Friday, March 29, 2024
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चन्नी को कॉन्ग्रेस का ‘चुनावी स्टंट’ बता दलित संगठनों ने दुत्कारा, #MeToo वाला मामला भी पंजाब के नए CM के लिए मुसीबत

“आज उन्हें एक महिला के नेतृत्व वाली पार्टी ने पंजाब का सीएम बनाया है। यह विश्वासघात है। यह महिला सुरक्षा के लिए खतरा है। उनके खिलाफ जाँच होनी चाहिए। वह सीएम बनने लायक नहीं है। मैं सोनिया गाँधी से उन्हें सीएम पद से हटाने का आग्रह करती हूँ।”

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद जब कॉन्ग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी को चुना तो इसे चुनावों से पहले शिअद-बसपा के दलित कार्ड की हवा निकालने के तौर पर देखा गया। लेकिन, दलित संगठनों ने इस फैसले को कॉन्ग्रेस का ‘चुनावी स्टंट’ बता नकार दिया है। दूसरी तरफ ‘मीटू’ (#MeeToo) के आरोप भी चन्नी और कॉन्ग्रेस दोनों की मुसीबत बढ़ाते दिख रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इसे उठाते हुए सोनिया गाँधी से उन्हें सीएम पद से हटाने की माँग की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चरणजीत सिंह चन्नी को चुनने के कॉन्ग्रेस के फैसले की आलोचना करते हुए दलित यूनियनों ने कहा कि पार्टी एक तीर से दो निशाना साधने कर रही है, क्योंकि चन्नी दलित और सिख दोनों हैं। दलित यूनियनों का मानना है कि अगले साल राज्य में चुनाव होने से पहले बँटे हुए दलित वोट को एक ब्लॉक में मजबूत करने के लिए कॉन्ग्रेस ने यह रणनीति चली है।

पंजाब खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष जोरा सिंह नसराली ने इस पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, “यह महज एक चुनावी स्टंट है। चन्नी दलित होने के साथ-साथ सिख भी हैं। पंजाब में अगले चार से पाँच महीने में चुनाव होंगे और चुनाव से 40 दिन पहले आचार संहिता लागू कर दी जाएगी। तो नया चेहरा क्या कर सकता है? वह कहेंगे कि मैं अभी नया हूँ और चीजों को समझने की कोशिश कर रहा हूँ।”

मंडी बोर्ड के महासचिव तरसेम सिंह सेवेवाला ने कहा, “जब तक नीतियाँ नहीं बदली जातीं, तब तक एक दलित सीएम या जाट सिख सीएम को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अब हम नए चुने गए सीएम को अपने सांझा मोर्चा के साथ 23 सितंबर की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए कहेंगे। यह उनके लिए लिटमस टेस्ट होगा और बताएगा कि वह दलितों का कितना ध्यान रखते हैं। हालाँकि, पंजाब में पहले से ही 34 निर्वाचित दलित विधायक हैं। इससे हमारी हालत पर क्या फर्क पड़ा है? दलित को मुख्यमंत्री बनाना हमारे वोट बैंक को निशाना बनाना है। हर राजनीतिक दल हमें निशाना बना रहा है, कॉन्ग्रेस भी।”

मायावती ने बताया चुनावी हथकंडा

दलित नेता और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी चुनाव से ठीक पहले चन्नी को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शामिल करने के लिए कॉन्ग्रेस की आलोचना की है। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम ने इसे आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए कॉन्ग्रेस का चुनावी हथकंडा बताया

मायावती ने कहा, “मुझे मीडिया के माध्यम से भी पता चला है कि पंजाब का अगला विधानसभा चुनाव एक गैर-दलित के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि कॉन्ग्रेस को अभी भी दलितों पर पूरा भरोसा नहीं है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठबंधन से भी कॉन्ग्रेस डरी हुई है।”

दलित वोट-बैंक राजनीति खेलने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए, पंजाब के मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भगवंत समो ने कहा, “शिरोमणि अकाली दल ने दलित वोट बैंक को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि वे दलित को डिप्टी सीएम बनाएँगे। AAP ने भी इसी तरह की घोषणा की थी। भाजपा ने भी घोषणा की कि वे दलित को मुख्यमंत्री बनाएँगे। इसलिए, कॉन्ग्रेस ने अपने आंतरिक कलह को निपटाने के लिए कुछ महीनों के लिए दलित सीएम बनाया है। वे यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि जहाँ अन्य दल घोषणा कर रहे हैं वे पहले ही दलित सीएम बना चुके हैं। यह दलित वोट बैंक की राजनीति है। अगर चन्नी इतने चिंतित थे, तो क्या वे कभी किसी ऐसे धरने पर गए जहाँ दलित विरोध कर रहे हैं? यह हमारे लिए शायद ही मायने रखता है कि सीएम कौन है।”

वहीं जमीं प्रपति संघर्ष समिति के एक सक्रिय सदस्य गुरमुख सिंह ने कहा, “2015 में, चन्नी ने संगरूर जिले के हमारे गाँव घ्राचोन का दौरा किया था, जहाँ दलित वार्षिक पट्टे पर खेती के लिए पंचायती भूमि का अपना हिस्सा पाने के लिए विरोध कर रहे थे। उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि अगर कॉन्ग्रेस की सरकार बनती है तो वह हमें 5,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन देंगे। लेकिन जब कॉन्ग्रेस सत्ता में आई तो उन्होंने इस मुद्दे पर कभी बात नहीं की। अब हम उनके चमकौर साहिब आवास पर जाकर उनसे पूछेंगे कि वह अब सीएम के रूप में क्या कर सकते हैं। सच्चाई जल्द ही सामने आ जाएगी।”

‘मीटू’ का आरोप

चन्नी पर ‘मीटू’ को लेकर आरोप लग चुका है जिसे लेकर वह कह चुके हैं कि यह तत्कालीन मुख्यमंत्री की शह पर किया गया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा था क्योंकि उन्होंने राज्य में दलित मुद्दों को उठाया था। हालाँकि शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दलित कार्ड खेलने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की माँग की थी।

इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने ANI से बात करते हुए कहा है, “2018 में मीटू आंदोलन के दौरान उनके (चरणजीत सिंह चन्नी) के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। राज्य महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और अध्यक्ष उन्हें हटाने की माँग को लेकर धरने पर बैठ गई थीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।”

उन्होंने कहा, “आज उन्हें एक महिला के नेतृत्व वाली पार्टी ने पंजाब का सीएम बनाया है। यह विश्वासघात है। यह महिला सुरक्षा के लिए खतरा है। उनके खिलाफ जाँच होनी चाहिए। वह सीएम बनने लायक नहीं है। मैं सोनिया गाँधी से उन्हें सीएम पद से हटाने का आग्रह करती हूँ।”

उल्लेखनीय है कि मामला 2018 का है और चन्नी पर आरोप लगा था कि उन्होंने एक महिला आईएएस अधिकारी को आपत्तिजनक मैसेज भेजा था। तब इस मामले ने खासा तूल पकड़ा था। हालाँकि महिला अधिकारी ने उस समय शिकायत दर्ज नहीं की थी और अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि मामला सुलझा लिया गया है। 18 मई 2021 को पंजाब महिला आयोग की चीफ मनीषा गुलाटी ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार को नोटिस भेजा था। अब एक बार फिर से ट्विटर पर अरेस्ट चन्नी ट्रेंड कर रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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