Saturday, May 4, 2024
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चार धाम यात्रा के लिए 889 km का ‘ऑल वेदर रोड’, कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन, हजारों करोड़ के पुल: 22 साल का हुआ उत्तराखंड, ‘डबल इंजन’ सरकार ने गिनाए काम

125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत सुदूर पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष रेलेवे ट्रैक बिछाया गया है। इससे पहाड़ों में रहने वाले उत्तराखंड वासियों का जीवन सुगम होगा।

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 22वें स्थापना दिवस के अवसर पर तैयारियाँ तेज कर दी हैं। एक अलग राज्य की माँग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड को देश के 27वें राज्य के रूप में शामिल किया गया था। शुरुआत में इसे उत्तरांचल के रूप में जाना जाता था। हालाँकि, साल 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तराखंड की 22वीं वर्षगाँठ से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो जारी कर राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के बारे में बताया है।

मुख्यमंत्री धामी ने वीडियो जारी करते हुए ट्वीट में कहा है, “हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने हेतु सतत क्रियाशील हैं।”

उत्तराखंड में डबल इंजन (केंद्र और राज्य) सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को बताते हुए वीडियो में बताया गया है कि आधारभूत संरचना के विकास से उत्तराखंड की प्रगति को मजबूत आधार मिल रहा है। वीडियो में बताया गया है कि ऑल वेदर रोड, भारत माला परियोजना और डाट काली टनल से उत्तराखंड के लोगों और वहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए यातायात की सुविधा बढ़ी है।

‘ऑल वेदर रोड’ चार धाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। 12 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनी 889 किलोमीटर लंबी इस सड़क का काम 85 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुष्कर सिंह धामी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के 2024 तक पूरे होने की उम्मीद है।

भारत माला परियोजना‘ की बात करें तो इसके तहत 65,000 किमी नेशनल हाइवे बनाया जा रहा है। इसके तहत पंजाब लेकर मणिपुर तक को नेशनल हाईवे से जोड़ा जाना है। इस परियोजना को दो भागों में बाँटा गया है, जिसमें से पहले चरण में 34,800 किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस सड़क के निर्माण से लॉजिस्टिक लागत में बड़ी कमी सामने आएगी। इसके अलावा डाट काली टनल की बात करें तो दिल्ली-देहरादून के रास्ते में बन रही 340 मीटर लंबी टनल के निर्माण से वाहनों की आवाजाही आसान होगी और जाम से भी निजात मिल जाएगी। इस साल के अंत तक इस टनल के शुरू होने के अनुमान है।

यही नहीं, वीडियो में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की भी बात की गई है। 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत सुदूर पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष रेलेवे ट्रैक बिछाया गया है। इससे पहाड़ों में रहने वाले उत्तराखंड वासियों का जीवन सुगम होगा।

साथ ही, डोबरा चांठी पुल, रानीबाग पुल, रानीपोखरी के निर्माण से भी राज्य के लोगों के लिए यातायात व्यवस्था आसान हुई है। 1.35 अरब रुपए से अधिक की लागत से बने इस पुल से सीधे तौर पर करीब 2 लाख लोगों को लाभ हो रहा है। कुमाऊँ में रानीबाग पुल का निर्माण 7 करोड़ 17 लाख रुपए की लागत से हुआ है। वहीं, पुल के शुरू हो जाने से कुमाऊँ की जनता समेत भीमताल, भवाली, रामगढ़, मुक्तेश्वर आने वाले पर्यटकों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा, करीब 2000 करोड़ रुपए की लागत से बने रानीपोखरी पुल से ऋषिकेश-देहरादून आने जाने वाले लोगों को लाभ होगा।

केदरानाथ व हेमकुंड साहिब में रोपवे के निर्माण से भी राज्य की जनता व यहाँ आने वाले पर्यटकों को भी भारी सुविधाएँ मिलेंगी। केदारनाथ-सोनप्रयाग रोपवे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना का हिस्सा है। 9.7 किमी लंबे इस रोपवे के निर्माण में 1268 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इस रोपवे के निर्माण से 6-7 घंटे से का सफर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा।

दुनिया के सबसे ऊँचे गुरुद्वारे हेमकुंड साहिब में बन रहे रोपवे को दुनिया का सबसे ऊँचा रोपवे माना जाता है। सिख धर्म के प्रमुख धर्म स्थलों में से एक हेमकुंड साहिब में बन रहे रोपवे की लंबाई करीब 12.4 किमी है। अब तक हेमकुंड साहिब तक पहुँचने के लिए 19 किमी पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। लेकिन, रोपवे के निर्माण से यह यात्रा महज 45 मिनट में पूरा हो जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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