कॉन्ग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने जम्मू कश्मीर के आतंकियों की पैरवी की है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिसके हाथ में बंदूक है, उनसे हमें पूछना चाहिए कि आप क्या सोचते हैं? उन्होंने कहा कि घाटी में कुछ इसी तरह का माहौल बनना चाहिए। अब जब जम्मू कश्मीर में गैर-मुस्लिमों की हत्याओं का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है और सख्त केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ी कार्रवाई की है, कॉन्ग्रेस नेता ने इस तरह का बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि उन ‘बच्चों’ (बंदूक थामने वाले आतंकियों) का भी कुछ कहना है। उन्होंने ये भी कहा कि वो हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में जम्मू कश्मीर की जनता और यहाँ के राजनीतिक दलों से बात करनी होगी। उन्होंने बातचीत को हर चीज का समाधान बताते हुए कहा कि कश्मीर का मुस्लिम समुदाय हिल गया है, क्योंकि उसे पता चला है कि ये हत्याएँ उनमें से किसी के द्वारा ही की गई थी।
उन्होंने दावा किया कि जम्मू कश्मीर का बहुसंख्यक समुदाय अंदर तक हिला हुआ है क्योंकि उनमें से ही कुछ ने हथियार उठा कर लोगों को मार डाला, लेकिन उन्हें भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश की जनता में से कोई भी हिंसा का समर्थन नहीं करता। सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर में सेना और अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी की बात करते हुए कहा कि समाधान बातचीत से ही निकलेगा।
84 वर्षीय सैफुद्दीन सोज जम्मू कश्मीर में कॉन्ग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं। पेशे से प्रोफेसर रहे सैफुद्दीन सोज 7 बार सांसद रहे हैं। 4 बार उन्होंने बारामुला से लोकसभा में जीत दर्ज की और 3 बार राज्यसभा के लिए उन्हें चुना गया। पहले JKNC में रहे सोज 2003 में कॉन्ग्रेस में आ गए थे। यूपीए-1 के दौरान उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया था। वो जम्मू कश्मीर में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। वो 90 के दशक में इंद्र कुमार गुजराल और एचडी देवगौड़ा के प्रधानमंत्रित्व काल में भी केंद्रीय मंत्री रहे।
ताज़ा घटनाओं की बात करें तो 2 अक्टूबर को राजधाइ श्रीनगर के चट्टाबल के रहने वाले माजिद अहमद गोजरी की आतंकियों ने हत्या कर दी। इसी दिन एसडी कॉलोनी बटमालू में मोहम्मद शफी डार को गोलियों से भून डाला गया। 5 अक्टूबर को लोकप्रिय दवा कारोबारी माखन लाल बिंदरू की हत्या हुई। इसके कुछ ही देर बाद बिहार के महादलित चाट विक्रेता वीरंजन पासवान की हत्या हुई। उसी दिन बांदीपोरा में मोहम्मद शफी लोन को मार डाला गया। फिर दो शिक्षकों को मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि वो हिन्दू और सिख थे।