राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के निर्देश पर फैसला ले लिया है। यह फैसला है कि श्रमिक एक्सप्रेस से अन्य राज्यों में भेजे जाने वाले मजदूरों के किराए का भुगतान राज्य सरकार करेगी। ये रकम राजस्थान सरकार रेलवे को देगी। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इन मजदूरों का 85% किराया केंद्र सरकार वहन कर रही है। बाकी का 15% उस राज्य को करना है, जहाँ के नागरिक ये मजदूर होंगे।
राजस्थान सरकार अपने राज्य से दूसरे राज्यों में भेजे जाने वाले मजदूरों के किराए का भुगतान करने की बात कर रही है और वो भी सोनिया गाँधी के ‘निर्देश’ पर। फिर केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का क्या? रेलवे की घोषणा का क्या? इन दोनों ने तो सोनिया गाँधी के बयान से पहले ही सारी व्यवस्था कर दी थी। और सोनिया गाँधी ने तो ये भी नहीं कहा था कि कॉन्ग्रेस शासित सरकारें मजदूरों के किराए का भुगतान करे। उन्होंने कहा था कि पार्टी ऐसा करेगी।
राज्य सरकार और पार्टी में अंतर है। जब किराए का भुगतान राज्य सरकार करेगी, तो स्पष्ट है कि वो जनता का पैसा है। जब किराए का भुगतान कॉन्ग्रेस पार्टी करेगी, तो वो पार्टी का पैसा होगा। सोनिया गाँधी का ‘निर्देश’ है कि पार्टी करे लेकिन राजस्थान के सीएम कहते हैं कि सरकार करेगी। पहली बात तो ये कि जब 85% केंद्र और 15% राज्य को करना है तो बाकी बची 0% रकम में से कितनी कॉन्ग्रेस पार्टी करेगी और कितनी कॉन्ग्रेस शासित सरकारें?
जो मुख्यमंत्री अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष का बयान नहीं समझ पा रहे हैं, जाहिर है कि उन्होंने रेलवे या गृह मंत्रालय की बातों की ओर तो ध्यान तक नहीं दिया होगा। अगर सच में कॉन्ग्रेस पार्टी राज्य और केंद्र दोनों के हिस्से का भुगतान करने के लिए वॉलंटियर करना चाहती है कि राजस्थान कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट इसकी घोषणा करें कि उनकी पार्टी किस श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन के लिए और कितने मजदूरों के लिए ऐसा करने जा रही है। और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो स्पष्ट है कि सोनिया गाँधी की कॉन्ग्रेस पार्टी के खजाने को बचाने के लिए राजस्थान की सरकार ने कूदते हुए राज्य के लोगों का पैसा रेलवे को देने का निर्णय कर लिया।
इससे पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों से पैसा नहीं लेना चाहिए, ये हास्यास्पद है। उन्होंने माँग की थी कि केंद्र सरकार को इसमें सहायता देनी चाहिए। अब जब अधिकतर किराया केंद्र सरकार वहन कर रही है, तब गहलोत कहते हैं कि राज्य सरकार सबका किराया देगी। कॉन्ग्रेस पार्टी के दोनों मुख्यमंत्रियों के बयानों को देखिए। एक कहते हैं हमसे किराया मत लो, दूसरे कहते हैं हम ही किराया देंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती #SoniaGandhi जी के निर्देश पर हमने फैसला किया है कि #Rajasthan से अन्य राज्यों में भेजे जाने वाले प्रवासी श्रमिकों के किराये का भुगतान रेलवे को राज्य सरकार करेगी।#COVID19Pandemic #राजस्थान_सतर्क_है
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) May 4, 2020
इससे पता चलता है कि कॉन्ग्रेस में मजदूरों के किराए वाले सवाल पर सब कोई एकमत नहीं है क्योंकि उन्होंने सरकार के निर्देशों को समझा ही नहीं है। सोनिया गाँधी कहती हैं कि मजदूरों का किराया कॉन्ग्रेस देगी। भूपेश बघेल पूछते हैं राज्य क्यों दे किराया? अशोक गहलोत कहते हैं राज्य ही देगा। तीन बड़े नेताओं के तीन अलग-अलग किस्म के बयान ये बताते हैं कि पार्टी श्रमिक एक्सप्रेस मामले पर राजनीति करना चाह रही है और जबरदस्ती का मुद्दा बना कर भाजपा को मजदूर-विरोधी दिखाना चाहती है।
झूठ फैलाने का काम तो पत्रकारों द्वारा शुरू ही करवा दिया गया था। रोहिणी सिंह, अजीत अंजुम और रवीश कुमार ने पहले ही माहौल बना दिया था। सोनिया गाँधी का बयान आते ही सागरिका घोष जैसों ने कॉन्ग्रेस की पीठ थपथपा कर इसे आगे बढ़ाया। ‘द हिन्दू’ की ख़बर के माध्यम से भ्रम का माहौल पैदा किया गया। जबकि बाद में सामने आया कि कॉन्ग्रेस शासित राज्य महाराष्ट्र और राजस्थान ही किराया देने में आनाकानी कर रहे हैं।