उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने चंपावत विधानसभा उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने शुक्रवार (3 जून 202) को कॉन्ग्रेस के निर्मल गहतोड़ी को 55,000 वोटों करारी शिकस्त दी। वहीं, कॉन्ग्रेस उम्मीदवार को 3,233 वोटों के साथ शर्मनाक हार का सामना करना है।
सीएम धामी ने चंपावत उपचुनाव की मतगणना में शुरुआती रुझान अपने पक्ष में आने पर उत्तराखंड की जनता को धन्यवाद दिया। उसके बाद उपचुनाव के नतीजे घोषित होने पर सीएम धामी ने कहा, “मैं चंपावत की जनता का आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे अपना समर्थन किया। विकास कार्यों के जरिए मैं लोगों का दिल जीतने की पूरी कोशिश करूँगा।”
Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami wins Champawat bypolls by over 55,000 votes, retains CM post https://t.co/DywXAgEmKd
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 3, 2022
सीएम धामी की जीत से बीजेपी में खुशी का माहौल है। पार्टी के कार्यकर्ता ढोल-नगाड़ों के साथ मुख्यमंत्री की जीत का जश्न मना रहे हैं और एक-दूसरे का मुँह मीठा करा रहे हैं।
Uttarakhand | People celebrate as CM Pushkar Singh Dhami wins Champawat by-election
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 3, 2022
I thank the people of Champawat for this big win. This is the victory of Champawat. I’ll try to return the people’s blessing through development works, says CM Dhami pic.twitter.com/dsmU6oyEz8
बता दें कि चंपावत विधानसभा में उपचुनाव के लिए 31 मई को मतदान हुआ था। इस उपचुनाव में लगभग 64 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री- स्मृति ईरानी एवं अनुराग ठाकुर और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं धामी मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्रियों सहित पार्टी के दिग्गज नेताओं ने सीएम के लिए चुनावी प्रचार किया था।
गौरतलब है कि इस साल उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 47 सीटें जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से हार गए थे। इस हार के बावजूद पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए, उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में चुना। वहीं, कॉन्ग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिली थीं।
सीएम धामी ने 23 मार्च को लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालाँकि, संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर विधायक बनना जरूरी होता है, इसलिए चंपावत विधानसभा का उपचुनाव जीतकर उन्होंने पार्टी में अपने भरोसे को कायम रखा।