नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ राजस्थान विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया है। ऐसा करने वाला वह तीसरा राज्य है। दो अन्य राज्य पंजाब और केरल हैं। पंजाब और राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार है, जबकि केरल में वामपंथी दल सत्ता में हैं।
शनिवार को राज्य विधानसभा में सीएए के खिलाफ पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, “राज्य विधानसभा ने सीएए के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव आज पारित किया। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस कानून को निरस्त करे, क्योंकि यह धार्मिक आधार पर लोगों से भेदभाव करता है जो हमारे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।”
उन्होंने कहा, “हमारा संविधान किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है। देश के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा कानून बनाया गया है जो धार्मिक आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है। यह हमारे संविधान के पंथनिरपेक्ष सिद्धांतों और हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।” गहलोत ने कहा कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ होने के कारण देशभर में सीएए का विरोध हो रहा है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
#Rajasthan Assembly has passed a resolution today against the #CAA and we have urged the Central govt to repeal the law as it discriminates against people on religious grounds, which violates the provisions of our Constitution.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 25, 2020
1/
हालॉंकि राज्य विधानसभाओं से सीएए के खिलाफ पारित प्रस्ताव मायने नहीं रखता। कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी कह चुके हैं कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने दखल नहीं दिया तो राज्य कानून लागू करने से इनकार नहीं कर सकते। ऐसा करना असंवैधानिक होगा।
It is noteworthy that a large number of states have been opposing #NRC_CAA keeping in mind public opinion at large. It is duty of centre govt to keep federal structure intact n strong, I urge NDA govt to come forward and withdraw the act. Govt should not make it a prestige issue.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 25, 2020
गहलोत ने बताया कि प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया। इस दौरान बीजेपी के नेताओं ने सदन के अंदर और फिर बाहर आकर प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए। साथ ही सीएए लागू करो के नारे भी लगाए। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद सीएए पहले ही कानून बन चुका है, ऐसे में इस तरह विधानसभा में संकल्प पत्र पेश करने का कोई औचित्य नहीं है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल को पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को लोकसभा से और 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास कराया था। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके तहत कहा गया कि नागरिकता केवल उन्हीं को दी जाएगी, जोकि धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए। साथ ही 31 दिसंबर, 2014 के पहले ही भारत आए लोगों को नागरिकता देने का नियम तय किया गया है।
CAA-NRC का सर्वे करने वाली समझकर आशा कार्यकर्ता को सईनुद्दीन के परिवार ने बेरहमी से पीटा, मामला दर्ज
वामपंथियों और कॉन्ग्रेसी सरकारों की सिब्बल ने खोली पोल, कहा- CAA लागू करने से मना नहीं कर सकते राज्य