जब से मोदी सरकार ने तीन पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित कर क़ानून बनाया, तब से कॉन्ग्रेस पार्टी सरकार को बदनाम करने पर उतारू है। और इसके लिए CAA के ख़िलाफ़ लगातार ग़लत जानकारी के प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है। इसी कड़ी में, कॉनग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने शनिवार को नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के प्रावधानों पर जनता को गुमराह करने के लिए आधे-अधूरे सच का प्रचार किया।
इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर हाथ में पोस्टर पकड़े हुए एक प्रदर्शनकारी की इमेज पोस्ट की। इसमें वो प्रदर्शनकारी स्पष्ट रूप से मोदी सरकार से कुछ सवाल पूछ रहा है। शशि थरूर ने उस भ्रमित युवक को सही जानकारी देने के बजाए उसके फ़ोटो का इस्तेमाल सरकार के ख़िलाफ़ प्रचार-प्रसार करने के लिए किया, ताकि लोगों में हमेशा भ्रम की ही स्थिति बनी रहे।
Very good questions by this protestor. Does the Government have any answers? pic.twitter.com/1RLhzIjMRC
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 11, 2020
अब आपको बताते हैं कि उस प्रदर्शनकारी के हाथ में जो पोस्टर था, उसमें मोदी सरकार से कौन से तीन सवाल पूछे गए थे।
पहला सवाल- अगर वोटर आईडी नागरिकता का प्रमाण नहीं है, तो भाजपा सत्ता में कैसे है?
दूसरा सवाल- अगर आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, तो इसे बैंक खाते क्यों जोड़ा गया?
तीसरा सवाल- अगर पैन कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, तो इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा आयकर जमा करने के लिए क्यों किया जा रहा है?
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध-प्रदर्शन के दौरान इस तरह के पोस्टर्स को देखकर हँसी आती है। ऐसे प्रदर्शनकारियों के बारे में यही कहा जा सकता है कि उन्हें CAA के बारे में पहले पढ़ लेना चाहिए, ताकि उन्हें सच्चाई का पता चल सके। अगर उन्होंने CAA से जुड़ी जानकारी को पढ़ा होता तो वे इस तरह के बचकाने सवाल ही न पूछते। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे नागरिकता संशोधन क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है, जहाँ भारतीय नागरिकों से उनकी नागरिकता साबित करने का प्रमाण माँगा गया हो। जबकि सच्चाई यह है कि नागरिकता संशोधन क़ानून भारत की संसद द्वारा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए पारित किया गया है।
कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता थरुर उस प्रदर्शनकारी युवक को अगर सही जानकारी से अवगत कराना चाहते तो करा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आपको बता दें कि केवल वही लोग जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं, वोटर आईडी पाने की योग्यता रखते हैं। इसलिए, सिर्फ़ मतदाता पहचान पत्र को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। और रही बात इस सवाल की कि भाजपा सत्ता में क्यों है, तो इसका जवाब है – 18 साल से अधिक आयु के अधिकांश भारतीयों ने इसके लिए मतदान किया। अब एक संसद सदस्य के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में पहुँचने वाले व्यक्ति (शशि थरूर) को निश्चित रूप से इस बारे में पता ही होगा कि चुनाव प्रक्रिया काम कैसे करती है। और उन्हें यह भी पता होगा कि वो और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर क्यों है!
इसके अलावा, आधार कार्ड देश के हर निवासी को दिया जाता है, न कि केवल नागरिकों को। इसका दूसरा पहलू यह है कि वित्तीय धोखाधड़ी को ख़त्म करने के लिए इसे बैंक खातों से जोड़ा गया। इसके अलावा, आधार को बैंकों से जोड़ने से ऐसे खाताधारकों को मदद मिलती है, जिनका खाता प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोला गया और इसके लिए पैन कार्ड की ज़रूरत नहीं होती और इस तरह, ग़रीबों के लिए सब्सिडी सीधे बैंक उनके खातों में जाती है। इससे ग़रीबों को बिचौलियों से छुटकारा मिलता है।
अब बात अंतिम सवाल का। पैन कार्ड का संबंध आयकर रिटर्न से है, आयकर का भुगतान करने के लिए इसकी ज़रूरत भारतीयों के अलावा विदेशियों को भी पड़ती है। आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, अगर कोई भारत में धन कमाता है तो उसे आयकर का भुगतान करना होता है। ख़ुद एक विधिवेत्ता होने के नाते शशि थरूर से यह उम्मीद तो लगाई ही जा सकती है कि उन्हें भारत में काम करने के तरीके से जुड़ी मूल बातें पता होंगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल उनसे ही है कि आखिर वो बताएँगे कैसे? उन्हें तो प्रोपेगेंडा फैलाना है!
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