गुरुवार (फरवरी 13, 2020) को जेएनयू के साबरमती हॉस्टल के बाहर NSUI की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पूर्व वित्त मंत्री और कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम के NPR पर दिए गए बयान के बाद पार्टी के बीच बहसबाजी का दौर शुरू हो गया है। चिदंबरम के बयान पर कॉन्ग्रेस नेता संजय निरुपम ने उन्हें टोटल कन्फ्यूज बताया।
दरअसल चिदंबरम ने कहा था कि अगर सभी राज्य के लोग NPR के खिलाफ लामबंद हो जाएँ और राज्य सरकारें फैसला कर लें कि इसको लागू नहीं किया जाएगा, तो यह विफल हो जाएगा। राज्यों के सहयोग के बिना NPR को लागू नहीं किया जा सकता है।
Total confusion!
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) February 14, 2020
Sri @PChidambaram_IN wants #NPR to be opposed. For that purpose, he gave some tips to #JNU students.
In Maharashtra, where we are sharing power with #Shivsena the govt has announced to implement #NPR from 1st May to 15th June.
Is leadership in Delhi aware of it ? https://t.co/L74pBRucrg
इस पर संजय निरुपम ने चिदंबरम को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया, “टोटल कन्फ्यूजन! पी चिदंबरम चाहते हैं कि NPR का विरोध हो। इसके लिए उन्होंने जेएनयू के छात्रों को कुछ टिप्स दिए हैं। वहीं, महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने एक मई से 15 जून के बीच NPR कराने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र की सत्ता में कॉन्ग्रेस पार्टी शिवसेना की साझेदार है। क्या दिल्ली में कॉन्ग्रेस नेतृत्व को इसकी जानकारी है?”
चिदंबरम ने जेएनयू के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि NPR, NRC और CAA तीनों अलग हैं लेकिन तीनो इंटरकनेक्टेड है, संविधान में नागरिकता का प्रावधान है और पूरे विश्व में हर जगह देश के अंदर रहने वाले नागरिकों को नागरिकता का प्रावधान होता है। अगर किसी के पिता, ग्रैंड पेरेंट्स इंडिया में रह चुके हैं तो उनके बच्चे यहीं के नागरिक होते हैं।
इसके साथ ही चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री पर तंज कसते हुए कहा था कि कुछ दिनों में जेएनयू का नाम मोदी यूनिवर्सिटी या फिर अमित शाह यूनिवर्सिटी हो सकता है। उन्होंने कहा कि सिटिजनशिप को टेरिटरी बेस की जगह रिलीजियस बेस पर दिया जा रहा है और कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है। लेकिन भारत इस आधार पर नहीं बना था।
उन्होंने सवाल किया था कि अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान हमारे पड़ोसी हैं, तो क्या भूटान, म्यांमार, चीन, श्रीलंका और नेपाल हमारे पड़ोसी नहीं हैं? अगर अल्पसंख्यकों के रिलिजियस परसिक्यूशन पर ही नागरिकता दे रहे हैं, तो फिर पाकिस्तान के अहमदिया, म्यांमार के रोहिंग्या, तमिल हिंदू-तमिल मुस्लिमों के लोगों के बारे में क्यों नहीं सोच रहे?