200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर 2023 को मतदान होना है। पर ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस वोट पड़ने से पहले ही परास्त हो चुकी है। शायद इसी खीझ में कन्हैयालाल तेली के हत्यारों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेतुके दावों पर उतर आए हैं।
जोधपुर में चुनावी प्रचार के दौरान 12 नवंबर 2023 को गहलोत ने कन्हैयालाल के हत्यारों को ‘बीजेपी के लोग‘ बताया। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी चुनाव से पहले तनाव पैदा करने की नीयत से इस हत्याकांड का जिक्र कर रही है।
उल्लेखनीय है कि 28 जून 2022 को उदयपुर के कन्हैयालाल का गला उनके ही दुकान में घुसकर मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने काट दिया था। उनकी अस्थियों को आज भी विसर्जन का इंतजार है, क्योंकि हत्यारों को आज तक सजा नहीं हुई है।
भले कन्हैयालाल की बर्बर हत्या के बाद हत्यारों ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। भले इस बर्बरता से पूरा देश स्तब्ध रह गया था। लेकिन सीएम गहलोत की माने तो इस केस में कई रहस्य हैं।
वैसे जिस मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश की कानून व्यवस्था गर्त में जा चुकी है उससे यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह इस बर्बरता की नैतिक जिम्मेदारी लेगा। खासकर तब जब जमीन पर साफ दिख रहा हो कि कन्हैयालाल की हत्या बड़ा चुनावी मुद्दा है। उदयपुर के लोग कॉन्ग्रेस से पीछा छुड़ाने को छटपटा रहे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 10 नवंबर 2023 को उदयपुर में एक रैली में इस हत्याकांड का जिक्र किया था। यह खिसकती जमीन का ही असर है कि गहलोत कह रहे हैं, “कन्हैया लाल की हत्या करने वाले कौन लोग थे? ये बीजेपी के लोग थे। उन्हें (मोदी) इस बारे में जानकारी नहीं दी गई होगी। जब उन्हें (आरोपितों को) से 4-5 दिन पहले एक मामले में पुलिस स्टेशन ले जाया गया तो यह भाजपा के लोग ही थे जिन्होंने उन्हें जमानत दिलाई थी। क्या वह ये नहीं जानते? फिर वह (मोदी) कैसे बोल सकते हैं?”
गहलोत इस हत्याकांड की NIA जाँच से भी बौखलाए हुए हैं। उनका कहना है कि यदि जाँच राजस्थान पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप करता तो कुछ सही नतीजे निकलते। उन्होंने कहा, ” हमने घटना के दो-तीन घंटे के भीतर ही आरोपितों को पकड़ लिया था, लेकिन NIA ने उसी रात मामले को अपने हाथ में ले लिया। तब से यह पता नहीं चल पाया है कि मामले में क्या हुआ।”
बीजेपी ने गहलोत के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि वे हताश हैं। चुनाव हारने वाले हैं। राजस्थान बीजेपी प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा कि कन्हैयालाल ने पुलिस सुरक्षा माँगी थी। लेकिन उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी गई, इसलिए आतंकवादियों ने उनका सिर काट दिया।
उन्होंने कहा, “इतना जघन्य अपराध हुआ जिसमें आतंकवादी शामिल थे और उन्होंने प्रधानमंत्री को जान से मारने की धमकी भी दी। कानून-व्यवस्था एक सीएम की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके बजाय अगर वह ऐसा बेशर्म, गैर-जिम्मेदाराना और आधारहीन बयान देते हैं, तो इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता।”
भारद्वाज ने जो कुछ कहा है उसकी तस्दीक तथ्य भी करते हैं। कन्हैयालाल को हत्या के पहले धमकी दी गई थी। उन्होंने इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन राजस्थान की पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हत्या के बाद यह बात सामने आई थी कि बकायदा रेकी कर पूरे प्लान के साथ इस बर्बर हत्या को अंजाम दिया गया था।
न्यूज 18 की हालिया ग्राउंड रिपोर्ट भी बताती है कि इस हत्याकांड के कारण जमीन पर कॉन्ग्रेस सरकार से भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासनिक व्यवस्था अच्छी होती तो न ही पेपर लीक जैसे कांड लगातार होते और न ही कन्हैया लाल जैसों की जान जाती।
भले यह नाराजगी सत्ता परिवर्तन के तौर पर भले 3 दिसंबर को सामने आएगी, लेकिन अशोक गहलोत के बेतुके दावों से प्रतीत होता है कि कॉन्ग्रेस मतदान से पहले ही सरेंडर कर चुकी है।