Saturday, November 16, 2024
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विदेशी मीडिया ने मुस्लिमों पर पूछा सवाल, PM मोदी का जवाब- अल्पसंख्यकों के लिए भारत जन्नत, उनके साथ कोई भेदभाव नहीं

ब्रिटिश समाचार संस्था फाइनेंशियल टाइम्स को दिए गए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की एकता और अलग-अलग अल्पसंख्यक समूहों को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी धार्मिक समुदाय के प्रति कोई भेदभाव नहीं किया जाता। उन्होंने पारसी समुदाय की प्रगति का भी उदाहरण दिया।

ब्रिटिश समाचार संस्था फाइनेंशियल टाइम्स (FT) के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की एकता और अलग-अलग अल्पसंख्यक समूहों के प्रति किसी भी प्रकार के पक्षपात ना होने और osM देश में सहिष्णुता की बात की है। जब प्रधानमंत्री मोदी से भारत में मुस्लिमों के भविष्य के विषय में पूछा गया तो उन्होंने पारसी समुदाय की सफलताएँ गिनाईं। उन्होंने पारसियों को भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक बताया।

प्रधानमंत्री ने 20 दिसम्बर 2023 को फाइनेंशियल टाइम्स से कहा, “विश्व में सब जगह अत्याचार झेलने के बाद उन लोगों ने भारत में शरण पाई और शांति से रहते हुए समृद्ध हुए हैं। यह दिखाता है कि भारतीय समाज किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक समूह के प्रति पक्षपात की भावना नहीं रखता है।” हालाँकि, फाइनेंशियल टाइम्स का कहना है कि पीएम के जवाब में भारत के 20 करोड़ मुस्लिमों की बात नहीं है।

दरअसल, पीएम मोदी द्वारा अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक पारसी समुदाय के बारे में बात करना दर्शाता है कि भारतीय किसी भी धार्मिक समूह के साथ नफरत या भेदभाव नहीं करते। ईरान से आए पारसी हों या इजरायल से आए यहूदी, भारत दुनिया भर में प्रताड़ित किए गए समुदायों के लिए सुरक्षित शरणस्थली रही है। यह हिंदू समाज के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की परंपरा और लोगों को खुद में समाहित करने के गुणों को दर्शाता है।

रही बात मुस्लिमों की तो यह समुदाय देश में हिंदुओं के बाद दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में मुस्लिमों की कुल आबादी 14.2 प्रतिशत है। साल 2001 से 2011 के बीच देश में मुस्लिमों की जनसंख्या 24% बढ़ी है, जबकि इसी दौरान हिन्दुओं कि जनसंख्या मात्र 16% बढ़ी। ऐसे में मुस्लिमों के भविष्य को लेकर प्रश्न पूछने वालों को यह आँकड़े देखने चाहिए।

फाइनेंशियल टाइम्स ने पीएम मोदी से उनकी सरकार द्वारा उठने वाले विरोध के स्वरों को दबाने के दावों को लेकर भी प्रश्न पूछा। इस पर प्रधानमंत्री मोदी हँसे और कहा कि उनके आलोचक अपने अधिकारों का उपयोग मीडिया के तमाम माध्यमों के जरिए करते हैं। उन्होंने ऐसे आरोपों के जवाब में तथ्यों को रखने की स्वतंत्रता की बात भी की।

पीएम ने कहा, “देश में पूरा एक इकोसिस्टम है, जो देश में उपलब्ध आजादी का उपयोग सम्पादकीय, सोशल मीडिया, टीवी चैनल, वीडियो और ट्वीट्स के माध्यम से हम पर रोज इस तरह के नए आरोप लगाने के लिए करता है। उनका यह अधिकार है, लेकिन बाकी लोगों को भी इसका जवाब तथ्यों के साथ देने का अधिकार है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान भारतीय लोगों की आकांक्षाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “उनको (देशवासियों को) मालूम है कि देश नई उड़ान भरने को तैयार है।” प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि एक दशक में भारतीयों की आशाएँ भी बदल गई हैं। इस दौरान पीएम ने बोलने की आजादी की आड़ में विदेशी ताकतों द्वारा भारत में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने पर भी चिंता जताई।

पीएम मोदी ने कहा, “भारत विदेश में बैठे कट्टरपंथी समूहों को लेकर चिंतित है। यह तत्व, बोलने की आजादी के नाम पर घृणा फैलाते हैं और हिंसा को बढ़ावा देते हैं।” पीएम की यह टिप्पणी आतंकी गुरवतपन्त सिंह पन्नू को मारने की कोशिशों में भारत के कनेक्शन के अमेरिकी दावों को लेकर आई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह कनाडा और अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों दिए गए सबूतों पर गौर करेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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