राजस्थान में सियासी घमासान के बीच लगभग तीन सप्ताह से विभिन्न होटलों में आराम फरमा रहे कॉन्ग्रेस के विधायकों के वेतन-भत्ते और अन्य लाभ रोकने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। राजस्थान में यह उठा पटक सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के विद्रोह के बाद हुआ है।
यह याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय की डबल बेंच के समक्ष विवेक सिंह जादौन की ओर से दायर की गई है। जिसपर मंगलवार (4 अगस्त,2020) को सुनवाई होगी।
जादौन ने राजस्थान उच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि पिछले कुछ हफ़्तो से होटलों में लुफ्त उठा रहे विधायक न ही जनता के बीच जा रहे है। न ही ये अपने विधानसभा क्षेत्र में कोई काम कर रहे है। ऐसे में इन्हें वेतन-भत्ते क्यों दिए जाएँ। उन्होंने कोर्ट से विधायकों को मिल रहे वेतन, मासिक भत्ते, और अन्य लाभों को वापस लेने की माँग की है।
इंडिया टुडे टीवी के साथ बात करते हुए, याचिका दायर करने वाले विवेक सिंह जादौन के वकील, गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा, “याचिका इसलिए दायर की गई है क्योंकि, विधायक राज्य के लोगों की सेवा के लिए चुने गए, होटलों में ठहरने के लिए नहीं। इसमें कहा गया है कि जनता के साथ कोई संबंध नहीं रखने वाले होटलों में रहने वाले विधायक अपनी शपथ के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।”
याचिका में यह भी उल्लेख है कि, विधायकों की अनुपस्थिति में कोई अन्य जिम्मेदार व्यक्ति भी उनके कर्तव्य निर्वहन के लिए मौजूद नहीं है। इसलिए उन्हें कोई वेतन, भत्ता नहीं दिया जाना चाहिए।
दायर याचिका में फेयरमोंट होटल का भी उल्लेख किया गया है, जहाँ कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायक लगभग दो सप्ताह तक रहे। हालाँकि, अशोक गहलोत खेमे से जुड़े कॉन्ग्रेस विधायकों को राजस्थान के जैसलमेर के एक अन्य होटल में शिफ्ट कर दिया गया है।
वहीं इंडिया टुडे से बात करते हुए विवेक सिंह जादौन ने बताया, “वे अपनी याचिका को किसी कीमत पर भी नहीं बदलेंगे। याचिका के जरिए लोगों के सामने यह बात आएगी कि जिन विधायकों को लोगों के लिए काम करना चाहिए, वे कोरोना संकट जैसी कठिन परिस्थितियों के समय होटलों में ठहरे हुए हैं।”