भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति विश्व भर में लोकप्रिय हो रही है। इसका ताज़ा उदाहरण तब दिखने में मिला जब केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा ने दुनिया भर में थक-हार कर अपनी बेटी का इलाज भारत के केरल में स्थित एक आयुर्वेदिक अस्पताल में कराया और उन्हें सफलता भी मिली। दुनिया भर में अब फिर से लोग पेड़-पौधों से प्राप्त की जाने वाली औषधि और योग-प्राणायाम की प्रक्रिया की तरफ लौट रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी अपने उत्पाद को ‘हर्बल’ बता कर इसके स्वास्थ्य के लिए ठीक होने का दावा करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ये वाकया रविवार (27 फरवरी, 2022) को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में साझा किया। उन्होंने कुछ दिनों पहले केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा के साथ हुई अपनी मुलाकात को बेहद दिलचस्प और भावुक करार देते हुए कहा कि वो दोनों अच्छे मित्र रहे हैं और इसी कारण खुल कर बातें भी कर लेते हैं। इसी बातचीत के दौरान राइला ओडिंगा ने पीएम मोदी को अपनी बेटी के बारे में बताया। उनकी बेटी रोजमैरी ओडिंगा को ब्रेन ट्यूमर हो गया था।
इस वजह से उन्हें सर्जरी भी करानी पड़ी थी। हालाँकि, इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि उनकी आँखों की रोशनी ही चली गई और धीरे-धीरे उन्हें दिखाई देना भी बंद हो गया। पीएम मोदी ने लोगों को ये कल्पना करने के लिए कहा कि उस समय रोजमैरी की हालत क्या हुई होगी और कहा कि एक पिता की स्थिति का अंदाज़ा लगाते हुए हम उनकी भावनाओं को भी समझ सकते हैं। दुनिया भर के कई बड़े अस्पतालों में उन्होंने अपनी बेटी के इलाज का प्रयास किया।
पीएम मोदी ने बताया, “राइला ओडिंगा ने दुनिया के बड़े-बड़े देश छान मारे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली और एक प्रकार से सारी आशाएँ छोड़ दी। पूरे घर में एक निराशा का वातावरण बन गया। इतने में किसी ने उनको भारत में आयुर्वेद के इलाज़ के लिए आने के लिए सुझाव दिया। चूँकि वो बहुत कुछ कर चुके थे, थक भी चुके थे, फिर भी उनको लगा कि चलो भई एक बार कोशिश करें क्या होता है। वे भारत आए और केरल के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में अपनी बेटी का इलाज करवाना शुरू किया।”
बता दें कि काफी समय तक उनकी बेटी यहाँ रहीं। आयुर्वेद के इस इलाज का असर ये हुआ कि रोजमैरी ओडिंगा की आँखों की रोशनी काफी हद तक वापस लौट आई। पीएम मोदी ने कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं कि जैसे एक नया जीवन मिल गया और रोशनी तो रोजमैरी के जीवन में आई, लेकिन पूरे परिवार में एक नई रोशनी नई जिंदगी आ गई और राइला ओडिंगा इतने भावुक हो करके ये बात मुझे बता रहे थे कि उनकी इच्छा है कि भारत के आयुर्वेद का जो ज्ञान-विज्ञान है, उसे वो केन्या में ले जाएँ।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि जिस प्रकार के पेड़-पौधे इसमें काम आते हैं, केन्या में लोग उन जड़ी-बूटियों की खेती करेंगे और इसका लाभ अधिक लोगों को मिले इसके लिए राइला ओडिंगा पूरा प्रयास करेंगे। भारत की धरती और परंपरा से किसी के कष्ट दूर होने को पीएम मोदी ने ख़ुशी की बात बताते हुए कहा कि हर भारतवासी को इस पर गर्व है और दुनिया भर में लाखों लोग आयुर्वेद का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी आयुर्वेद के बड़े प्रशंसक है और हर मुलाकात में इसका जिक्र करते हैं। साथ ही उन्हें भारत के आयुर्वेदिक संस्थानों की भी जानकारी है।
प्रधानमंत्री ने इस दिशा में भारत सरकार द्वारा किए जाने रहे प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा, “पिछले 7 वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है। आयुष मंत्रालय के गठन से चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े हमारे पारंपरिक तरीकों को लोकप्रिय बनाने के संकल्प को और मजबूती मिली है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि पिछले कुछ समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कई नए स्टार्ट-अप्स सामने आए हैं। फरवरी 2022 की शुरुआत में ‘आयुष स्टार्ट-अप चैलेंज’ शुरू हुआ था। इस चैलेन्ज का लक्ष्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट-अप्स की पहचान करके उन्हें बढ़ावा देना है।”
PM @narendramodi mentions about his meeting with former Prime Minister of Kenya, Raila Odinga.
— PMO India (@PMOIndia) February 27, 2022
This meeting was interesting as well as emotional. #MannKiBaat pic.twitter.com/b1GSjFU5GB
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से इस चैलेन्ज में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आग्रह किया। जिस अस्पताल का पीएम मोदी ने जिक्र किया और जहाँ केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा की बेटी रोजमैरी की आँखों की रोशनी वापस आई, वो केरल के कूथाटुकुलम में स्थित है। उसका नाम ‘श्रीधारीयम नेत्र अस्पताल एवं शोध केंद्र (Sreedhareeyam Ayurvedic Eye Hospital and Research Centre)’ है। ‘Neliakattu Mana’ नाम की जगह पर सैकड़ो वर्षों से ये चिकित्सा पद्धति चली आ रही है।
इस अस्पताल का लक्ष्य है कि दृष्टिहीनता को पूरी तरह से मिटा दिया जाए। प्राचीन साहित्य और लगातार हो रहे दोष को आधार बना कर ये अस्पताल मरीजों का इलाज करता है। पिछले 400 वर्षों से इस इलाके के वैद्य नेत्र चिकित्सा और ज़हर के कारण उपजी स्थितियों के इलाज में सफल रहे हैं। एनपी नारायणन नम्बूतिरी इस फ़िलहाल इस समूह के अध्यक्ष हैं। नेत्र चिकित्सा में दक्षता उन्हें उनके पिता परमेश्वरन वैद्यन और चाचा त्रिविक्रमन वैद्यन से मिली है। इस अस्पताल में एक मरीज के लिए हर तरह की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।