Friday, November 15, 2024
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‘वीर तुम बढ़े चलो’: राहुल गाँधी ने जिनकी कविता के साथ की छेड़छाड़, उनके परिजनों ने कहा – ‘माफी माँगिए’

ऐसी कालजयी कविता, जिसे पढ़ कर न जाने कितने बच्चे जवान हुए, उसकी पंक्तियों के साथ छेड़छाड़ करते राहुल गाँधी ने ट्वीट कर दिया। दिवंगत कवि के परिजनों ने माफी माँगने की माँग की है।

राहुल गाँधी सोशल मीडिया पर एक कविता ट्वीट कर के फँस गए हैं। दिल्ली में मोदी सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ 1 महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के समर्थन में उन्होंने एक कविता ट्वीट की थी, जिसके बाद इस कविता की रचना करने वाले दिवंगत कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के परिजनों ने ही उनसे माफ़ी माँगने को कहा है। ‘वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!’ उनकी लोकप्रिय कविताओं में से एक है।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर आरोप है कि उन्होंने इस कविता की पंक्तियों के साथ छेड़छाड़ करते हुए इसे गलत रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी तरफ से कुछ शब्दों को जोड़ कर तुकबंदी की और फिर इसे ट्विटर पर डाल दिया। दिवंगत कवि के परिजनों ने सात दशक पुरानी कविता की मूल भावना से छेड़छाड कर उसका मखौल उड़ाने का आरोप लगाते हुए माफी माँगने की माँग की है। राहुल गाँधी ने ट्वीट किया था:

वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
वॉटर गन की बौछार हो या
गीदड़ भभकी हज़ार हो
तुम निडर डरो नहीं
तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो
अन्नदाता तुम बढ़े चलो!

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पुत्र डॉक्टर विनोद कुमार माहेश्वरी ने इस बात पर आपत्ति जताई कि इस कविता को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। आगरा कॉलेज के प्राचार्य रहे विनोद ने कहा कि ‘बच्चों के गाँधी’ नाम से विख्यात रहे उनके पिता ने बच्चों के लिए दो दर्जन से अधिक साहित्य लिखे और उनकी इस कालजयी रचना को पढ़ कर न जाने कितने ही बच्चे आज प्रौढ़ावस्था को प्राप्त हो गए और अब भी बच्चे इसे पढ़ कर प्रेरणा लेते हैं।

उन्होंने राहुल गाँधी को संबोधित करते हुए कहा, “समय के शिलालेख पर अमिट ऐसी रचना को पैरोडी के रूप में आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने से मुझे और मेरे परिवार को पी़ड़ा हुई है। आप स्वयं विचार करें कि क्या यह कविता और कवि की आत्मा के साथ न्याय है? राहुल गाँधी जी, आपने उसी कविता का मजाक बनाया है, जो घोर निंदनीय है, इस पर माफी माँगनी चाहिए।” उन्होंने इस कविता को इस तरह पेश किए जाने पर आपत्ति जताई।

वहीं द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पौत्र प्रांजल माहेश्वरी ने याद दिलाया कि ये पंक्तियाँ उनके दादा ने लिखी हैं। साथ ही उन्होंने राहुल गाँधी को सलाह दी कि वो दिल से इन पंक्तियों को सीखें, क्योंकि उन्होंने जो लिखा है, वो इसकी सही पंक्तियाँ नहीं हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी की तरफ से माहेश्वरी परिवार की आपत्तियों का कोई जवाब नहीं दिया गया है। द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता का सही रूप ये है, जो आज भी कई पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा है:

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

इधर हमेशा की तरह राहुल गाँधी फिर अपनी विदेश यात्रा पर निकल चुके हैं। मीडिया में यह खबर छाई हुई है कि कॉन्ग्रेस नेता कतर एयरलाइंस की फ्लाइट से मिलान (इटली) के लिए रवाना हो चुके हैं। कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी इस बात की पुष्टि की है कि राहुल गाँधी एक ‘शॉर्ट ट्रिप’ पर गए हुए हैं। वो ऐसे समय में विदेश गए हैं, जब सोमवार (दिसंबर 28, 2020) को कॉन्ग्रेस का स्थापना दिवस भी है और उनकी पार्टी ‘किसान आंदोलन’ को लेकर खासी मुखर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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