Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिहेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका, ED गिरफ्तारी को दी थी चुनौती:...

हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका, ED गिरफ्तारी को दी थी चुनौती: शीर्ष अदालत ने कहा- सीधे यहाँ क्यों आए, हाई कोर्ट जाएँ

हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने बेंच के सामने उनके मुख्यमंत्री रहने की दलील दी। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत हर किसी के लिए है। यदि इस तरह एक व्यक्ति को रियायत दी गई तो वही रियायत सभी को देनी होगी। इसके बाद बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार (2 फरवरी 2024) को उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने को कहा है। सोरेन ने याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा खुद की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

जाँच एजेंसी ने 31 जनवरी 2024 की रात सोरेन को लैंड स्कैम में गिरफ्तार किया था। उससे पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। शुक्रवार को ही उनकी जगह चंपई सोरेन राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर पर शपथ लेने जा रहे हैं।

नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए पूछा कि हाई कोर्ट जाने की बजाए वे सीधे शीर्ष अदालत में क्यों आ गए? जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंद्रेश और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि इस तरह यदि एक व्यक्ति को अनुमति दी गई तो सभी लोगों को देनी पड़ेगी।

हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने बेंच के सामने उनके मुख्यमंत्री रहने की दलील दी। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत हर किसी के लिए है। यदि इस तरह एक व्यक्ति को रियायत दी गई तो वही रियायत सभी को देनी होगी। इसके बाद बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा।

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी करीब सात घंटे की लंबी पूछताछ के बाद बुधवार देर रात को हुई थी। इसके अगले दिन ईडी ने उन्हें कोर्ट में पेश कर 10 दिनों की रिमांड माँगी थी। एजेंसी ने पीएमएलए कोर्ट में बताया था कि सोरेन से अभी कई जानकारियाँ नहीं मिल पाई है। लिहाजा पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड पर लेना जरूरी है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दूसरी ओर हाई कोर्ट ने भी तकनीकी आधार पर सोरेन को राहत देने से इनकार किया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की बात करते हुए हाई कोर्ट से याचिका वापस ले ली थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि यह मामला सेना की जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे अवैध कब्जे से जुड़ा हुआ है। इस संबंध में 2022 में रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद जब मामले की जाँच शुरू हुई तो इसकी आँच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुँची। इस मामले में ईडी छापेमारी की कई कार्रवाई कर चुकी है। साथ ही सोरेन से पहले कई अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -