कॉन्ग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए स्थापित किए गए PM केयर्स के अंतर्गत अब तक जमा हुई संपूर्ण धनराशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) में ट्रांसफर करने के लिए प्रधानमंत्री से कहा है। सोनिया गाँधी के अनुसार बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही के लिए यह कदम उठाया जाना बेहद जरूरी है।
Transfer all money under ‘PM Cares’ fund to ‘Prime Ministers National Relief Fund’ for efficiency, transparency, accountability: Sonia to PM
— Press Trust of India (@PTI_News) April 7, 2020
भले ही सोनिया गाँधी का यह बयान सामान्य लग रहा हो, लेकिन ऐसे समय में जब देश एक वैश्विक महामारी से निपटने की कोशिश कर रहा है, यह बयान राजनीति से प्रेरित है। इस संदर्भ में बताना जरूरी है कि PMNRF हमेशा एक प्रबंधन समिति की देखरेख में संचालित होता है, जो जमा हुई धनराशि का नियोजन प्रधानमंत्री के विवेकानुसार सुनिश्चित करती है। बता दें कि पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा PMNRF की स्थापना के समय से लेकर आज तक इसकी प्रबंध समिति में कॉन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी हमेशा शामिल रहता है, जो कि वर्तमान में सोनिया गाँधी हैं।
PMNRF की स्थापना के समय निम्नलिखित लोगों को प्रबंध समिति में शामिल किया गया था
i) प्रधानमंत्री
ii) भारत की राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष।
iii) उप प्रधानमंत्री।
iv) वित्त मंत्री।
v) टाटा ट्रस्टीज़ का एक प्रतिनिधि।
vi) फिक्की द्वारा चुने जाने वाले उद्योग और वाणिज्य का प्रतिनिधि।
यहाँ तक की 1985 में राजीव गाँधी कार्यकाल के दौरान इस कोष की मैनेजिंग कमेटी ने कोष के प्रबंधन से संबंधित सभी अधिकार प्रधानमंत्री को सौंप दिए। प्रधानमंत्री को अधिकार मिल गया कि वह अपने प्रतिनिधि के रूप में किसी को ‘कोष का सचिव’ नियुक्त कर सकते हैं जिसके पास अन्य बातों के अलावा इस कोष के बैंक अकाउंट संचालित करने का भी अधिकार था।
वुहान कोरोना वायरस के इस संकट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने PM CARES फंड लॉन्च किया है, जिसमें सहयोग करने के लिए उन्होंने पूरे देश का आह्वाहन किया है। यह एक आपातकालीन कोष है जिसका उपयोग कोरोना वायरस से निपटने के लिए किया जाएगा। PM CARES यानी ‘प्राइम मिनिस्टर सिटीजन्स असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन’ कोष की स्थापना पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में की गई है। प्रधानमंत्री जहाँ इस ट्रस्ट के चेयरमैन हैं, वहीं देश के रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री तथा गृह मंत्री इस ट्रस्ट के सदस्य हैं।
जैसे ही यह कोष लॉन्च हुआ, देश के हर ख़ास ओ आम से इसे अपार सहयोग मिलना प्रारम्भ हो गया। जिसमें आम जनता से लेकर उद्योगपतियों फिल्म स्टार्स आदि ने अपना अपना अंशदान करना शुरू कर दिया। यहाँ ये सवाल लगातार पूछा जा रहा कि आखिर PM CARES फंड नामक नए फंड की जरूरत क्या थी जब कि PMNRF मौजूद था ही।
यह दिलचस्प है कि सोनिया गाँधी पीएम केयर्स में अब तक जमा हुई धनराशि ₹6500 करोड़ को PMNRF में ट्रांसफर करने की माँग करेंगी, जबकि पीएम केयर्स सिर्फ कोरोना महामारी से लड़ने के लिए स्थापित किया गया है और PMNRF हर एक आपदा से निपटने के लिए बनाया गया है।
शायद ऐसा इसलिए है, क्योंकि PMNRF सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में है और सोनिया गाँधी को उम्मीद है कि भविष्य में एक दिन देश का पीएम गाँधी परिवार से ही होगा। इस तरह यह धनराशि पीएम के नियंत्रण में होगी। यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम केयर्स PMNRF की तुलना में कहीं अधिक उचित और पारदर्शी है।
संक्षेप में PM CARES, PMNRF की तुलना में कहीं ज्यादा पारदर्शी और सक्षम है हालाँकि, PMNRF भी समय-समय पर नागरिकों की मदद के लिए आगे आता रहा है। यहाँ यह भी बताते चलें कि PM CARES में 13 विशेषज्ञों को भी शामिल करने का प्रावधान है जो अपनी सेवाएँ देश के लिए निःशुल्क प्रदान करेंगे। इसमें सलाहकारी बोर्ड के तौर पर भी 10 व्यक्तियों को शामिल करने की व्यवस्था है, जिन्हें ट्रस्टीज द्वारा डॉक्टरों, स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों, अकादमिक जगत के लोगों, अर्थशास्त्रियों और वकीलों में से चुना जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि “PMNRF के विपरीत, पीएम केयर्स में ट्रस्टियों की जिम्मेदारी परिभाषित की गई है। PMNRF में सलाहकार बोर्ड का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें ट्रस्ट के सदस्यों के रूप में प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के प्रतिनिधि और फिक्की का चुना गया उद्योग प्रतिनिधि हैं।”
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने PM CARES पर कॉन्ग्रेस के विरोध को खुद के स्वार्थों से प्रेरित बताते हुए कहा कि वे सिर्फ इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि PM CARES में PMNRF की भाँति कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को जगह नहीं दी गई है। बीजेपी नेता ने आगे कहा, ”इस फंड में बीजेपी से भी कोई नहीं है- ट्रस्ट में जो भी लोग हैं वो सरकार में अपनी पोजीशन की वजह से हैं।” उन्होंने आगे कहा कि पीएम केयर्स का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल या किसी अन्य प्रकार की आपातकालीन आपदा जैसे कि संकट में राहत या सहायता और मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदाओं के बीच स्वास्थ्य एवं दवा जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।