Saturday, July 27, 2024
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‘जनसंख्या नियंत्रण कानून मुस्लिमों पर हमला, दलित-आदिवासियों के कारण बढ़ी आबादी, मुसलमान बदनाम’: SP नेता इकबाल महमूद

सपा MLA इकबाल महमूद ने कहा कि जनसंख्या मुस्लिमों के कारण नहीं बल्कि दलितों और आदिवासियों के कारण बढ़ रही है। यदि राज्य सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाती है तो सपा उसका कड़ा विरोध करेगी और उसका हाल असम की एनआरसी की तरह ही हो जाएगा।

ऐसा मालूम होता है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने गलतबयानी करने का ठेका ले रखा है। सपा के ही सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और एसटी हसन के बाद अब विधायक इकबाल महमूद ने जनसंख्या वृद्धि पर कहा कि मुसलमान जनसंख्या नहीं बढ़ा रहे हैं बल्कि इसके पीछे प्रमुख कारण दलित और आदिवासी हैं। महमूद ने यह बात उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की जनसंख्या नियंत्रण कानून की योजना के बारे में कही।

संभल से सपा विधायक और विधानसभा में विपक्ष के उपनेता इकबाल महमूद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार बढ़ती हुई जनसंख्या पर मुस्लिमों को बेवजह बदनाम कर रही है। जनसंख्या मुस्लिमों के कारण नहीं बल्कि दलितों और आदिवासियों के कारण बढ़ रही है। महमूद ने कहा कि यदि राज्य सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाती है तो सपा उसका कड़ा विरोध करेगी और उसका हाल असम की एनआरसी की तरह ही हो जाएगा।

महमूद ने यहाँ तक कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार जनसंख्या नियंत्रण की आड़ में मुस्लिमों पर हमला कर रही है तथा जनसंख्या नियंत्रण कानून को मुस्लिमों को ध्यान में रखकर ही लाया जा रहा है। महमूद ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को चुनावी मुद्दा बताते हुए कहा कि भाजपा इस कानून के जरिए अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है और समाज को बाँटना चाहती है।

हालाँकि यह पहली बार नहीं है कि सपा के नेताओं (विशेषकर मुस्लिम) ने अजीबोगरीब बयान दिया हो। संभल से ही सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था कि Covid-19 कोई बीमारी नहीं है बल्कि ‘अल्लाह का अजाब’ है जो अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाकर माफी माँगने से खत्म होगी।

इसके पहले सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन ने विवादित और गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया था। हसन ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान हुई मौतों और पिछले दिनों देश में आए दो चक्रवातों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि भाजपा सरकार ने शरीयत में दखल दी है।

ज्ञात हो कि हाल ही में यह खबर आई थी कि उत्तर प्रदेश में जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य में 2 से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है। इसके लिए राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मुताबिक, राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कुछ कानूनों का अध्ययन किया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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