25 दिसंबर को 1, 26 को 3, 27 को 2, 28 को 6, 29 को 1, 30 को 4 और 31 को 5। यानी 7 दिनों में 22 मौतें। यह आँकड़ा है राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में दम तोड़ने वाले मासूमों का। यहॉं दिसंबर महीने में कुल 99 बच्चों की मौत हुई। हालत इतनी बदतर है कि 28 दिसंबर की रात चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव की समीक्षा बैठक 5 घंटे चली और इस दौरान 4 बच्चे मर गए। 31 दिसंबर को ही 13 घंटे के भीतर 5 मौतें हुईं।
इन मौतों को लेकर राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार की असंवेदनशीलता एक बार फिर से उजागर हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने इन मौतों को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध से जोड़ दिया है। उनका कहना है कि पीएमओ के निर्देश पर भाजपा कोटा में हुई मौतों पर राजनीति कर रही है। इसकी आड़ में वह CAA विरोधी प्रदर्शनों को छिपाना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2015,2016 और 2017 में जब मौतें हुई तो भाजपा सत्ता में थी। हॉस्पिटल अथॉरिटी ने फंड की मॉंग की थी, लेकिन जारी नहीं किया गया।
Raghu Sharma,Rajasthan Health Min: BJP’s politics over death of children in Kota is directed by PMO,as they don’t have anything else to cover over up the protests over CAA. In 2015,2016&2017 when BJP was in power,hospital authority had sought funds,why wasn’t money released then? pic.twitter.com/SfG9tLzglR
— ANI (@ANI) January 1, 2020
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य के हर अस्पताल में रोजाना 3-4 मौतें होती हैं। यह कोई नई बात नहीं है। लगे हाथ उन्होंने यह भी दावा किया था कि इस साल केवल 900 मौतें हुई हैं जो बीते 6 साल में सबसे कम है। उन्होंने अपनी सरकार की नाकामी छिपाते हुए कहा था कि बीते सालों में 1500, 1300 मौतें भी हो चुकी हैं।
Rajasthan CM on Kota child deaths: This year has least deaths in last 6 yrs. Even 1 child death is unfortunate.But thr hv been 1500,1300 deaths in a year in past,this year figure is 900.There are daily few deaths in every hospital in state&country,nothing new.Action being taken pic.twitter.com/86oSvPsGA3
— ANI (@ANI) December 28, 2019
कोटा के इस अस्पताल को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण (NCPCR) की एक रिपोर्ट भी सामने आई है। इसके मुताबिक अस्पताल की जर्जर हलात और वहाँ पर साफ-सफाई को लेकर बरती जा रही लापरवाही बच्चों की मौत का एक अहम कारण है। रिपोर्ट में NCPCR ने बताया है कि अस्पताल की ख़िड़कियों में शीशे नहीं हैं, दरवाजे टूटे हुए हैं, जिस कारण अस्पताल में भर्ती बच्चों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। इसके अलावा अस्पताल के कैंपस में सूअर भी घूमते रहते हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कोटा से ही सांसद हैं। मौतों का सिलसिला शुरू होने के बाद पहले उन्होंने इस ओर राज्य सरकार का ध्यान दिलाया। हालात नहीं सुधरने पर उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन व विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने राज्य सरकार को संवेदनशील होकर कार्य करने की नसीहत दी थी। साथ ही कहा था कि उनका मंत्रालय लगातार निगरानी कर रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार अस्पताल का रिकॉर्ड बताता है कि इस साल 962 बच्चों की मौत हुई है। इनमें से 101 बच्चों की मौत नवंबर और 99 की दिसंबर में हुई। बीते साल 1,005 और और 2014 में 1,198 बच्चों की मौत हुई थी।