Saturday, April 20, 2024
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‘5 लाख बंगाली हिंदुओं को मिलेगी नागरिकता’ – जिन्हें NRC से मिली थी निराशा, CAB ने जगाई आशा!

"एनआरसी में 5,04,800 बंगाली हिंदुओं को रिजेक्ट किया गया था, जिनमें से 3 से 4 लाख लोग संशोधित कानून के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे। इसके अतिरिक्त..."

अगर आज यानी बुधवार (दिसंबर 11, 2019) को राज्यसभा में बिना किसी अड़ंगे के नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) पास हो जाता है, तो बांग्लादेश से आए 5 लाख से ज्यादा बंगाली हिंदू जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में जगह नहीं मिल पाई थी, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी

इस संबंध में असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने भी मंगलवार को अपना बयान जारी किया है। उन्होंने बताया है कि इन लोगों को पहले आवेदन करना होगा। जिसके बाद इन्हें नागरिकता देने से पहले इनके आवेदन की जाँच होगी और फिर तय प्रक्रिया को पूरा करके अगले विधानसभा चुनाव (2021) से पहले इन्हें नागरिकता दी जाएगी

गौरतलब है कि 31 अगस्त को आई एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिल पाई थी। लेकिन कैब के पास हो जाने के बाद 5 लाख लोगों की नागरिकता सुनिश्चित होगी और बाकी बचे 13 लाख लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में संपर्क करना होगा। बता दें इन शेष 13 लाख लोगों में 7 लाख समुदाय विशेष के लोग हैं।

शर्मा ने विधेयक पर बात करते हुए कहा कि कैब कार्यकर्ताओं के हिसाब से एनआरसी में 5,04,800 बंगाली हिंदुओं को रिजेक्ट किया गया था, जिनमें से 3 से 4 लाख लोग संशोधित कानून के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे। इसके अतिरिक्त, चूँकि इन लोगों में 1 लाख बंगाली हिंदू ऐसे भी हैं, जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन ही नहीं किया था। इसलिए इन लोगों की कुल संख्या को 5 लाख समझकर चला जा रहा है।

राज्य के वित्त मंत्री ने इस बातचीत में स्पष्ट किया है कि राज्य के कामरुप और होजई जिले में करीब 60,000 बंगाली हिंदू हैं, जिनकी संख्या अन्य जिलों से ज्यादा है। बता दें कि होजई वही जिला है, जहाँ रह रहे 60,000 मुस्लिमों को एनआरसी से बाहर निकाला गया था। जबकि दारंग वो जिला है, जहाँ सबसे अधिक तादाद में मुस्लिमों को NRC की सूची में जगह नहीं मिली थी। वहीं, चारादिऊ, दिमा हसाओ, हामरेन, मजूली जिले से किसी मुस्लिम को सूची से बाहर नहीं किया गया था। बता दें कि चारादिऊ में बंगाली अप्रवासियों की संख्या 2000 के करीब है, दिमा हसाऊ में 1500, हामरेन में 1000 और मजूली में 300।

इस विधेयक पर अपनी राय रखते हुए वित्त मंत्री ने एक ट्वीट भी किया और कहा कि इतिहास में नेहरू द्वारा की गई एक बड़ी भूल इस बिल के माध्यम से सुधरेगी।

गौरतलब है कि लोकसभा में कैब के पास हो जाने के बाद उस पल को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए असम के मुख्यमंत्री सरबनंदा सोनोवाल ने इस संबंध में सोमवार को बताया कि उन्होंने 2 लाख बंगाली हिंदुओ की एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में वो लोग शामिल हैं, जो फिलहाल राज्य के 34 जिलों में रह रहे हैं और नागरिकता के लिए योग्य हैं।

अपने ट्वीट में कैब की बात करते हुए उन्होंने उसके मूल उद्देश्य को स्पष्ट किया और लिखा कि ये न केवल 3 देशों से आए 6 अल्पसंख्यक समुदाय को राहत पहुँचाएगा बल्कि संवैधानिक रूप से असम के लोगों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इस कदम के लिए सोनोवाल ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री को धन्यवाद भी अदा किया है औऱ कहा है कि अपने वादे के प्रति प्रतिबद्धता और सबको साथ लेकर अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आभार।

बता दें कि असम मुख्यमंत्री द्वारा कैब को समर्थन दिए जाने पर उनके राज्य के कुछ लोग उनसे बेहद नाराज हैं। आसु (ऑल असम स्टुडेंट यूनियन) के राष्ट्रीय सचिव लुरिनज्योति गोगोई ने कहा है कि इस बार जदयू, शिवसेना, बीजेदी से ज्यादा उन्हें उनके अपने मुख्यमंत्री ने शर्मिंदा किया है। क्योंकि वे और उनके पार्टी नेता कैब के समर्थन में जाकर असम के लोगों के विरुद्ध जा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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