राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गुरुवार (12 दिसंबर) को ऐतिहासिक क़ानून को मंज़ूरी दिए जाने के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 अब एक क़ानून बन गया है। गुरुवार (12 दिसंबर) देर रात जारी अधिसूचना के मुताबिक़ यह क़ानून गजट प्रकाशन के साथ ही लागू हो गया। नया क़ानून नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा। इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 तक धर्म के आधार पर प्रताड़ना के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
विपक्ष के विरोध के बावजूद नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा द्वारा और सोमवार (9 दिसंबर) को लोकसभा द्वारा पारित किया गया। मौजूदा क़ानून के मुताबिक किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल यहाँ रहना अनिवार्य था। नए कानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह अवधि घटाकर 6 साल कर दी गई है। मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती थी और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान था।
यह क़ानून असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है। इसके अलावा, यह क़ानून इनर लाइन परमिट (ILP) के तहत आने वाले क्षेत्रों को भी कवर नहीं करेगा, जिसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित किया गया है। ILP शासन अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है।
वहीं, पश्चिम बंगाल और केरल के बाद अब पंजाब ने भी कहा है कि यह क़ानून राज्य में नहीं लागू होगा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता क़ानून को असंवैधानिक और देश को बाँटने वाला करार देते हुए इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस क़ानून को राज्य में लागू नहीं होने देगी।
Punjab Chief Minister’s Office: Terming the Citizenship Amendment Bill (CAB) as a direct assault on India’s secular character, Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh today said his government would not allow the legislation to be implemented in his state. (File pic) pic.twitter.com/KLR79WVKZH
— ANI (@ANI) December 12, 2019
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि केरल नागरिकता संशोधन विधेयक को स्वीकार नहीं करेगा। विजयन ने इस संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को धार्मिक आधार पर बाँटने की कोशिश कर कर रही है। उन्होंने कहा कि वो इस क़ानून को राज्य में लागू नहीं होने देंगे।
Kerala CM Pinarayi Vijayan: Kerala will not accept #CitizenshipAmendmentBill (CAB). CAB is unconstitutional. The central government is trying to divide India on religious lines. This is a move to sabotage equality and secularism. (file pic) pic.twitter.com/QjlrMOBZO0
— ANI (@ANI) December 12, 2019