भी खुले हुए हैं।

राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश की राजधानी में भी रैली करने की घोषणा करते हुए कहा, “लखनऊ में 22 नवंबर, 2021 (सोमवार) को आयोजित किसान महापंचायत ऐतिहासिक होगी। SKM की यह महापंचायत किसान विरोधी सरकार और तीनों काले कानूनों के विरोध में ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। अब पूर्वांचल में भी अन्नदाता का आंदोलन और तेज होगा।” इसके जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार के कई हिस्सों में भी ‘किसान आंदोलन’ का प्रभाव जमाने की कोशिश की जा रही है

वहीं राकेश टिकैत ने प्रदर्शन में शामिल नौजवानों से कहा कि हम ट्रैक्टर चला लेते हैं, लेकिन हमें ट्विटर चलाना नहीं आता। उन्होंने कहा कि इसमें हम कमजोर हैं, इसीलिए नौजवानों को ट्विटर चलाने के लिए आगे आना चाहिए। राकेश टिकैत ने कहा कि ट्रैक्टर हम चला लेंगे। वहीं उन्होंने भाजपा के आईटी सेल और ‘गोदी मीडिया’ की बात करते हुए दावा किया कि न्यूज़ चैनलों की रिपोर्ट भाजपा तैयार कर रही है। चैनलों के बहिष्कार का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि एक आईटी सेल के कर्मचारी पर भाजपा 20,000 से लेकर 2 लालः रुपए तक खर्च करती है।

राकेश टिकैत ने कहा, “किसी की साजिश से हताश न हों, बहकावे में न आएँ। हमारे नौजवानों को भी अब आगे आना चाहिए। वह ट्विटर संभालें, हम ट्रैक्टर संभाल लेंगे। आंदोलन तोड़ने के प्रयास में लगे मीडिया से हमें बचना है। वह हवा में बातें करते हैं। किसान विरोधी चैनलों की लिस्ट तैयार कर रहे हैं, जरूरत पड़ने पर उनका बहिष्कार कर देंगे।” बैठक में पूछा गया कि किसी ‘किसान नेता’ की सरकार से अनौपचारिक बातचीत भी हुई है तो बताएँ। साथ ही लखीमपुर-खीरी हिंसा और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन व रैलियों के जगहों पर चर्चाएँ हुईं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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