राजस्थान में अशोक-गहलोत सरकार ने कई राज्यों में प्रतिबंधित पीएफआई को राज्य में धरना प्रदर्शन सहित मार्च करने की खुली छूट दे दी है। गुरुवार (17 फरवरी, 2022) को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने अपने वार्षिक ‘पीएफआई दिवस’ के अवसर पर राजस्थान के कोटा में एक ‘एकता मार्च’ का आयोजन किया है।
#WATCH | Popular Front of India (PFI) has organised a ‘unity march’ in Rajasthan’s Kota on the occasion of its foundation day
— ANI (@ANI) February 17, 2022
Permission to organise ‘unity march’ was denied by district admin in its order copy however admin permitted them to organise a public rally at a stadium pic.twitter.com/DdlXUR8XqC
भाजपा ने एनआईए द्वारा घोषित कट्टरपंथी संगठन को राजस्थान के राजनीतिक परिवेश में प्रवेश की अनुमति देने के लिए राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। इस मुद्दे पर बोलते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “पीएफआई को लोकप्रिय और वैधता प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राजस्थान सरकार पीएफआई को कोटा में एक मार्च निकालने की अनुमति दे रही है, चरमपंथी समूहों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर के तहत जहाँ उसके हजारों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सड़कों पर मार्च करने की अनुमति दी जाएगी।”
Congress ka haath PFI , tukde gang ke saath
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) February 17, 2022
Once again Congress legitimises NIA designated radical hate group PFI by allowing it to take out its annual march in Rajasthan with thousands
Earlier Cong had alliance with SDPI in K’taka too
Soft corner for Islamist extremists pic.twitter.com/Vbv74I0SGj
टाइम्स नाउ से बात करते हुए, पूनावाला ने पीएफआई का पर्दाफाश करते हुए लताड़ लगाई, उन्होंने कहा, “एनआईए ने पीएफआई को कट्टरपंथी हेट ग्रुप के रूप में नामित किया है। एक समूह जो चरमपंथी और आतंकी गतिविधियों में लिप्त है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने PFI पर प्रतिबंध लगा दिया है। सीएए विरोधी दंगों में उनकी भूमिका सर्वविदित है और इसकी जाँच की जा रही है। यहाँ तक कि इन दंगों को अंजाम देने के लिए पीएफआई को मिलने वाला फंड भी ईडी की जाँच के दायरे में रहा है। इतने सारे मामलों और चरमपंथी गतिविधियों की एक लंबी सूची के बावजूद, जिसमें पीएफआई शामिल रहा है, कॉन्ग्रेस पार्टी पीएफआई को संरक्षण और वैधता प्रदान करना जारी रखे हुए है।”
ANI ने PFI के यूनिटी मार्च की तस्वीरें शेयर कीं हैं, जहाँ PFI समर्थकों द्वारा AFSPA और UAPA जैसे कानूनों का विरोध करने वाले पोस्टर लगाए गए थे।
Rajasthan | Popular Front of India (PFI) workers march to Nayapura Stadium in Kota ahead of a public rally there to mark the foundation day of the org. PFI is banned in some states of the country.
— ANI (@ANI) February 17, 2022
District admn has permitted them to organise a public meet at the Stadium today. pic.twitter.com/PCtYkwTCHv
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा ने भी ट्वीट किया, “अशोक-गहलोत सरकार द्वारा कट्टरपंथ को वैध बनाने के प्रयास, केवल इस विश्वास को मजबूत करते हैं कि कॉन्ग्रेस कैसे अपराध का समर्थन करती है।”
Rajasthan is now home to highest crimes against women;what is worse,it has lowest conviction rate
— Sanju Verma (@Sanju_Verma_) February 17, 2022
Efforts to legitimize radicalism by @ashokgehlot51 govt,only cements the belief about how Congress endorses crime#HijabRow supported by PFI &Congress supports #PFI
Get the drift? https://t.co/y7TKzii3T0
विडंबना यह है कि गहलोत की सरकार राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में ‘घूंघट’ व्यवस्था को खत्म करने के लिए अभियान चलाती रही है.
हिजाब विवाद को भड़का रहा पीएफआई
जबकि कर्नाटक राज्य सरकार ने हिजाब विवाद को भड़काने के पीछे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) – पीएफआई की छात्र शाखा की भूमिका की तरफ साफ़ इशारा किया है, कुछ बुर्का पहने मुस्लिम छात्राओं ने पहले ही स्वीकार किया है कि उन्हें सीएफआई और जमात-ए-इस्लामी द्वारा बुर्का पहनने की सलाह दी गई थी। मुस्कान ज़ैनब के पिता – जिनकी प्रसिद्धि परिसर में “अल्लाह-हू-अकबर” का नारा है, को भी कट्टरपंथी इस्लामी समूह पीएफआई का सदस्य पाया गया। सोशल मीडिया पर, पीएफआई के प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने में कॉन्ग्रेस की भागीदारी और भूमिका कई बार उजागर हो चुकी है।
कर्नाटक का सरकारी पीयू कॉलेज जहाँ सबसे पहले हिजाब विवाद शुरू हुआ था, के प्रिंसिपल ने मीडिया को बताया था कि संबंधित छात्राओं ने पहले कभी हिजाब नहीं पहना था, लेकिन सीएफआई के प्रभाव में इसे पहनना शुरू कर दिया है। मुस्लिम छात्राएँ इससे पहले दिसंबर में एक सीएफआई वकील के साथ कॉलेज आई थीं और माँग कर रही थीं कि उन्हें संस्थान के ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए हिजाब पहनकर कक्षाओं के अंदर बैठने दिया जाए।