कॉन्ग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के सन्दर्भ में कहा है कि संसद से पारित हो चुके इस क़ानून को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा। बता दें कि पहले केरल की वामपंथी सरकार और फिर पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया था। लेकिन, कॉन्ग्रेस के ही दो बड़े नेताओं के बयान से ज़ाहिर है कि यह केवल राजनीतिक नौटंकी है। इसका कोई महत्व नहीं है।
पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कहा, “जब CAA पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूँगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की माँग कर सकते हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूँगा, अधिक परेशानियाँ पैदा कर सकता है।”
#WATCH Senior Congress leader Kapil Sibal in Kozhikode, Kerala: Constitutionally, it will be difficult for any state government to say that ‘I will not follow a law passed by Parliament’. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/tNeSt5h0e5
— ANI (@ANI) January 18, 2020
कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह CAA को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा, “एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहाँ से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।”
वहीं, दूसरी तरफ कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि CAA की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया तो वो क़ानून की किताब में क़ायम रहेगा और अगर क़ानून की किताब में है तो उसे सभी को मानना होगा।
#NewsAlert – If SC doesn’t interfere it’ll remain on statute book. If something’s on statute book, you’ve to obey law, else there are consequences: Salman Khurshid on Kapil Sibal’s statement on CAA.@_pallavighosh with details#CitizenshipShowdown pic.twitter.com/WAI3cjPa2L
— News18 (@CNNnews18) January 19, 2020
गौरतलब है कि केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने CAA के अलावा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है।केरल पहला राज्य हो गया जिसने विधानसभा से नागरिकता क़ानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करके लागू करने से मना कर दिया है। वहीं, पंजाब विधानसभा ने यह कहते हुए प्रस्ताव पास किया कि नागरिकता क़ानून से देश की धर्मनिरपेक्षता को चोट पहुँची है। यह क़ानून समानता के अधिकार का हनन करता है।
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