राजस्थान में बगावत पर उतरे सचिन पायलट से पहले तो कॉन्ग्रेस दूरी बनाती नज़र आई लेकिन फिर अचानक से सोमवार (जुलाई 13, 2020) की रात पार्टी का हाईकमान सक्रिय हुआ। प्रियंका गाँधी सहित कई नेताओं ने उनसे संपर्क किया। कहा जा रहा है कि प्रियंका गाँधी और पी चिदंबरम ने कई बार बात की।
दूसरी बार कॉन्ग्रेस की बैठक हुई ही इसीलिए थी क्योंकि सचिन पायलट को पार्टी जाने नहीं देना चाहती है। यही कारण है कि प्रियंका गाँधी ने 4 बार और चिदंबरम ने 6 बार बात की। ‘न्यूज़ 18’ के सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को फिर से कॉन्ग्रेस की बैठक इसीलिए बुलाई गई क्योंकि पार्टी सचिन पायलट से बार-बार संपर्क करने के लिए बेताब है जबकि वो पार्टी को भाव नहीं दे रहे हैं।
सचिन पायलट ने अधिकतर कॉन्ग्रेस नेताओं का फोन कॉल रिसीव करना ही बंद कर दिया है। राजस्थान में पार्टी के प्रभारी अविनाश पांडेय ने भी स्वीकार किया कि पायलट को कई कॉल्स और मैसेज किए गए लेकिन वो जवाब नहीं दे रहे हैं।
सोनिया गाँधी के सिपहसालार अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल ने भी सचिन पायलट से संपर्क किया है। बता दें कि प्रशासन द्वारा सचिन पायलट को पूछताछ के लिए समन किए जाने के बाद से वो कुछ ज्यादा ही नाराज़ चल रहे हैं। राज्य में ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के आरोपों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है और उसकी जाँच चल रही है, जिस सम्बन्ध में दो भाजपा नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था।
सचिन पायलट का दावा है कि अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में है और उनके पक्ष में 30 विधायक हैं, जो सीएम से नाराज़ हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स का ये भी कहना है कि अशोक गहलोत मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद ही सावधान हो गए थे और वो इसकी तैयारी में लगे थे कि उनका हश्र कमलनाथ जैसा न हो। इससे पहले ही उन्होंने बसपा को तोड़ कर 6 विधायकों को अपनी पार्टी में मिला लिया था।
4 calls from Priyanka Vadra, 6 from Chidambaram: Congress frantically dials Sachin Pilot https://t.co/1SCxUg0GbY
— Republic (@republic) July 14, 2020
कहा जा रहा है कि अपने तीसरे कार्यकाल में अशोक गहलोत असुरक्षित महसूस कर रहे थे क्योंकि सचिन पायलट ने राजस्थान में कॉन्ग्रेस के प्रदेश मुखिया के रूप में खासी मेहनत की थी। उन्होंने चुनाव के दौरान भी अपने लोगों के नाम टिकट के दावेदारों के रूप में आगे बढ़ाया था।
गहलोत पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं क्योंकि 2008 में सीपी जोशी के 1 वोट से चुनाव हारने के कारण उन्हें सीएम पद की कुर्सी नहीं मिल पाई थी और गहलोत की किस्मत चमक गई थी।
मध्य प्रदेश में सिंधिया की बगावत के बाद भी राजस्थान में विधायकों को होटल में डाला गया था। अशोक गहलोत ने अंत में सरकारी मशीनरी का उपयोग कर के अपने विरोधियों को चोट पहुँचाने की कोशिश की लेकिन उनका दाँव उलटा पड़ता हुआ भी दिखा। पार्टी के पुराने वफादार अब भी अशोक गहलोत के साथ ही हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रियंका के हस्तक्षेप पर पायलट से पार्टी ने फिर से बातचीत शुरू की है।
उधर राजस्थान में सियासी संकट के बीच उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 102 विधायकों के समर्थन के दावे को ‘गलत’ बताया है। उन्होंने यह बातें समाचार चैनल आज तक से बातचीत में कही।
उप मुख्यमंत्री ने कहा, “25 विधायक मेरे साथ बैठे हैं। हम विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए जयपुर नहीं जा रहे हैं।” राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर कॉन्ग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद विधायकों बसों से जयपुर के फेयरमोंट होटल भेजा गया।