Saturday, November 16, 2024
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‘सत्ता की हवस और सिद्धांतों की चिता’ से दूर ध्यानमग्न राहुल गाँधी: सुरजेवाला ने किया कन्फर्म

'सत्ता की हवस एंव सिद्धांतों की चिता पर गठित हरियाणा की नई भाजपा-जजपा सरकार को शुभकामनाएँ' देने के तीन दिन बाद सुरजेवाला ने अपने नेता की यात्रा की पुष्टि की है। वैसे, सूत्रों के हवाले से राहुल गॉंधी के 23 दिन के भीतर दूसरी विदेश यात्रा की खबर पहले ही आ गई थी।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी की विदेश यात्रा का राज खुल गया है। वे आध्यात्मिक यात्रा पर विदेश जाते हैं। ध्यान लगाने के लिए। यह सनसनीखेज खुलासा उनके खासमखास पार्टी के कम्युनिकेशन सेल के मुखिया रणदीप सिंह सुरजेवाला ने की है।

‘सत्ता की हवस एंव सिद्धांतों की चिता पर गठित हरियाणा की नई भाजपा-जजपा सरकार को शुभकामनाएँ’ देने के तीन दिन बाद सुरजेवाला ने अपने नेता की यात्रा की पुष्टि की है। वैसे, सूत्रों के हवाले से राहुल गॉंधी के 23 दिन के भीतर दूसरी विदेश यात्रा की खबर पहले ही आ गई थी।

उल्लेखनीय है कि कॉन्ग्रेस अपनी जमीन तलाशने के लिए 1 से 8 नवंबर तक एक अभियान चलाने जा रही है। इसके तहत अलग-अलग राज्यों में 35 प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरा जाएगा। इसी कार्यक्रम को लेकर मीडिया से बात करते हुए सुरजेवाला ने बताया, “राहुल गाँधी समय-समय पर आध्यात्म दौरे पर जाते रहते हैं। वर्तमान में भी वे इसी पर हैं। कॉन्ग्रेस का 1 से 8 नवंबर के बीच 35 प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सरकार को घेरने की योजना वाला प्रोग्राम पूरी तरह से उनके दिशा-निर्देशों और परामर्श पर तैयार किया गया है।”

सुरजेवाला का यह बयान सोशल मीडिया में राहुल गॉंधी की भद पिटवाने के लिए काफी था। यूजर्स ने राहुल के हालिया विदेश दौरे का हवाला देते हुए पूछा कि आध्यात्म के लिए बैंकॉक कौन जाता है? साथ ही सलाह भी दी कि आध्यात्म के लिए हिमालय अच्छी जगह है।

एक यूजर ने सुरजेवाला को राहुल गाँधी की आया बताया और कहा कि इन्हें मालूम है कब राहुल के लिए डायपर्स बदलने हैं।

एक यूजर ने सुरजेवाला के बयान पर कहा कि आखिर राहुल गाँधी से पूछने की और उनके निर्देश लेने की जरूरत क्या है, जब वे कॉन्ग्रेस के प्रेसीडेंट ही नहीं हैं। पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि राहुल गाँधी पार्टी ने पार्टी छोड़ दी है या सिर्फ़ आँख में धूल झोंकी जा रही है।

दीगर है कि सुरजेवाला किसी जमाने में कॉन्ग्रेस के ज्वाइंट किलर थे। लेकिन, राहुल गॉंधी के नेतृत्व में पार्टी संगठन में उनकी तरक्की के साथ ही उनका चुनावी प्रदर्शन गिरने लगा। हालिया हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी है। अब उन्हें कौन बताए कि विदेश यात्राओं से तो राजनीति के गुर नहीं सीखे जाते। वरना जब इसी महीने राहुल बैंकॉक गए थे तो पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उम्मीद जताई थी कि वे नई ऊर्जा के साथ लौटेंगे। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में यह ऊर्जा महज सात रैलियों में ही निपटते जनता ने देखा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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