कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में हार क्या मिली, अब उन्हें उत्तर प्रदेश के आम का स्वाद भी नहीं भा रहा है। आम के मौसम में उन्होंने इस फल को भी राजनीति में घसीट लिया है और पत्रकारों ने आम को लेकर उनसे कुछ ‘कठिन सवाल’ भी पूछे। राहुल गाँधी ने कहा कि उन्हें यूपी के आम का स्वाद पसंद नहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें आंध्र प्रदेश के आम पसंद हैं।
राहुल गाँधी को पसंद नहीं यूपी के आम, सीएम योगी ने किया पलटवार
साथ ही उन्होंने लंगड़ा को भी ठीक आम बताते हुए कहा कि दशहरी उनके लिए ज्यादा ही मीठा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहुल गाँधी के इस बयान का जवाब देते हुए कहा, “आपका टेस्ट ही विभाजनकारी है। आपके विभाजनकारी संस्कारों से पूरा देश परिचित है। आप पर विघटनकारी कुसंस्कार का प्रभाव इस कदर हावी है कि फल के स्वाद को भी आपने क्षेत्रवाद की आग में झोंक दिया, लेकिन ध्यान रहे कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत का स्वाद एक है।”
श्री @RahulGandhi जी, आपका 'टेस्ट' ही विभाजनकारी है। आपके विभाजनकारी संस्कारों से पूरा देश परिचित है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 23, 2021
आप पर विघटनकारी कुसंस्कार का प्रभाव इस कदर हावी है कि फल के स्वाद को भी आपने क्षेत्रवाद की आग में झोंक दिया।
लेकिन ध्यान रहे कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत का 'स्वाद' एक है। pic.twitter.com/VMtiyNtnCY
वहीं गोरखपुर से भाजपा सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गाँधी को उत्तर प्रदेश के आम पसंद नहीं हैं और उत्तर प्रदेश को कॉन्ग्रेस पसंद नहीं है, हिसाब बराबर। बता दें कि हाथरस कांड के दौरान जम कर राजनीति खेलने वाले राहुल गाँधी ने कुछ महीनों पहले केरल की राजनीति को ‘ताज़गी भरा’ बताया था और कहा था कि उत्तर भारत में अलग तरह की राजनीति होती है। तब उन पर उत्तर-दक्षिण के बीच विभाजन पैदा करने के आरोप लगे थे।
ब्राह्मणों को खुश करने की जुगत में मायावती, पोस्टर पर राम मंदिर
ये तो हुई आम की बात। उधर मायावती की बसपा ने भी उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारी शुरू करते हुए ब्राह्मण-दलित एकता की बातें करनी शुरू कर दी है। बसपा ने अयोध्या में एक सम्मलेन किया। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने इस दौरान जो पोस्टर शेयर किया, उसमें निर्माणाधीन राम मंदिर के साथ-साथ रामलला की भी तस्वीर थी। तो क्या बसपा अब हिन्दुवाद के रथ पर सवाल हो गई है?
बसपा जगह-जगह ‘ब्राह्मण संगोष्ठी’ का आयोजन करेगी। कभी तिलाल-तराजू-तलवार को जूते मारने की बात करने वाली पार्टी ने 2007 में ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ का नारा देकर सत्ता पाई थी। अब फिर वही फॉर्मूला अपनाने की तैयारी है। 2017 में बसपा को मात्र 19 सीटें ही आई थीं। मथुरा, काशी और प्रयागराज जैसे धार्मिक शहरों में ‘ब्राह्मण संगोष्ठी’ का आयोजन कर 75 जिलों में ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने के लिए अभियान शुरू किया गया है।
सत्य ,न्याय एवं सदाचार के महाप्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी की पावन धरा अयोध्या जी में आप सभी के मध्य उपस्थित रहूंगा।#सर्वजन_हिताय #सर्वजन_सुखाय pic.twitter.com/wXCXkeOa9X
— Satish Chandra Misra (@satishmisrabsp) July 23, 2021
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हाल ही में चित्रकूट में मंदिरों का दौरा कर हिंदुत्व वाली राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने पार्टी मुख्यालय में ‘परशुराम जयंती’ का आयोजन करवाया। साथ ही राम और कृष्ण, दोनों को अपना बताया। भाजपा सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि ब्राह्मण अब दोबारा बसपा के पाले में नहीं जाएँगे, क्योंकि वो मायावती के दाँव को समझ चुके हैं। उन्होंने बसपा की इस चाल को अप्रासंगिक करार दिया।
मुस्लिम डिप्टी सीएम की माँग, होगा सपा-AIMIM का गठबंधन?
उधर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गठबंधन का ऑफर दिया है। उसने कहा है कि अगर सपा किसी मुस्लिम को उप-मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान करती है तो फिर उसके साथ गठबंधन किया जा सकता है। उसने कहा कि भाजपा के खिलाफ सारे दल एकजुट हों और किसी वरिष्ठ मुस्लिम नेता को डिप्टी सीएम बनाया जाए तो सपा के साथ गठबंधन हो सकता है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ सपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ने को तैयार है, लेकिन इसी एक शर्त पर। अगस्त की शुरुआत में असदुद्दीन ओवैसी अपने दौरे में प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी और आसपास के अन्य जिलों में कार्यकर्ताओं से मिलने वाले हैं। साथ ही मुस्लिम व दलित समाज के ‘बुद्धिजीवियों’ से भी उनकी मुलाकात होनी है। AIMIM ने सभी 75 जिलों में संगठन की घोषणा करते हुए 20% मुस्लिम वोट बिखरने से बचाने की अपील की है।