सहारनपुर की मुस्लिम बहुल देवबंद (Deoband) सीट। यहाँ दारूल उलूम है, जो अपने फतवों को लेकर कुख्यात है। माँ बालासुंदरी का मंदिर है। कहा जाता है कि यहाँ अर्जुन ने अज्ञातवास में साधना की थी। यहीं श्री कृष्ण गोशाला है, जिसके मुख्य द्वार पर देववृन्द (Devvrind) अंकित है। देवबंद का नाम बदलकर देववृन्द करने की माँग पुरानी है। 1990 से इस गोशाला का काम देखने वाले विजयपाल बताते हैं कि इस समय यहाँ 324 गोवंश हैं। उनके अनुसार 2017 से पहले यहाँ बड़ी संख्या में ऐसे गोवंश लेकर पुलिस आती थी, जिन्हें गो तस्करों से बचाया जाता था। योगी सरकार में गोकशी पर सख्ती के बाद से यह सिलसिला थमा है।
यह इलाका गोकशी के लिए भी कुख्यात था। मौजूदा सरकार में सख्ती के बावजूद यह पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। सहारनपुर के एसएसपी आकाश तोमर ने ऑपइंडिया को बताया, “मुझे इस जिले में 3 माह से अधिक समय हुआ है। तब से लगभग 57 गोकशी करने वालों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। एक गोकश की 1 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति को कुर्क किया गया है। इन लोगों के खिलाफ काफी केस दर्ज किए गए हैं। गोकशी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। यह भी दिलचस्प है कि श्री कृष्ण गोशाला की गाड़ी हर रोज रोटी इकट्ठा करने के लिए देवबंद के मोहल्लों में घूमती है, लेकिन गोशाला के दानदाताओं में एक भी मुस्लिम नाम हमें देखने को नहीं मिला।
राम मंदिर पर मुस्लिमों की चुप्पी
केवल बात गोवंश की सुरक्षा का ही नहीं है। वह अहसान राव भी दारूल उलूम से ही पढ़े हैं और देवबंद की ही एक गली में रहते हैं, जिन्हें उनकी बिरादरी के लोग केवल इसलिए गालियाँ और धमकी दे रहे क्योंकि उन्होंने जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए। चुनावी मौसम में भी देवबंद के मुस्लिम इन मुद्दों पर अपनी राय रखने से बचते हैं। ऑपइंडिया से बातचीत में बीजेपी की शान में कसीदे पढ़ने वाले सूफियान कुरैशी से जब राम मंदिर को लेकर हमने सवाल किया तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। इन्हीं सूफियान ने हमसे कहा, “यहाँ पर 73 प्रतिशत वोटर मुस्लिम हैं। मैं बहुत सारे मुसलमान घरानों को जानता हूँ, जिनके भाजपा ने घर बनवाए। मैंने सुना है कि यहाँ 900 घर लोगों के बने हैं। इसमें 650 मुसलमानों के हैं। अब जिन लोगों के घर भाजपा ने या मोदी जी ने बनवाए वो तो सीधा बोलते हैं कि हम उसी को वोट देंगे जिसने मेरा घर बनाया।”
वो सीट जहाँ बीजेपी का मुकाबला बसपा से
बीजेपी ने फिर से इस सीट पर बृजेश रावत को उम्मीदवार बनाया है। चुनावों के ऐलान से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिन सीटों से चुनाव लड़ने को लेकर मीडिया में अटकलें लगती थी, उनमें से एक देवबंद भी था। लेकिन आखिर में पार्टी ने 2017 में इस सीट पर कमल खिलाने पर रावत पर ही भरोसा जताया। सपा ने यहाँ से पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह राणा के बेटे कार्तिकेय राणा को इस उम्मीद में प्रत्याशी बनाया है कि उसे मुस्लिमों के एकमुश्त वोट मिलेंगे और हिंदुओं के वोट बँटेंगे। लेकिन, यह वह सीट है जिस पर बीजेपी का मुकाबला बसपा से बताया जा रहा है। गौर करने की बात यह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन सीटों से अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान हम गुजरे उसमें देवबंद इकलौती सीट है जहाँ बसपा का उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में बताया जा रहा है। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने उमर मदनी को मैदान में उतार रखा है। वे इस इलाके में दबदबा रखने वाले मदनी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। फिर भी वोटकटुवा से ज्यादा उनकी भूमिका नहीं दिखती। जैसा कि इंजीनियर मोहम्मद अनवर ने ऑपइंडिया को बताया, “मदनी जी का परिवार मजहबी वजह से सम्मानित है। पॉलिटकली उनका कोई प्रभाव नहीं है। मौलाना मदनी का बयान आया है कि आप ऐसी पार्टी को सपोर्ट करें जो मुल्क में अमन और भाईचारा कायम रखे। जिसने अभी तक ऐसा काम किया है, सबका साथ सबका विकास का नारा दिया है, वह भारतीय जनता पार्टी है। यहाँ के लोगों को इससे फायदा मिल रहा है।”
‘अखिलेश लौटे तो फिर वही हुल्लड़बाजी हो’
हालाँकि ऐसा नहीं है कि देवबंद में बीजेपी के लिए लड़ाई बिल्कुल एकतरफा है। अहसान राव को 10 मार्च के बाद देख लेने की धमकी देने वालों में से बहुतेरे भी देवबंद की ही गलियों में रहते हैं। जैसा कि अहसान ने ऑपइंडिया को बताया, “जहाँ भी मैं जाता हूँ, वे गाली धमकी देते हैं। सब लोग इस इंतजार में हैं कि भैया (अखिलेश यादव) आएँगे, सरकार बदलेगी तो बदला लेंगे। मेरे पिता को, घरवालों को, रिश्तेदारों को, सबको बरगलाने का काम कर रहे।” एक तरफ बीजेपी सरकार की सरहाना करते देवबंद के मुस्लिम, दूसरी ओर सत्ता परिवर्तन का इंतजार कर रहे मुस्लिम! इसे समझना है तो यहाँ तैनात रहे एक पुलिस अधिकारी, जिन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं करने का आग्रह किया के शब्दों में समझे, “वे चाहते हैं कि टोपी बहनकर बाइक पर हुल्लड़बाजी करते हुए सड़कों पर निकले और पुलिस उन्हें नहीं रोके। अखिलेश यादव के समय ऐसा ही चलता था। अब यह सब बंद है। वे चाहते हैं कि अखिलेश फिर से लौटे और वे उसी तरह सड़क पर हुल्लड़बाजी करें।”
‘कोई डर नहीं है अब’
ऐसा भी नहीं है कि इन हुल्लड़बाजों से केवल हिंदू ही प्रताड़ित थे। खुद को समाजसेवी बताने वाली रोशन आरा ने ऑपइंडिया को बताया, “पिछली सरकार में क्राइम बहुत था इसलिए महिलाएँ उनसे नाराज हैं। इस सरकार में महिलाओं को बहुत ज्यादा सुरक्षा है। महिला किसी भी समय कही भी निकल जाए उसको कोई डर नहीं है अब। पहले महिलाएँ निकलती थीं तो उनके पीछे बाइकों पर हुल्लड़ करने वाले लग जाते थे। लड़कियों को छेड़ते थे। इस सरकार में ऐसा नहीं है। पुलिस-प्रशासन सही है अब। किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। थानों में दलाली बंद हो गई। जो दलाल लोग थानों में बैठे रहते थे, अब उनकी नो इंट्री कर दी गई है।” सुफियान कुरैशी भी बताते हैं, “पहले सड़क पर चलते-फिरते गुंडे लड़कियों को परेशान करते थे। लड़कियाँ स्कूल नहीं जाया करती थीं। अब खुले में लोग चले जाया करते हैं। पहले यहाँ लोगों से लूट हो जाया करती थी। अब नहीं होती।” मोहम्मद हारून अंसारी के अनुसार, “लॉ एन्ड आर्डर सबसे बड़ा फैक्टर है।”
‘भूल गए दंगा क्या चीज होता है’
मोहम्मद अनवर कहते हैं, “अब अपराध है ही कहाँ? अपराध पर तो जीरो टॉलरेंस है। 2017 से पहले तो ये अपराध का गढ़ था। मुज़फ्फरनगर, देवबंद और सहरानपुर गढ़ था। कैराना, शामली और गंगोह गढ़ थे। लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में योगी जी की सरकार आई है, शांति है।” वे आगे बताते हैं, “यहाँ एक इंग्लिश स्पीकिंग स्कूल चलता है। 2017 तक वहाँ 5 बजे शाम को लास्ट क्लास चलती थी। उसके बाद छुट्टी हो जाती थी। वहाँ से निकलने वाली लड़कियों को मनचले इतना छेड़ते थे कि घर वालों ने उनकी पढ़ाई छुड़वा दी और बहुत से इंस्टीट्यूट ने अपना टाइम घटा दिया। लेकिन आज वही इंस्टीट्यूट रात 10 बजे तक चल रहे हैं।” मुर्तजा कुरैशी के लिए भी सबसे बड़ा मुद्दा कानून-व्यवस्था में सुधार है। वे कहते हैं, “ये बीजेपी की सबसे अच्छी बात है। पहले हम देखते थे कि कोई लड़का बेवजह लड़ रहा, कोई बाइक उलटी-सीधी चला रहा, कोई दंगा-फसाद कर रहा। लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है। दंगा-फसाद का तो नाम ही मिट गया। लोग भूल ही गए कि दंगा क्या चीज होता है। मैं इस चीज का सपोर्ट करता हूँ।”
‘भाजपा को मुसलमानों ने सपोर्ट दिया है, आगे भी करेंगे’
तो देवबंद के अंतिम नतीजे क्या होंगे? जैसा कि सुफियान कुरैशी ऑपइंडिया से बातचीत में कहते हैं, “कौन सी पार्टी जीत रही ये तो आने वाली तारीख़ बताएगी। लेकिन यहाँ तो काम बोल रहा है। जो लोग भाजपा को मुस्लिम विरोधी पार्टी बोलते हैं वो बताएँ कि भाजपा ने फिर मुसलमानों के घर क्यों बनवाए? भाजपा ने फिर मुसलमानों को आयुष्मान कार्ड क्यों दिया? फिर मुसलमानों के घर पर जा कर वोट क्यों माँग रही है भाजपा?” मोहम्मद अनवर बताते हैं, “सरकार ने यहाँ योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के दिया है। इससे लोगों में भाजपा के लिए कोई हीन भावना नहीं है। यहाँ मुस्लिम बहुल एरिया होने के बाद भी भाजपा का विधायक जीत कर गया है। इसका मतलब यह है कि भाजपा को मुसलमानों ने सपोर्ट दिया है। आगे भी सपोर्ट करेंगे और कर रहे हैं।” मुर्तजा कुरैशी बताते हैं, “हमारे साथ इस सरकार में कोई भेदभाव नहीं हुआ है। सभी योजनाओं का लाभ दिया है। हमने जब भी विधायक जी से कुछ कहा तो उन्होंने उसको किया। सबका साथ, सबका विकास। हम बृजेश जी को वोट दे रहे हैं।”
-साथ में राहुल पांडेय