देश की प्रमुख वामपंथी राजनीतिक पार्टियों में से एक भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में सीएए को वापस लेने, आर्टिकल 270 को बहाल करने, प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण देने और एफडीआई पर लगाम कसने की बात कही गई है। वामपंथी पार्टी सीपीआई-एम ने 4 अप्रैल 2024 को दिल्ली में अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया।
बता दें कि सीपीआई-एम के पास लोकसभा में सिर्फ 3 सीटें हैं, लेकिन उसने अपने 44 पन्ने के घोषणापत्र [पीडीएफ] में अपने नापाक एजेंडे को विस्तार से रखा है। सीपीआईएम ने मोदी सरकार द्वारा लागू की गई दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को रद्द करने की कसम खाई है। इसने पार्टी के सत्ता में आने पर निजी क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार में जाति-आधारित आरक्षण शुरू करने का भी आश्वासन दिया है। सीपीआई-एम के घोषणा पत्र में देशविरोधी बातों की भरमार हैं, जिनके बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने उन कानूनों को रद्द करने का वादा किया है, जो ऐतिहासिक रूप से आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए हैं। इसमें गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) को निरस्त करना शामिल है। इतना ही नहीं, सीपीआईएम ने भ्रष्टाचार विरोधी कानून, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) को बदलने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों से उनकी शक्तियाँ छीनने का वादा किया है।
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— CPI (M) (@cpimspeak) April 6, 2024
इसके अलावा इसने अपने समर्थकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम को खत्म करने का आश्वासन दिया है, जो एक मानवीय कानून है जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सताए हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों की नागरिकता को तेजी से ट्रैक करना है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं। इतना ही नहीं, पार्टी ने मौत की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से हटाने का भी वादा किया है, जो मौजूदा समय में 2012 के कुख्यात निर्भया मामले जैसे दुर्लभतम मामलों में ही दिया जाता है।
भारत देश को अलग-थलग करने की खतरनाक योजना
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित न करे, सीपीआईएम ने अपने घोषणापत्र में घोषणा की है कि वह वित्त, रक्षा, उच्च शिक्षा और मीडिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह पर लगाम लगाएगा। (घोषणापत्र में पेज नंबर- 17, 21, 36 और 42)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी QUAD (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद), भारत-अमेरिका रक्षा फ्रेमवर्क समझौते और I2U2 समूह जैसे गठबंधनों से बाहर निकलकर देश को विश्व स्तर पर अलग-थलग करने का इरादा जताया है। बता दें, QUAD संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच एक गठबंधन है, I2U2 समूह में भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और अमेरिका शामिल हैं। अपने घोषणापत्र के 25वें पृष्ठ पर, सीपीआईएम ने कहा कि वह भारत से परमाणु हथियारों को खत्म कर देगी और इस तरह देश को पाकिस्तान जैसे दुष्ट और शत्रु देशों के हमलों के प्रति संवेदनशील बना देगी।
सामाजिक एवं आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा करना
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के विवादास्पद संवैधानिक प्रावधानों को बहाल करके केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में अशांति वापस लाने का आश्वासन दिया है, जिन्हें अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसने स्कूली पाठ्यपुस्तकों और उच्च कक्षाओं के पाठ्यक्रम को ‘सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और पूर्वाग्रह’ से मुक्त करने का भी वादा किया है, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि किताबों को मार्क्सवादी विचारधारा वाले बच्चों का ब्रेनवॉश करने के लिए फिर से डिजाइन किया जाएगा। (घोषणापत्र का पृष्ठ 15)।
सीपीआईएम ने यह भी घोषणा की है कि वह सजा, फंसाने और जबरन धर्मांतरण के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए कई राज्यों द्वारा बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानूनों को रद्द कर देगी। ऐसे कानून के अभाव में अपराधियों का हौसला वैसे ही बढ़ जाएगा, जैसा कि धर्मांतरण विरोधी कानून बनने से पहले था। अपने घोषणापत्र के पेज नंबर- 27 पर पार्टी ने घोषणा की कि वह ‘नई पेंशन योजना’ को समाप्त कर देगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा। यही नहीं, सीपीआई-एम ने स्थिति को और खतरनाक बनाने के लिए ‘संकटग्रस्त किसानों’ के संस्थागत ऋण और निजी ऋण दोनों को माफ करने का वादा किया है।
विदेश नीति
सीपीआईएम ने घोषणापत्र के पेज 24 पर विदेश नीति के सेक्शन में चीन के साथ सर्वांगीण संबंधों को बढ़ावा देने की बात कही है। इसमें कहा गया है कि पार्टी “चीन के साथ सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने और सर्वांगीण संबंधों को बढ़ावा देने” के पक्ष में है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, पार्टी ने इज़राइल के साथ सभी सुरक्षा और सैन्य संबंधों को खत्म करने का वादा किया है, और इज़राइल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की मांँग की है। वह 1967 से पहले की सीमाओं वाला एक फ़िलिस्तीन राज्य बनाना चाहता है और पूर्वी येरुशलम को राजधानी बनाना चाहता है। जबकि सीपीआई (एम) चीन के साथ संबंधों को बढ़ावा देना चाहती है, वह अमेरिका के साथ सभी रणनीतिक गठबंधनों से हटना चाहती है।
निष्कर्ष: सीपीआई-एम ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 (चुनावी घोषणा पत्र का पेज नंबर-27) को रद्द करने की घोषणा की है, जिसमें यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना लगाया गया है।
सीपीआईएम ने सरकार द्वारा वित्त पोषित पीएमजेएवाई/आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना को वापस लेने का भी आश्वासन दिया है, जिसने गरीब लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में काफी सुधार किया है। (पेज नंबर-37)
पार्टी ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) को इस बहाने से खत्म करने का वादा किया है कि यह ‘डिजिटल अधिनायकवाद’ को प्रोत्साहित करता है।(घोषणापत्र पेज नंबर-41)
साफ है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नज़र भारत को पूर्ण आर्थिक और सामाजिक अराजकता की स्थिति में धकेलने की तरफ है, जो उसके घोषणा पत्र से भी साफ जाहिर हो रहा है।
ये लेख मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।