राजस्थान में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार (24 मई 2020) को गवर्नर कलराज मिश्र पर दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन रात होते-होते यह दॉंव उन्हें भारी पड़ता नजर आया।
पहले तो कॉन्ग्रेसी विधायकों को राजभवन से होटल लौटना पड़ा। उसके बाद राज्यपाल ने गहलोत को पत्र लिखकर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल पूछा है। यह पत्र गहलोत की उस धमकी के आलोक में लिखा गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि जनता राजभवन का घेराव कर लेती है तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।
गवर्नर ने अपने पत्र में अशोक गहलोत से कहा है, “इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता, आपने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि राजभवन घेराव होता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है।”
उन्होंने लिखा है, “अगर आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकता तो राज्य में कानून-व्यवस्था का क्या होगा? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? मैंने कभी किसी सीएम का ऐसा बयान नहीं सुना। क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहाँ विधायक राजभवन में विरोध-प्रदर्शन करते हैं?”
Rajasthan’s Governor Kalraj Mishra writes to CM Ashok Gehlot stating, ‘Before I could discuss the matter with experts regarding Assembly session, you have publically said that if Raj Bhawan is ‘gheraoed’ then it is not your responsibility. (file pic) (1/2) pic.twitter.com/Q2nqFcWDuB
— ANI (@ANI) July 24, 2020
यह पत्र राज्य कैबिनेट की बैठक से ठीक पहले सामने आया है। राज्यपाल सचिवालय ने बताया है कि राज्य सरकार के जरिए 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली का एनालिसिस किया गया और कानून विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया। इस संबंध में जो दस्तावेज दिए गए हैं उसमें न तो सत्र बुलाने की तारीख का उल्लेख है और न इस संबंध में कैबिनेट की मॅंजूरी मिलने का जिक्र।
सचिवालय ने बताया है कि शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाए जाने के लिए न तो कोई जस्टिफिकेशन दिया गया है और न ही कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया है। सामान्य प्रक्रिया में सत्र बुलाए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी होता है। साथ ही राज्य सरकार से राज्य सरकार को सभी विधायकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने को कहा गया है।
On the night of July 23, the State Government presented a paper to convene the session of the Assembly at very short notice. The paper was analysed and legal experts were consulted over it: #Rajasthan Governor's Secretariat (1/4))
— ANI (@ANI) July 24, 2020
अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कोशिशों के तहत। राज्यपाल पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। यह कवायद सचिन पायलट और उनके समर्थकों को हाई कोर्ट से मिली राहत के बाद की गई।
गहलोत ने राजभवन घेरकर अनिश्चितकाल तक धरना देने का आह्मवन भी किया। इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ राजभवन पर धरना दिया, लेकिन शाम तक सब बैठक के लिए होटल रवाना हो गए।
#RajasthanPoliticalCrisis: राजभवन से बड़ी खबर
— First India News Rajasthan (@1stIndiaNews) July 24, 2020
कांग्रेस विधायक फिलहाल उठे धरने से, सभी कांग्रेस विधायक हो रहे होटल के लिए रवाना, रात 9:30 बजे होगी गहलोत कैबिनेट की बैठक, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होगी बैठक…#GehlotVsPilot #RajasthanPolitics pic.twitter.com/hRwrQDBoio
इससे पहले गहलोत ने धमकियाने अंदाज में राजभवन को घेरने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, “राज्यपाल बिन दबाव में आए सत्र को बुलाएँ। वरना पूरे राज्य की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।”
सत्याग्रह। pic.twitter.com/54wNZrueZE
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 24, 2020
इस बीच उन कॉन्ग्रेस विधायकों का एक वीडियो सामने आया है जिन्हें कैद करने का आरोप पार्टी लगा रही थी। इस वीडियो में हम देख सकते हैं कि विधायक कहते हैं कि सीएम गहलोत पुराने नेता होने के बावजूद उन्होंने जिस प्रकार के इल्जाम उन लोगों पर लगाएँ, उससे वह लोग बहुत आहत हैं। उन लोगों ने कभी कॉन्ग्रेस नहीं छोड़ी थी और न ही कभी भाजपा के संपर्क में आए थे। वे तो बस गहलोत की कार्यप्रणाली से व्यथित होकर कॉन्ग्रेस हाईकमान से मिल कर अपनी बात रखने दिल्ली आए थे।
विधायकों ने बताया कि वह दिल्ली में काफी समय से हैं। लेकिन आज भी सीएम गहलोत ने यह आरोप लगाया कि भाजपा ने उन्हें कैद किया हुआ है। जबकि वे तो उनके संपर्क में ही नहीं है। इसके विपरीत, वे गहलोत सरकार के रवैये से परेशान हैं। वे कहते हैं कि हमारे परिवार के लोग डरे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा एसओजी का उपयोग जो किया जा रहा है।
#WATCH: MLA Murari Lal Meena, who supports Sachin Pilot, says, “We are staying in Delhi. CM Ashok Gehlot said we are held hostage by BJP, it’s untrue as we were never in touch with them. On the contrary, our families are scared due to use of SOG by CM.” #RajasthanPoliticalCrisis pic.twitter.com/r3EqnKMYJp
— ANI (@ANI) July 24, 2020
दूसरी ओर भाजपा भी कॉन्ग्रेस पर हमलावर हो गई है। भाजपा नेता व राजस्थान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने राजभवन में गहलोत खेमे द्वारा नारेबाजी को देखकर कहा, “मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री स्वयं अपने जाल में फँस गए। प्रारंभ से अब तक इनको निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला और आज जो रास्ता ढूंढा है वो इस गरिमामय पद को गिराने वाला ही साबित होगा।”
उन्होंने आगे ये भी कहा, “मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूँ कि समय की स्थिति को देखते हुए राजस्थान की पुलिस के भरोसे कानून-व्यवस्था को न छोड़कर CRPF को निश्चित तौर पर यहाँ तैनात करना चाहिए।”
I urge the central govt to not leave the law and order in the hands of #Rajasthan Police and deploy CRPF here so that the sanctity of this constitutional post is upheld. Those protesting at Raj Bhawan should be driven out & all legal remedies should be used for it: GC Kataria https://t.co/v7a0QYu95q
— ANI (@ANI) July 24, 2020
यहाँ बता दें कि ये हलचल शुरू होने से पहले आज सुबह राजस्थान हाईकोर्ट से पायलट समर्थक नेताओं को स्पीकर की कार्रवाई से राहत मिली थी। हाईकोर्ट ने सचिन पायलट गुट को राहत देते हुए विधानसभा स्पीकर के आयोग्यता नोटिस पर यथास्थिति रखने का आदेश दिया था।
उल्लेखनीय है कि एक ओर जहाँ पायलट खेमे को कुछ अतिरिक्त समय के लिए राहत मिली है और गहलोत सरकार में हलचल शुरू हो गई है। वहीं इसी बीच पूरे मामले में भाजपा की एंट्री हुई है।
दरअसल, आज भाजपा नेता मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने बसपा BSP के 6 विधायकों के कॉन्ग्रेस के साथ हुए विलय को रद्द करने का अनुरोध किया है। इस याचिका में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष की ‘निष्क्रियता’ को भी चुनौती दी गई है, जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है। राजस्थान हाईकोर्ट सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा