कॉन्ग्रेस द्वारा एक बार फिर अंतरिम अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गाँधी को चुन लेने के बाद महाराष्ट्र में उसकी साझेदार शिवसेना ने गुरुवार (अगस्त 27, 2020) को राहुल गाँधी को अपना समर्थन दिया। शिवसेना ने उन 23 कॉन्ग्रेसी नेताओं की कड़ी आलोचना की है, जिन्होंने पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए सोनिया गाँधी को पत्र लिखा था। शिवसेना ने इन नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि यह राहुल गाँधी के नेतृत्व को खत्म करने की साजिश थी।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि जब भाजपा राहुल गाँधी पर हमला कर रही थी, तब ये नेता कहाँ थे? जब उन्होंने कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता छोड़ी थी, तब इन नेताओं ने पार्टी को पुनर्जीवित करने की चुनौती क्यों नहीं स्वीकार की?
संपादकीय में आगे लिखा गया, “जब अंदरूनी लोग ही राहुल गाँधी के नेतृत्व को खत्म करने की साजिश में लगे हुए हैं, तो पार्टी का पानीपत (हारना) निश्चित है। यह एक ऐसा नुकसान है, जो भाजपा ने भी उन्हें नहीं पहुँचाया है।”
Shiv Sena speaks up in support of Rahul Gandhi, lashes out at Congress leaders for writing to Sonia Gandhihttps://t.co/LXwnGLT7th
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 27, 2020
लेख में राहुल गाँधी के पक्ष में लिखते-लिखते यहाँ तक कहा गया कि उनमें (पत्र लिखने वाले कॉन्ग्रेस नेता में) से कोई जिला स्तर का नेता भी नहीं है। लेकिन, नेहरू परिवार के नेतृत्व की मदद से वे मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तक बने।
लेख में लिखा गया कि सभी राज्यों में कॉन्ग्रेस के बड़े नेता सिर्फ अपनी कुर्सी सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। उन्हें पार्टी की कोई चिंता नहीं है। यदि उनमें से किसी को रास्ता नहीं मिलता है, तो वे भाजपा में शामिल हो जाते हैं। यह एक मात्र सक्रियता है, जो उनमें दिखती है। इसमें सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी क्या कर सकते हैं? सामना ने अपने लेख में ऐसे नेताओं को राजनीति का कोरोना वायरस तक बताया।
बता दें कि सोमवार को कॉन्ग्रेस की बैठक के दौरान भी इस पत्र को लेकर काफी विवाद हुआ था। उस समय राहुल गाँधी ने इस पत्र का हवाला देते हुए अपना गुस्सा व्यक्त किया था और साथ ही इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा पार्टी के नेताओं पर भाजपा के साथ मिलीभगत के भी आरोप लगाए थे।